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मुर्रा भैंसों ने बदली किसानों की किस्मत, भरपूर दूध से होती है लाखों की कमाई Haryana News & Updates

मुर्रा भैंसों ने बदली किसानों की किस्मत, भरपूर दूध से होती है लाखों की कमाई Haryana News & Updates

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फरीदाबाद: फरीदाबाद के मिर्जापुर गांव में ज्यादातर घरों में आज भी पशुपालन ही मुख्य रोज़गार है. यहां के लोग खास तौर पर मुर्रा नस्ल की भैंसें पालते हैं क्योंकि यह नस्ल हरियाणा की सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस मानी जाती है. गांव के कई परिवार इन्हीं भैंसों के दूध से अपनी आजीविका चलाते हैं. अच्छे दूध, अच्छी देखभाल और सही खान-पान से यह भैंसें साल में लगभग 10 से 11 महीने लगातार दूध देती हैं, इसी वजह से इनकी मांग भी ज्यादा रहती है.

लाखों में होती है कीमत

Local18 से बातचीत में महावीर नागर बताते हैं कि वह मूल रूप से बल्लभगढ़ के तिगांव के रहने वाले हैं, लेकिन मिर्जापुर गांव में उनकी डेरी है. वह बताते हैं कि उनके पास इस समय 16 मुर्रा नस्ल की भैंसें हैं. मुर्रा नस्ल की भैंसें काफी मजबूत और अच्छी दुग्ध उत्पादन वाली होती हैं. महावीर बताते हैं कि एक अच्छी मुर्रा भैंस करीब 2 से ढाई लाख रुपये में मिलती है और ज्यादातर अच्छी क्वालिटी की भैंसें जींद से लाई जाती हैं.

एक दिन में कितना देती हैं दूध

महावीर नागर कहते हैं कि उनकी भैंसें एक दिन में 18 से 20 किलो तक दूध दे देती हैं, लेकिन इसके लिए उनका सही खान-पान बेहद जरूरी होता है. हम भैंसों को बिनौला, चने की चूरी, खल, छिलका और कैल्शियम देते हैं. सर्दी में खास ध्यान रखना पड़ता है. रोज़ गुड़, मेथी और बिनौला देते हैं, इससे भैंसों को ठंड नहीं लगती. गर्मी में बिनौला देना बंद कर देते हैं और उनकी तरफ ठंडी चीजें रखते हैं जैसे जौ का आटा और चने की चूरी.

भैंसों के रख रखाव में होता है खर्चा

महावीर बताते हैं कि गर्मी के मौसम में पंखे और कूलर लगाए जाते हैं, जबकि सर्दी में पर्दे डाल दिए जाते हैं, ताकि ठंड से बचाव हो सके. भैंसों को रोज़ पानी से नहलाना भी जरूरी होता है, इससे उनका शरीर साफ रहता है और कोई संक्रमण नहीं होता. वह कहते हैं, एक भैंस का रोज़ाना लगभग 600 रुपये तक खर्च आता है. खाने में वो रोज़ 8 से 9 किलो राशन और 5 से 6 किलो तोरी भी खा जाती हैं.

फायदे का सौदा हैं मुर्रा नस्ल की भैंसे

दूध की कीमत के बारे में महावीर बताते हैं कि गांव में दूध 80 से 85 रुपये लीटर तक बिक जाता है, जबकि फरीदाबाद शहर में यही दूध 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच जाता है. महावीर नागर 2002 से डेरी चला रहे हैं और बताते हैं कि लगातार 22 साल से पशुपालन ही उनके परिवार की कमाई का बड़ा सहारा है. उनका कहना है कि अगर मेहनत और देखभाल ठीक से की जाए तो मुर्रा नस्ल की भैंसें आज भी किसानों के लिए सबसे भरोसेमंद आय का जरिया हैं.

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