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जेवली स्थित बाब प्रीतमदास मंदिर में शनिवार को आयोजित किया गया व्यायाम एवं चरित्र निर्माण प्रशिक्षण शिविर
संवाद न्यूज एजेंसी
चरखी दादरी। गांव जेवली स्थित बाबा प्रीतमदास मंदिर प्रांगण में आर्यवीर दल की ओर से दूसरे दिन व्यायाम प्रशिक्षण एवं चरित्र निर्माण शिविर का आयोजन किया गया। स्वामी सच्चिदानंद की देखरेख में व्यायाम शिक्षक नारायण आर्य ने भस्त्रिका, अनुलोम विलोम, कपालभाति आदि प्राणायामों का अभ्यास करवाया।
इस अवसर पर स्वामी सच्चिदानंद ने कहा कि अगर मन किसी बात को लेकर विचलित हो भ्रामरी प्राणायाम करना चाहिए। उन्होंने बताया कि भस्त्रिका का मतलब धौंकनी है। इस प्राणायाम में सांस की गति धौंकनी की तरह हो जाती है। यानी श्वांस की प्रक्रिया को पूरक, रेचक और कुंभक के साथ एक गति से करना ही भस्त्रिका प्राणायाम कहलाता है। इस प्राणायाम के अभ्यास से मोटापा दूर होता है। शरीर को प्राणवायु अधिक मात्रा में मिलती है और कार्बनडाई-ऑक्साइड गैस शरीर से बाहर निकलती है। इस प्राणायाम से रक्त की सफाई होती है। शरीर के सभी अंगों तक रक्त का संचार भली-भांति होता है। जठराग्नि तेज हो जाती है। दमा, टीवी और सांस के रोग दूर हो जाते हैं। फेफड़ों को बल मिलता है। स्नायुमंडल सबल होता है। वात, पित्त और कफ के दोष दूर होते है।
इस अवसर पर सत्यवान आर्य, मास्टर बलवान, सुरेशानंद महाराज, मंजीत बेरला, आशीष, हिमांशु, जतिन, दीपांशु, खुशी, भावना, तमन्ना, सानिया, साक्षी, आशू, आयुष आदि की उपस्थिति रही।
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गांव जेवली में आयोजित शिविर में प्रणायाम करते युवा। स्रोत : संगठन
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मन विचलित हो जाए तो करें भ्रामरी प्राणायाम : स्वामी सच्चिदानंद