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- “Zohran Mamdani Faces Backlash For Smiling Photo With Imam Siraj Wahhaj Linked To 1993 WTC Bombing”
मेयर पद के डेमोक्रेटिक दावेदार ममदानी शुक्रवार को एक मस्जिद में प्रचार के लिए गए थे। वहां उन्होंने इमाम वहाज के साथ तस्वीर खिंचाई थी।
अमेरिका में न्यूयॉर्क शहर के मेयर पद के उम्मीदवार जोहरान ममदानी पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक इस्लामिक कट्टरपंथी का करीबी होने का आरोप लगाया है।
दरअसल, ममदानी 18 अक्टूबर को ब्रुकलिन के इमाम सिराज वहाज के साथ हंसते और फोटो खिंचाते दिखाई दिए थे। वहाज पर 1993 के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर बमबारी करने का साजिश रचने और मुसलमानों को जिहाद के लिए उकसाने का आरोप है।
तस्वीर के वायरल होने के बाद ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर लिखा-

ये अनर्थ हो रहा है। कितनी शर्म की बात है कि सिराज वहाज जैसा शख्स ममदानी का समर्थन कर रहा है और उसके साथ दोस्ती निभा रहा है। इसने ही वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को उड़ा दिया था।

ममदानी ने इमाम वहाज से मुलाकात की तस्वीर खुद 18 अक्टूबर एक्स पर पोस्ट की थी।
उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी तंज कसा
अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने भी ममदानी की आलोचना की है। उन्होंने एक्स पर लिखा- मुझे पता चला है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के लोग किसी भी तरह की राजनीतिक हिंसा के खिलाफ हैं। इसलिए मैं अब यह देखने का इंतजार कर रहा हूं कि सब मिलकर ममदानी की निंदा कब करते हैं। वह उस शख्स के साथ प्रचार कर रहा है जो एक आतंकी साजिश से जुड़ा माना जाता है, भले ही उस पर कोई मुकदमा न चला हो।
रिपब्लिकन मेयर पद के उम्मीदवार कर्टिस स्लिवा ने कहा, “ममदानी का इस इमाम के साथ खड़ा होना गलत है। न्यूयॉर्क को एक ऐसे मेयर की जरूरत है जो लोगों को आतंकवाद से बचाए, न कि आतंकवादियों को गले लगाए।”
आलोचनाओं के बावजूद ममदानी ने आरोप लगाया कि उन्हें उनके धर्म के कारण निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह चुनाव जीतने की कगार पर हैं। न्यूयॉर्क मेयर का चुनाव 4 नवंबर 2025 को होना है।
वहाज ने धर्म बदलकर इस्लाम अपनाया
वहाज का असली नाम जेम्स लारेंस है। उन्होंने काले लोगों के साथ हो रहे भेदभाव के विरोध में 70 के दशक में धर्म बदल लिया था। इस्लाम अपनाने के बाद लॉरेंस ने नाम बदलकर सिराज वहाज रख लिया था।
वहाज ने धर्म परिवर्तन के बाद न्यूयॉर्क में मस्जिदों और मुस्लिम समुदाय के लिए सामाजिक कार्य शुरू किया। वहाज ने 2000 के दशक की शुरुआत में न्यूयॉर्क शहर में एक उपदेश दिया था, जिसमें उन्होंने “गन-फ्री जिहाद” के लिए 10,000 मुस्लिम पुरुषों की सेना बनाने का आह्वान किया था।
उन्होंने कहा था,

मैं दुआ करता हूँ कि अल्लाह हमें एक सेना बनाने का अवसर दे, मेरे अनुयायी हथियार न उठाएं, बस मार्च करें। न्यूयॉर्क शहर में मार्च करें, ताकि उनकी आवाज सुनाई दे, ताकि पूरी शहर सो न सके।
वहाज का कहना था कि उनका जिहाद हिंसक नहीं था बल्कि यह उन मुस्लिमों के समर्थन में था जो बोस्निया, सोमालिया, फिलिस्तीन और अल्जीरिया जैसे देशों में संघर्ष कर रहे थे।
1993 में हुए वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर अटैक मामले में वहाज का नाम सुर्खियों में आया था। दरअसल, इस मामले से जुड़े कई आरोपी वहाज से जुड़े हुए थे।
32 साल पहले अमेरिका में पहला आतंकी हमला हुआ
2001 में हुए वर्ल्ड ट्रे़ड सेंटर हमले से 8 साल पहले भी वहां एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था। 26 फरवरी 1993 को दोपहर करीब 12 बजकर 18 मिनट पर एक ट्रक बम नॉर्थ टॉवर की पार्किंग में ब्लास्ट हो गया।
ट्रक में करीब 1,200 किलो विस्फोटक भरा था। हमलावरों का मकसद था कि धमाके से नॉर्थ टॉवर गिर जाए और उसके नीचे साउथ टॉवर भी ध्वस्त हो जाए। अगर ऐसा होता तो दोनों टावर साथ ढह जाते, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।
धमाके की ताकत इतनी थी कि पार्किंग में 30 मीटर चौड़ा और कई मंजिल ऊंचा गड्ढा बन गया। बिजली जाने से लिफ्टें बंद हो गईं और टावरों में फंसे हजारों लोग धुएं में घुटने लगे। हालांकि कुछ ही देर में करीब 50 हजार लोगों को बाहर निकाल लिया गया। इस हमले में 6 लोगों की मौत हुई और एक हजार से ज्यादा घायल हुए।
अलकायदा ने रची थी साजिश, पाकिस्तान में पकड़ाया
इस हमले की साजिश अल-कायदा से जुड़े आतंकी रमजी यूसुफ ने रची थी। उसके साथ मोहम्मद सलामेह, महमूद अबूहलीमा, निदाल अय्याद और अहमद अजाज जैसे लोग शामिल थे। यूसुफ ने हमले के लिए विस्फोटक तैयार किए और उसे वर्ल्ड ट्रेड सेंटर तक पहुंचाने की पूरी योजना बनाई।
जांच के दौरान एफबीआई को ट्रक के ध्वस्त टुकड़ों में छिपा वाहन का सीरियल नंबर मिला, जिससे पुलिस हमलावरों तक पहुंची। कुछ ही हफ्तों में सभी आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए। रमजी यूसुफ 1995 में पाकिस्तान से पकड़ा गया और 1998 में उसे उम्रकैद की सजा मिली।
1993 का यह हमला अमेरिका के खिलाफ अल-कायदा का पहला बड़ा हमला था। इससे अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों को पहली बार एहसास हुआ कि आतंकवाद अब उनकी जमीन तक पहुंच चुका है। हालांकि उस समय इस खतरे को उतनी गंभीरता से नहीं लिया गया, जितनी जरूरत थी।
कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर 1993 के हमले के बाद सुरक्षा तंत्र को और मजबूत किया गया होता, तो 11 सितंबर 2001 का हमला शायद रोका जा सकता था। 1993 के हमले के बाद वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के बेसमेंट में एक स्मारक बनाया गया, जिस पर लिखा था, “यह वह जगह है जहां आतंकवाद ने पहली बार अमेरिका को छुआ।”
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