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महंगे और केमिकल फिनायल को कहिए अलविदा, गौशाला के गौनाईल को डॉक्टर भी कर रहे… Haryana News & Updates

महंगे और केमिकल फिनायल को कहिए अलविदा, गौशाला के गौनाईल को डॉक्टर भी कर रहे… Haryana News & Updates

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फरीदाबाद के ऊंचा गांव की गौशाला में गौमूत्र से बना देसी गौनाईल तैयार किया जा रहा है, जो प्राकृतिक, केमिकल-फ्री और स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है. यह पहल स्वच्छता के साथ ग्रामीणों के लिए रोजगार का साधन भी बन रही ह…और पढ़ें

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गौमूत्र से बना देसी गौनाईल बना रोजगार का जरिया.

हाइलाइट्स

  • गौमूत्र से बना देसी गौनाईल केमिकल-फ्री है.
  • गौनाईल की एक लीटर बोतल सिर्फ 60 रुपये में उपलब्ध है.
  • यह पहल ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार का साधन बन रही है.

विकास झा/फरीदाबाद- फरीदाबाद के बल्लभगढ़ क्षेत्र के ऊंचा गांव की गौशाला में एक अनोखी और सराहनीय पहल की जा रही है. यहां गौमूत्र से एक प्राकृतिक फिनायल देसी गौनाईल – तैयार किया जा रहा है, जिसे घरों में पोछा लगाने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। खास बात यह है कि यह पूरी तरह केमिकल-फ्री है और स्वास्थ्य के लिए पूर्णतः सुरक्षित है।

80% गौमूत्र, 20% पाईनाईल, पूरी तरह नेचुरल
गौशाला ट्रस्ट के सदस्य रूपेश यादव बताते हैं कि इस गौनाईल में 80 प्रतिशत गौमूत्र और 20 प्रतिशत पाईनाईल मिलाया जाता है. बाजार में मिलने वाले फिनायल में मौजूद केमिकल्स न सिर्फ जमीन पर पीले दाग छोड़ते हैं, बल्कि बच्चों की सेहत के लिए भी खतरनाक होते हैं. वहीं यह देसी गौनाईल पूरी तरह से प्राकृतिक है. न तो इससे कोई दाग पड़ते हैं और न ही स्वास्थ्य को कोई नुकसान होता है.

सिर्फ 60 रुपये में मिल रही एक लीटर की बोतल
इस देसी गौनाईल की एक लीटर बोतल बाजार में सिर्फ 60 रुपये में उपलब्ध है. इसकी मांग लगातार बढ़ रही है, खासकर उन परिवारों में जहां छोटे बच्चे हैं. लोग इसे बेहद पसंद कर रहे हैं और इसकी सराहना कर रहे हैं.

स्थानीय संसाधनों से आसान निर्माण
इस गौनाईल को तैयार करने के लिए किसी महंगी मशीनरी की आवश्यकता नहीं है. एक ड्रम और एक मिक्सिंग मशीन से इसका निर्माण संभव है. फिलहाल 5-6 लोग मिलकर इसका निर्माण कर रहे हैं और उपयोगकर्ता भी इसके असर से काफी संतुष्ट हैं.

रोजगार का साधन और ग्रामीण नवाचार की मिसाल
ऊंचा गांव की यह पहल न सिर्फ स्वच्छता के क्षेत्र में एक नया विकल्प प्रस्तुत कर रही है, बल्कि यह ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार का साधन भी बन रही है. यह प्रयोग दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकता है और देश की अन्य गौशालाओं को भी प्राकृतिक उत्पादों की दिशा में आगे बढ़ने की राह दिखा सकता है.

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