in

मिलिट्री लिटरेचर फेस्ट: 1965 की लड़ाई में लेफ्टिनेंट जनरल हरबख्श सिंह ने किया था सेना प्रमुख का आदेश मानने से इन्कार, बोले- आखिरी दम तक लड़ूंगा Chandigarh News Updates

मिलिट्री लिटरेचर फेस्ट: 1965 की लड़ाई में लेफ्टिनेंट जनरल हरबख्श सिंह ने किया था सेना प्रमुख का आदेश मानने से इन्कार, बोले- आखिरी दम तक लड़ूंगा Chandigarh News Updates

[ad_1]

भारत-पाकिस्तान के बीच साल 1965 की लड़ाई में लेफ्टिनेंट जनरल हरबख्श सिंह ने बतौर वेस्टर्न आर्मी कमांडर कमान संभाल रखी थी। तरनतारन के गांव असल उत्तर, फिलौरा और चाविंडा इन सभी मोर्चाें पर सेना के जवान पाकिस्तानी फौज और पैटन टैंकों से लोहा ले रहे थे। असल उत्तर की लड़ाई तो भारत-पाकिस्तान के बीच सबसे बड़े टैंक युद्धों में से एक मानी जाती है।

इस युद्ध में एक दौर ऐसा भी आया जब पाकिस्तान थोड़ा हावी दिखने लगा। इस पर तत्कालीन भारतीय सेना प्रमुख जनरल जयंतु नाथ चौधरी ने लेफ्टिनेंट जनरल हरबख्श सिंह को आदेश दिया कि वे जवानों को लेकर ब्यास नदी की लाइन से पीछे हट जाएं और अगले आदेशों का इंतजार करें। हालांकि कमांडर सिंह ने आर्मी चीफ के इन आदेशों को न केवल मानने से साफ इन्कार कर दिया बल्कि उनसे कहा कि आप बैटल फ्रंट पर स्थिति देखे बिना ऑर्डर नहीं दे सकते और मैं उन्हें एग्जीक्यूट नहीं कर सकता। हमने 1947 में ननकाना साहिब को पहले ही गंवा दिया था और आज हम अपना श्री हरिमंदिर साहिब नहीं खोने वाले हैं। मैं यहीं रहूंगा और आखिरी दम तक लड़ूंगा।

अंतत: उन्होंने अपने मानक तय किए और यह पक्का किया कि उनके सैनिक उनके साथ चलें। हालांकि उस वक्त उनके पास संसाधन बहुत कम थे मगर वे इसकी परवाह किए बिना साहस के साथ अपने जवानों संग मोर्चे पर डटे रहे। ऐसी स्थिति में उनकी रणनीतिक समझ और दूर की सोच की कड़ी परीक्षा हुई और वे सही साबित हुए। पाकिस्तानी सेना को खदेड़कर भारतीय सेना लाहौर की हद तक पहुंच गई।

कर्नल हरबख्श सिंह (वेटरन) बताते हैं कि उस वक्त वेस्टर्न आर्मी कमांडर के जहन में बस यही बात थी कि भारत के लिए पंजाब को बचाना है क्योंकि वे बैटल फ्रंट पर दुश्मन का इरादा भांप चुके थे। दुश्मन कश्मीर की तरह पंजाब के भी बड़े हिस्से पर कब्जा करना चाहता था मगर लेफ्टिनेंट जनरल हरबख्श सिंह ने दुश्मन के मंसूबों पर पानी फेर दिया इसलिए आज भी उन्हें पंजाब के रक्षक के नाम से जाना जाता है। बाद में उन्हें वीर चक्र, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से अलंकृत किया गया और उनके नाम का डाक टिकट जारी हुआ।

[ad_2]
मिलिट्री लिटरेचर फेस्ट: 1965 की लड़ाई में लेफ्टिनेंट जनरल हरबख्श सिंह ने किया था सेना प्रमुख का आदेश मानने से इन्कार, बोले- आखिरी दम तक लड़ूंगा

दादरी में वैश्य एजुकेशन सोसायटी के लिए मतदान, शाम तक आएंगे नतीजे  Latest Haryana News

दादरी में वैश्य एजुकेशन सोसायटी के लिए मतदान, शाम तक आएंगे नतीजे Latest Haryana News

जालंधर के स्वर्णजीत बोले- नॉर्विच में नया पंजाब बसाएंगे:  ​​​​​​​दो दिसंबर को लेंगे पहले सिख मेयर की शपथ, कहा-पंजाबी आएं, अभी 10 ही परिवार – Jalandhar News Today World News

जालंधर के स्वर्णजीत बोले- नॉर्विच में नया पंजाब बसाएंगे: ​​​​​​​दो दिसंबर को लेंगे पहले सिख मेयर की शपथ, कहा-पंजाबी आएं, अभी 10 ही परिवार – Jalandhar News Today World News