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भूकंप में म्यांमार की मदद के साथ भारत ने पहली बार किया सैटेलाइट इंटरनेट का इस्तेमाल Today Tech News

भूकंप में म्यांमार की मदद के साथ भारत ने पहली बार किया सैटेलाइट इंटरनेट का इस्तेमाल Today Tech News

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Satellite Internet: भारत ने हाल ही में म्यांमार में आए भूकंप के दौरान एक अहम कदम उठाया था. इस दौरान भारत ने पहली बार सैटेलाइट आधारित इंटरनेट का वास्तविक समय में इस्तेमाल किया. ‘ऑपरेशन ब्रह्मा’ के तहत म्यांमार के मांडले क्षेत्र में एक विशेष सैटेलाइट टर्मिनल लगाया गया जिससे नई दिल्ली में स्थित बेस से सीधा संपर्क स्थापित किया जा सका. यह प्रयास भारत के लिए तकनीकी क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.

OneWeb ने किया बड़ा काम

NDTV के अनुसार, 28 मार्च को म्यांमार और थाईलैंड में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप के बाद भारत ने तुरंत राहत कार्य शुरू किए. भारतीय सेना ने Eutelsat OneWeb के लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सेवाओं का इस्तेमाल करते हुए मात्र 24 घंटे के भीतर कनेक्टिविटी स्थापित कर ली और एक फील्ड हॉस्पिटल से जुड़ाव बनाया. Eutelsat OneWeb की एशिया पैसिफिक क्षेत्रीय निदेशक निष्ठा कपूर ने इस अनुभव को “सुखद अनुभव” बताया.

OneWeb को 2023 में मिली थी अनुमति

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट बाजार के लिए कई कंपनियां प्रयासरत हैं, जिनमें रिलायंस की Jio, एलन मस्क की Starlink और Eutelsat OneWeb प्रमुख हैं. OneWeb को नवंबर 2023 में भारत में तकनीक का परीक्षण करने की अनुमति मिली थी और बाद में IN-SPACe से व्यावसायिक सेवाएं शुरू करने की मंजूरी भी हासिल हुई. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने अपने GSLV-Mk3 (बाहुबली) रॉकेट से OneWeb के 72 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण भी किया था.

साकार होगा डिजिटल इंडिया का सपना

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OneWeb ने भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने के लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली हैं. कंपनी ने गुजरात और तमिलनाडु में दो गेटवे स्थापित करने की शुरुआती मंजूरी ले ली है. निष्ठा कपूर के अनुसार, “OneWeb भारत के हर कोने में कनेक्टिविटी दे कर सकता है. स्पेक्ट्रम आवंटन मिलते ही सेवा पूरे देश में शुरू हो जाएगी.” हालांकि, OneWeb मुख्य रूप से बिजनेस-टू-बिजनेस (B2B) संचार नेटवर्क है, जबकि Starlink बिजनेस-टू-कस्टमर (B2C) सेवाएं प्रदान करता है.

सैटेलाइट इंटरनेट बाजार में हाल ही में एक दिलचस्प मोड़ आया है, जब Jio प्लेटफॉर्म्स और Airtel ने Starlink के साथ साझेदारी की घोषणा की. Starlink के पास पहले से ही कक्षा में 7,000 छोटे उपग्रह हैं और जल्द ही 5,000 और जोड़े जाएंगे. एक्सपर्ट्स का मानना है कि सैटेलाइट इंटरनेट तकनीक भारत के दूरदराज के इलाकों में डिजिटल कनेक्टिविटी के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने में मदद कर सकती है.

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