मुर्मू के बहाने राजस्थान साधना चाहती है बीजेपी! 5 ‘तीर’ से 70 ‘निशानों’ पर नजर, पढ़ें- आदिवासी वोट बैंक का पूरा गणित


जयपुर : राष्ट्रपति चुनाव (Rashtrapati Chunav) के लिए द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murnu) ने शुक्रवार को अपना नमांकन दाखिल किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) उनके पहले प्रस्तावक बने। बीजेपी (BJP) ने आदिवासी मुर्मू को एनडीए की उम्मीदवार बनाकर पूरे आदिवासी समाज में हलचल पैदा कर दी है। यदि मुर्मू राष्ट्रपति का चुनाव जीत जाती हैं तो वो आदिवासी समुदाय (Adiwasi Samaj) से आने वाली देश की पहली राष्ट्रपति होंगी। और यह बात इस समाज के लिए खुशियां मनाने वाली होगी। इसका असर बीजेपी के आदिवासी वोट बैंक पर भी पड़ना निश्चित है। दअरसल, बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू के रूप में देश को पहला आदिवासी समुदाय का राष्ट्रपति देने का फैसला यूं ही अचानक नहीं लिया। इसके पीछे भी दूर की सोच रही है। और इस सोच में आदिवासी समाज में मुर्मू के बहाने बीजेपी की साख बनाना भी निश्चित ही शामिल रहा है। यही कारण है कि मुर्मू के प्रस्तावकों में राजस्थान के जो पांच विधायक शामिल हैं वो सभी आदिवासी हैं। और इस लिहाज से यह कहना गलत नहीं होगा कि मुर्मू के बहाने बीजेपी की नजर आगामी राजस्थान विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के प्रभाव वाली 70 सीटों पर है।

राजस्थान में 3 महीने पहले ही शुरू हो चुकी थी कवायद

राजस्थान में आदिवासी समाज के बीच बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा तीन महीने पहले ही अपना संदेश पहुंचा चुके थे। सवाई माधोपुर में बीजेपी ने आदिवासी सम्मेलन आयोजित किया था। इसमें आदिवासी विधायकों के साथ समाज के प्रतिष्ठित लोगों से नड्‌डा ने चर्चा की। बीजेपी सूत्रों के अनुसार एक महीने पहले जयपुर में राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक के साथ ही इसपर कवायद शुरू हो चुकी थी। इसी सिलसिले में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का दौरा भी प्रस्तावित था। गुजरात सीमा से लगते आदिवासी इलाके को केंद्र में रखकर शाह की बड़ी रैली प्रस्तावित थी। हालांकि किन्हीं कारण के चलते ऐन वक्त पर दौरा रद्द हो गया था।

इन 5 प्रस्तावकों के साथ राजस्थान की 70 सीटों पर नजर

द्रौपदी मुर्मू के प्रस्तावकों में राजस्थान के 5 विधायक शामिल है। बीजेपी इन पांचों विधायकों जरिए प्रदेश की आदिवासियों से प्रभाव वाली 70 सीटों पर साख बनाने की कोशिश कर रही है। ये पांचों विधायक आदिवासी है और उदयपुर-सिरोही के आदिवासी बाहुल इलाके से आते हैं। इनमें उदयपुर ग्रामीण से विधायक फूलसिंह मीणा, सलूंबर से अमृतलाल मीणा, झाड़ोल से बाबूलाल खराड़ी, पिंडवाड़ा से समाराम और गढ़ी से कैलाश मीणा शामिल हैं।

आगामी विधासभा चुनाव में मिलेगा फायदा!

राजस्थान विधानसभा में 200 सीट हैं। अगले साल ही यहां चुनाव होना है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो प्रदेश की 200 में से 70 सीटों पर आदिवासियों का प्रभाव है। यहां 25 रिर्जव सीटों के अतिरिक्त 8 सीटों पर वर्तमान में आदिवासी विधायक हैं। ऐसे में बीजेपी की आदिवासी समाज में अच्छी साख आगामी चुनाव में नतीजों में पार्टी काे फायदा करा सकती है। दअरसल, वर्तमान में 200 में से 33 विधायक आदिवासी हैं। 33 में से 9 विधायक बीजेपी से हैं जबकि कांग्रेस के पलड़े में 17 विधायक आदिवासी हैं। अन्य 7 विधायकों पर भी बीजेपी और कांग्रेस दोनों की नजर हैं।

कांग्रेस भी सेंधमारी से वाकिफ, राहुल गांधी काे कर चुकी है आगे

राजस्थान में आदिवासी समाज के वोट बैंक पर भाजपा और कांग्रेस दोनों का फोकस। लेकिन बीजेपी का राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू के रूप में चला दांव कांग्रेस पर भारी पड़ सकता है। हालांकि कांग्रेस अपने परम्परागत वोट बैंक में सेंधमारी से अंजान नहीं है। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले से सतर्क हैं। यही कारण है कि हाल ही उदयपुर में कांग्रेस के चिंतन शिवर के बाद आदिवासियों के गढ़ कहे जाने वाले बांसवाड़ा में बड़ी सभा की। गहलोत यहां राहुल गांधी को लेकर पहुंचे। राहुल के बहाने गहलोत कांग्रेस से बीटीपी के जरिए छिटके वोट वापस लाना चाहते थे। साथ ही बीजेपी की संभावित सेंधमारी पर भी सियासी बढ़त चाहते थे।

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