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मनोज जोशी का कॉलम: बड़ी लड़ाई में हारकर छोटी सफलताएं बटोर रहा है पाक Politics & News

मनोज जोशी का कॉलम:  बड़ी लड़ाई में हारकर छोटी सफलताएं बटोर रहा है पाक Politics & News

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4 घंटे पहले

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मनोज जोशी विदेशी मामलों के जानकार

आश्चर्य की ही बात कहलाएगी कि पाकिस्तान अपने घरेलू सियासी संघर्षों और घिसटती अर्थव्यवस्था के बावजूद अमेरिका, रूस और चीन जैसी महाशक्तियों की नजर में एक प्रमुख क्षेत्रीय खिलाड़ी बना हुआ है। यही कारण था कि वह 193 में से 182 सीटों के बड़े समर्थन के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थायी सीट जीतने में सफल रहा। जनवरी से दो साल के लिए इसका कार्यकाल शुरू होगा।

पहलगाम हमले के कुछ ही सप्ताह बाद संयुक्त राष्ट्र ने पाकिस्तान को यूएन 1373 आतंकरोधी समिति का उपाध्यक्ष और 1988 तालिबान प्रतिबंध समिति का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया था। यह बताता है कि स्वयं संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों में से सबसे ज्यादा को पनाह देने वाले पाकिस्तान को विश्व को कैसे देखता है। यह भारतीय कूटनीति की विफलता को भी बताता है।

लेकिन अंदरूनी तौर पर पाकिस्तान में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। मई 2023 में इमरान खान की गिरफ्तारी के वक्त पाकिस्तान में भारी राजनीतिक उथल-पुथल मची थी। बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए, जिनमें कई सेवारत फौजियों के परिजन भी शामिल थे।

कई सैन्य ठिकानों, रावलपिंडी स्थित जीएचक्यू और कोर कमांडर के घर तक पर हमले हुए। 2024 में पाकिस्तान नेशनल असेंबली के चुनाव में भी ऐसी ही अशांति देखी गई थी। भले ही इमरान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ का चुनाव चिह्न छिन गया, लेकिन इसके बावजूद उसके द्वारा समर्थित 100 निर्दलीय चुनाव जीते।

यह असेंबली की कुल सीटों के लिहाज से सबसे बड़ा हिस्सा था। ये तब है जब चुनाव में पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) के पक्ष में हेराफेरी हुई थी। पीएमएल (एन) और बिलावल भुट्टो की गठबंधन सरकार अब विश्वसनी​यता खो रही है। कोई आश्चर्य नहीं कि हाल के भारत-पाक संघर्ष को भुना कर खुद को फील्ड मार्शल बनाने वाले आसिम मुनीर जल्द ही इस सरकार को हाशिए पर धकेल दें।

भारत के साथ टकराव के बाद पाकिस्तान अपनी जीत-हार को लेकर भले कुछ भी कहता हो, लेकिन तथ्य यह है कि भारत ने ना सिर्फ पाकिस्तानी मिसाइलों, ड्रोन हमलों से अपनी सफलतापूर्वक सुरक्षा की, बल्कि पाकिस्तान की एयर डिफेंस प्रणाली को भी ध्वस्त कर दिया।

लड़ाई खत्म होते-होते भारत इस स्थिति में आ गया था कि वह पाकिस्तान में जहां चाहे, हमला कर सकता था। भारत ने रावलपिंडी में पाकिस्तानी सैन्य मुख्यालय के समीप नूरखान और कई अन्य हवाई ठिकानों पर हमला कर इसे साबित भी कर दिया।

लेकिन इस सबके बावजूद पाकिस्तान इस लड़ाई को लेकर दुनिया के सामने अपना नैरेटिव पेश करने में बेहतर रहा। भारत के लचर सूचना प्रबंधन के चलते पाकिस्तान को जीत का दावा करने का मौका ​मिल गया। भारतीय कूटनीतिक दवाब को हटाकर वो यह बताने में सफल रहा कि पहलगाम हमले में उसका हाथ नहीं था। 60 से अधिक देशों ने पहलगाम हमले की निंदा की पर एक ने भी पाकिस्तान को दोष नहीं दिया।

इस सबमें एक हद तक अमेरिका ने भी पाकिस्तान की सहायता की। अमेरिका की सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरिल्ला ने हाल ही में पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ महत्वपूर्ण साझेदार बताया था। अमेरिका सुरक्षा-कारणों से भी पाकिस्तान से अच्छे संबंध बनाए रखना चाहता है।

मुनीर और पाकिस्तानी वायुसेना प्रमुख की अमेरिका यात्रा ने दोनों देशों के गहरे होते संबंधों को लेकर संकेत भी दिया है। अमेरिका पाकिस्तान से संबंधों को क्षेत्रीय स्थिरता और भारत के साथ शांति के नजरिए से भी महत्वपूर्ण मानता है।

लेकिन अमेरिका अकेला ऐसा देश नहीं, जिसने पाकिस्तान से सबंध बढ़ाए हैं। 2024 में रूस के प्रधानमंत्री और उपप्रधानमंत्री भी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के सिलसिले में पाकिस्तान गए थे। अप्रैल 2025 में रूस ने आतंकवाद के खिलाफ रूस और पाकिस्तान के कार्यकारी समूह की बैठक की मेजबानी भी की थी।

इसके बाद रूस के उप विदेश मंत्री आंद्रे रुदेन्को दोनों देशों की साझेदारी को आगे बढ़ाने पर बातचीत के लिए इस्लामाबाद गए। पाकिस्तान और रूस दक्षिण एशिया को मध्य एशिया और रूस से जोड़ने के लिए रेल और सड़क नेटवर्क विकसित करने पर सहमत हुए हैं। ये कदम उज्बेकिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान को जोड़ने वाले एक और समझौते से भी जुड़े हैं।

इस माह पाकिस्तान मासिक रोटेशन के आधार पर सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष की कुर्सी संभालेगा तो वह इस ताकत का प्रयोग अपने हित में करने की कोशिश करेगा। देखना होगा कि क्या वह कश्मीर पर अपने रुख को हवा देने के लिए इसका उपयोग करेगा? अलबत्ता इससे कुछ होगा नहीं।

पाकिस्तान अपनी जीत-हार को लेकर भले कुछ भी कहता हो, लेकिन तथ्य यह है कि भारत ने ना सिर्फ पाकिस्तानी हमलों से अपनी सफलतापूर्वक सुरक्षा की, बल्कि पाकिस्तान की एयर डिफेंस प्रणाली को भी ध्वस्त कर दिया। (ये लेखक के अपने विचार हैं)

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