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मौजूदा समय में मोटापा या बेली फैट बढ़ाना सबसे आम समस्याओं में से एक बन गया है. बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग भी मोटापे के शिकार बने हुए हैं. वहीं कई रिपोर्टर्स ने भी यह साफ किया है कि मोटापा सिर्फ दिखने की समस्या नहीं बल्कि, कई गंभीर बीमारियों की जड़ भी है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि शरीर पर बढ़ा फैट न केवल हार्ट रोग, डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों के लिए खतरा बढ़ाता है, बल्कि यह मां बनने की संभावना को भी प्रभावित करता है. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि बैली फैट मां बनने में कैसे बाधा बन सकता है और इसे लेकर एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं.
इनफर्टिलिटी की बढ़ती समस्या
पहले इनफर्टिलिटी की समस्या ज्यादातर उम्रदराज महिलाओं में देखी जाती थी. लेकिन अब कम उम्र की महिलाएं भी इससे जूझ रही है. दरअसल आधुनिक लाइफस्टाइल, तनाव, असंतुलित खान पान और हार्मोनल असंतुलन इसके प्रमुख कारण है. वहीं एक्सपर्ट्स का मानना है कि मोटापा खासकर पेट के आसपास जमा चर्बी यानी बैली फैट भी महिलाओं में इनफर्टिलिटी का एक बड़ा कारण बन रहा है.
बैली फैट और इनफर्टिलिटी का कनेक्शन
कई रिसर्च से पता चला है कि जिन महिलाओं को बैली फैट की समस्या होती है, उनमें प्रजनन संबंधी दिक्कत ज्यादा होती है. अमेरिका में 18 से 45 वर्ष की उम्र की 3,200 महिलाओं पर किए गए रिसर्च में सामने आया है कि कमर के हर एक्स्ट्रा सेंटीमीटर फैट से बांझपन का खतरा करीब 3 प्रतिशत तक बढ़ जाता है. रिसर्च के अनुसार जिन महिलाओं की कमर का फैट 60 सेंटीमीटर था, उनमें बांझपन का खतरा सबसे कम था. जबकि 160 सेंटीमीटर या उससे ज्यादा कमर वाली महिलाओं में यह खतरा सबसे ज्यादा मापा गया. हालांकि जिन महिलाओं की कमर का माप 113 सेंटीमीटर तक था, उन्होंने एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटी की मदद से इसके खतरे को काफी हद तक कम किया है. वहीं रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार मीडियम लेवल की फिजिकल एक्टिविटी जैसे तेज चलना, रनिंग या साइकलिंग दिल की धड़कन और सांसों की गति बढ़ाती है. इससे बेनिफिट कम करने और वजन कंट्रोल रखने में मदद मिलती है. चीन के हुई झोउ सेंट्रल पीपुल्स हॉस्पिटल की एक टीम का भी कहना है कि कमर का माप घटाने के प्रयास गर्भधारण में मददगार हो सकते हैं. अगर महिलाएं अपनी कमर के माप पर नजर रखे और नियमित रूप से फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं तो मां बनने की संभावना बढ़ सकती है.
किन कारणों से बढ़ती है दिक्कत?
एक्सपर्ट्स के अनुसार लाइफस्टाइल फैक्टर जैसे देर रात तक जागना, फास्ट फूड और प्रोसेस्ड चीजों का सेवन, फिजिकल एक्टिविटी की कमी और मोटापा महिलाओं के हार्मोनल असंतुलन को बिगाड़ देता है. इससे ओव्यूलेशन पर असर पड़ता है जो गर्भधारण के लिए जरूरी प्रक्रिया है. वहीं कामकाजी महिलाओं में तनाव भी एक बड़ी वजह है. लंबे समय तक तनाव रहने से पीरियड्स रेगुलर नहीं रहते और गर्भधारण की संभावना घट जाती है.
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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मां बनने का सपना तोड़ सकता है तेजी से बढ़ रहा बेली फैट, जानें इस पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

