[ad_1]
अंबाला इलेक्ट्रिकल्स अप्लायंस एसोसिएशन के उपप्रधान अशोक मित्तल
अंबाला सिटी। विधानसभा चुनावों के आते ही प्रत्येक वर्ग की तरह उद्यमी वर्ग भी सरकार से कई अपेक्षाएं लगाए हैं लेकिन उद्यमियों का कहना है कि चाहे कोई भी सरकार रही हो सुविधाओं के नाम पर उन्हें हमेशा सिर्फ आश्वासन ही मिला है।
जब भी कोई नई नीति बनाई जाती है तो सरकार की ओर से उनके प्रतिनिधि मंडल की सलाह नहीं ली जाती है। अंबाला के उद्यमियों की सबसे बड़ी समस्या हाल के समय में शंभु सीमा का खुलना है। उद्यमियाें का कहना है कि कोरोना और लॉकडाउन के बाद से ही उनकी हालत ठीक नहीं है। अब जब त्योहार सिर पर हैं, तो पंजाब की सीमा बंद है। अंबाला का पंजाब सीमा से सटे होने के कारण सारा व्यापार पंजाब के बाजारों से जुड़ा है जो अब समाप्त होता जा रहा है।
खर्चे निकालने हुए मुश्किल
अंबाला इलेक्ट्रिकल्स एप्लायंस एसोसिएशन के उपप्रधान अशोक मित्तल ने कहा कि काम पहले से बहुत कम है लेकिन जीएसटी व अन्य खर्चे वही हैं। ऐसे में उन्हें कर्मचारियों को समय पर वेतन देने में भी परेशानी हो रही है। सरकार को उद्यमियों के लिए जीएसटी में भी थोड़ी राहत देनी चाहिए।
शंभू सीमा भी बना चुनौती
उद्यमी विश्वजीत अग्रवाल ने कहा कि पंजाब से सटे होने के कारण अंबाला का व्यापार अधिकतर पंजाब से जुड़ा हुआ है। लेकिन शंभु सीमा बंद होने के कारण सामान मंगवाने में भी अब अधिक समय लग रहा है। इससे नए ऑर्डर भी घट गए हैं। उन्हें उम्मीद है सरकार बनने के बाद शंभू सीमा खुलेगी।
किसी भी सरकार से नहीं मिली राहत
उद्यमी विनोद मित्तल ने बताया कि कोई भी सरकार आए, लेकिन इतने वर्षों में उद्यमियों के लिए कोई राहत देने का काम नहीं हुआ है। जबकि वे सरकार को सबसे अधिक टैक्स देते हैं। इसके साथ ही हजारों लोगों को रोजगार भी देते हैं।
आईएसआई मान्यता भी चुनौती
उद्यमी संजीव कक्कड़ ने बताया कि अंबाला में छोटे उद्यमियों के लिए आईएसआई मान्यता लेनी भी बहुत बड़ी चुनौती है। इसके लिए खर्च बहुत आता है। इसलिए छोटे उद्यमी धीरे- धीरे घटते जा रहे हैं। सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।
अनदेखी के चलते समाप्त हो रहे लघु उद्योग
उद्यमी रमेश कुमार ने कहा कि पहले अंबाला में दरी, कांच, मिक्सी का काम बड़े स्तर पर किया जाता था। घर- घर में राखियां बनाने का भी काम होता था। अनदेखी के चलते दरी और कांच का समाप्त हो गया है। इसके अलावा मिक्सी का काम भी लड़खड़ा रहा है। मिक्सी उद्योग की बड़ी इकाइयां बंद हो चुकी हैं। सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।
उद्योग करना पड़ा बंद
व्यापारी सुनील मित्तल ने बताया कि वह भी पहले भी उपकरण बनाने का काम करते थे। लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि उन्हें एक या दो वस्तुएं खुद से खरीदकर बेचनी पड़ रही है। जहां पहले बड़े- बड़े आर्डर मिलते थे। अब सिर्फ छोटे आर्डर ही आते हैं।
[ad_2]
Source link