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Ipsos Cost of Living Monitor survey: भारतीयों को भोजन की थाली पर महंगाई की मार का डर सता रहा है. इस कारण वे जीवन की जरूरतों पर कम खर्च कर सकते हैं. ये डर समेत कुछ और कारणों को मिलाकर उनके जीने की जरूरतों पर खर्च में वृद्धि नहीं हो रही है. इप्सोस कॉस्ट ऑफ लिविंग रिपोर्ट से यह बात सामने आई है. भारतीयों को डर है कि अगले साल खाद्य पदार्थों की कीमतें, घरेलू खरीदारी, ईंधन और बाहर जाना सब महंगा हो जाएगा. नवंबर 2024 के लिए इप्सोस कॉस्ट ऑफ लिविंग मॉनिटर सर्वे में शामिल 62 फीसदी से अधिक लोगों ने खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी की आशंका जताई है.
सरकारी योजनाओं के कारण जीने की लागत कम
इप्सोस इंडिया के सीईओ अमित अदारकर ने बताया कि गरीबों के लिए मुफ्त राशन, सरकार द्वारा संचालित दवाखानों में सब्सिडी, तेल की कीमतों को नियंत्रण में रखना, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना आदि ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों और आम जनता पर जीवन की उच्च लागत के असर को कम किया है. सर्वेक्षण में शामिल 19 फीसदी लोगों ने कहा कि वे आराम से रह रहे हैं. 34 प्रतिशत ने कहा कि उनका जीवन ठीक-ठाक है, 20 प्रतिशत किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं तथा केवल 22 प्रतिशत ने कहा कि जीवन-यापन में कठिनाई आ रही है.
45 फीसदी को महंगाई से राहत की उम्मीद नहीं
रिपोर्ट के मुताबिक, 45 प्रतिशत लोगों को भरोसा नहींं है कि महंगाई कभी कम होगी. वहीं 20 प्रतिशत लोगों को उम्मीद है कि अगले साल के बाद मुद्रास्फीति स्थिर हो जाएगी, 12 प्रतिशत लोगों को एक साल के भीतर स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है. नौ प्रतिशत लोगों को छह महीने में, छह प्रतिशत लोगों को तीन महीने में, तथा सात प्रतिशत लोगों का मानना है कि यह पहले ही स्थिर हो चुकी है. अधिकांश शहरी भारतीयों यानी 54 प्रतिशत को उम्मीद है कि अगले वर्ष मुद्रास्फीति और बढ़ेगी.
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‘महंगाई तो है ही नहीं’ कितने प्रतिशत भारतीय मानते हैं ऐसा? IPSOS रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा