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मनमोहन चंडीगढ़ में जिस यूनिवर्सिटी से पढ़े, वहीं प्रोफेसर बने: क्लास-लेक्चररूम में यादें सहेजीं; कोठी से था लगाव; क्लासमेट बोले- बरसों बाद भी पहचाना – Chandigarh News Chandigarh News Updates

मनमोहन चंडीगढ़ में जिस यूनिवर्सिटी से पढ़े, वहीं प्रोफेसर बने:  क्लास-लेक्चररूम में यादें सहेजीं; कोठी से था लगाव; क्लासमेट बोले- बरसों बाद भी पहचाना – Chandigarh News Chandigarh News Updates

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यह डॉ. मनमोहन सिंह के घर और यूनिवर्सिटी में उनके नाम पर स्थापित चेयर की तस्वीरें हैं।

2 बार देश के प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह का 92 साल की उम्र में गुरुवार रात निधन हो गया। मनमोहन सिंह का चंडीगढ़ से पुराना नाता रहा। उन्होंने यहां स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) से पढ़ाई की और इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी रहे।

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मनमोहन सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी से 1952 में इकोनॉमिक्स में बैचलर और 1954 में मास्टर डिग्री हासिल की थी। इसके बाद 1957 से 1966 तक पंजाब यूनिवर्सिटी में ही इकोनॉमिक्स के सीनियर फैकल्टी के रूप में नौकरी की थी।

यूनिवर्सिटी में उनकी कुर्सी और प्रोफेसर रहते लेक्चर के बाद बैठने वाले कमरे को सहेजकर रखा गया है। यूनिवर्सिटी में अलॉट हुए उनके क्वार्टर की भी रेनोवेशन कराई जा रही है।

उनकी चंडीगढ़ के सेक्टर 11 में कोठी है, जिसका नंबर 727 है। इस कोठी में कोई नहीं रहता। मगर, उनके लगाव के कारण कोठी की देखभाल के लिए केयरटेकर रखा हुआ है। उनके पास की कोठी में मनमोहन सिंह के कॉलेज फ्रैंड हंसराज भी मिले।

उन्होंने कहा कि स्कूल में सबसे मुश्किल सवाल वही हल करते थे। विदेश जाने के बाद मुझे लगा कि वे भूल गए होंगे लेकिन एक बार मिले तो सीधे नाम लेकर हालचाल पूछकर हैरान कर दिया।

आखिरी बार मनमोहन सिंह 2018 में चंडीगढ़ आए थे। तब वह पंजाब यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह 2018 में आखिरी बार पंजाब यूनिवर्सिटी पहुंचे थे। उनके साथ उनकी पत्नी गुरशरण कौर भी मौजूद थीं। वे यहां एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे।

डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद दैनिक भास्कर की टीम उनकी कोठी और पंजाब यूनिवर्सिटी में पहुंची। सबसे पहले टीम कोठी में पहुंची। कोठी बंद थी। देखभाल करने वाले दंपती कोठी के पीछे बैठे हुए थे। उनसे कोठी के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि कमरे बंद हैं। डॉ. मनमोहन सिंह के पारिवारिक सदस्य उन्हें बीच-बीच में फोन करते रहते हैं।

केयरटेकर आनंद सिंह बिष्ट ने कहा कि पूर्व PM के निधन के बारे में सुनकर दुख हुआ। मैं कोठी की देखभाल करता हूं। कोठी में फिलहाल कोई नहीं रहता है।

चंडीगढ़ के सेक्टर 11 में स्थित डॉ मनमोहन सिंह की कोठी, जहां कोई भी नहीं रहता है।

चंडीगढ़ के सेक्टर 11 में स्थित डॉ मनमोहन सिंह की कोठी, जहां कोई भी नहीं रहता है।

इस दौरान टीम को देखकर पास की कोठी में रहने वाले हंसराज वहां पहुंच गए। वह भावुक हो गए। हंसराज बताते हैं कि मैं और मनमोहन सिंह पक्के दोस्त थे। हम दोनों अमृतसर में हिंदू कॉलेज में इकट्‌ठे पढ़े। 2 साल यानी 1952 से 1954 तक हम इकट्‌ठा रहे। हम दोनों क्लास में टॉपर थे। हमारी BA की क्लास में 30 स्टूडेंट थे।

प्रोफेसर हम दोनों को मुश्किल सवाल देते थे हंसराज ने आगे कहा कि क्लास में मैथमेटिक्स के प्रोफेसर हम दोनों को मुश्किल सवाल दे देते थे। प्रोफेसर कहते थे कि तुम दोनों इन सवालों को हल कर सकते हो, बाकी लड़के इन्हें हल नहीं कर सकते हैं। इसके बाद हम दोनों मिलकर सवाल हल करते थे। हल किए सवाल के बारे में प्रोफेसर को बताते तो वह बहुत खुश होते थे।

इसके बाद मैं अमेरिका चला गया। संपर्क खत्म हो गया। मैं 2-3 साल में इंडिया आता था। ऐसे में कभी मुलाकात का मौका नहीं मिला। वह बिजी आदमी थे। हमने सोचा कि वह हमें कैसे पहचानेंगे, लेकिन एक बार मुझे मिले और कहा कि हंसराज क्या हाल हैं, देखा ये होता प्यार असली। ये वाक्य मुझे आज भी याद है।

तनख्वाह को डोनेट करते थे उन्होंने कहा कि मनमोहन की चंडीगढ़ के सेक्टर 11 में 727 नंबर कोठी है। कोठी की देख-रेख उनकी बेटी करती है। मैं कोठी नंबर 729 में रहता हूं। हंसराज ने कहा कि मनमोहन बेस्ट प्राइम मिनिस्टर थे। उन्होंने बेहतर काम किया। उन्हें जो तनख्वाह भारत सरकार देती थी, वह उसे डोनेट कर देते थे।

कमरा नंबर-40 A में चेयर स्थापित इसके बाद टीम पंजाब यूनिवर्सिटी में पहुंची। यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स की छुट्टियां हैं, लेकिन सभी प्रोफेसर यूनिवर्सिटी में पहुंचे थे। सभी पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को याद कर रहे थे। इसके बाद टीम इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट में पहुंची। जहां कमरा नंबर-40 A में उनकी चेयर स्थापित की गई है। वह इसी क्लासरूम में पढ़ते थे।

इसके बाद वहां के प्रोफेसर उस कमरे में ले गए, जहां मनमोहन सिंह लेक्चर लगाने के बाद बैठते थे। कमरे में उनकी फोटो लगी है। आलमारियों में किताबें रखी हैं। उसके सामने ही लाइब्रेरी है, जिसमें उनसे जुड़ी किताबें रखी हैं।

पंजाब यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट में बनी लाइब्रेरी। प्रोफेसर बताते हैं कि यूनिवर्सिटी को मनमोहन सिंह ने काफी बुक्स डोनेट की हैं।

पंजाब यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट में बनी लाइब्रेरी। प्रोफेसर बताते हैं कि यूनिवर्सिटी को मनमोहन सिंह ने काफी बुक्स डोनेट की हैं।

संदेश में लिखा- मैं भारत के भविष्य के बारे में आश्वस्त हूं डिपार्टमेंट में ही एक मीटिंग हॉल है, जहां एक बोर्ड लगा है। उस पर उनकी फोटो लगी है। फोटो के साथ उनका संदेश लिखा हुआ मिला- मैं भारत के भविष्य के बारे में आश्वस्त हूं। मेरा दृढ़ विश्वास है कि उभरती वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख शक्ति के रूप में भारत का उदय एक ऐसा विचार है, जिसका समय आ गया है। परंपरा को आधुनिकता के साथ तथा एकता को विविधता के साथ मिलाकर यह राष्ट्र दुनिया को आगे का रास्ता दिखा सकता है।

पंजाब यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट में मीटिंग हॉल में लगा बोर्ड, जिस पर मनमोहन सिंह के फोटो के साथ उनका संदेश लिखा है।

पंजाब यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट में मीटिंग हॉल में लगा बोर्ड, जिस पर मनमोहन सिंह के फोटो के साथ उनका संदेश लिखा है।

यूनिवर्सिटी में मनमोहन सिंह की ही चर्चा इसके बाद टीम ने पंजाब यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक्स की चेयरपर्सन डॉ. समिता शर्मा से बात की। उन्होंने कहा कि रात को प्रोफेसर मनमोहन के निधन की खबर मिली। उनसे जुड़ी सारी यादें ताजा हो गईं। कल से ही हम सारे उनसे रिलेटेड बातें कर रहे हैं। सारी यूनिवर्सिटी आज उन्हीं के बारे में बात कर रही है।

उन्होंने कहा कि जब हम यहां पढ़ाई करते थे तो उनका नाम सुनते थे। 1991 में देश में जो इकोनॉमिक्स रिफोर्म लाए गए, वह सारे के सारे मनमोहन सिंह ही लाए थे। इसके लिए लोग उन्हें याद रखते हैं। हमने तो उनके बारे में किताबों में ही पढ़ा है और आगे बच्चों को भी पढ़ाया है।

उन्होंने कहा कि 2018 में मुझे उनसे मिलने का मौका मिला था। एक कार्यक्रम में मनमोहन सिंह आए थे। उनके साथ उनकी पत्नी भी थीं। उनकी पोलाइटनेस मुझे सबसे ज्यादा अच्छी लगी।

डिपार्टमेंट की सीढ़ियां नहीं चढ़ पाए थे मनमोहन सिंह डॉ समिता ने कहा कि तब मनमोहन सिंह डिपार्टमेंट की सीढ़ियां नहीं चढ़ पाए थे। तब उनकी उम्र 85 साल के करीब थी। नीचे ही हमने उनसे सिग्नेचर लिए थे। इस दौरान उन्होंने जो प्यार से बात की, वह हमेशा हमारे साथ रहेगी।

क्वार्टर में फैमिली भी लेकर आए थे मनमोहन सिंह इसके बाद प्रोफेसर यूनिवर्सिटी के अंदर बने उस क्वार्टर (F-15) में ले गए, जहां मनमोहन सिंह करियर की शुरुआती के दिनों में रहे थे। यहां रेनोवेशन का काम चल रहा है। प्रोफेसर बताते हैं कि यहां पर मनमोहन सिंह 3 से 4 साल रहे हैं। उनकी फैमिली भी यहां आई थी।

डायरेक्टर बोले- कैंसर अस्पताल में विश्व स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध जिस होमी भाभा कैंसर अस्पताल की मनमोहन सिंह ने नींव रखी थी, उसके डायरेक्टर आशीष गुलिया ने कहा कि हमें उनके योगदान को याद रखना होगा। 30 दिसंबर 2013 को उन्होंने इस अस्पताल का शिलान्यास किया था। यहां पंजाब के साथ उत्तराखंड, हिमाचल, हरियाणा, जम्मू कश्मीर और राजस्थान समेत अन्य जगहों से मरीज आते हैं। यहां विश्व स्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। पिछले वर्ष यहां 18 हजार से ज्यादा नए कैंसर मरीजों का रजिस्ट्रेशन हुआ।

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