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विनेश फोगाट वह महिला पहलवान जिसने पहले अपने देश में महिला पहलवानों की सुरक्षा के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी। कुश्ती संघ के अध्यक्ष भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह ने महिला पहलवानों को नीचा दिखाने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा दिया था।
प्रशासन, सरकार, किसी ने बृजभूषण के खिलाफ कोई सख़्त कार्रवाई लम्बे समय तक नहीं की। फिर विनेश की तबीयत ने साथ नहीं दिया। कुश्ती छोड़ने पर आमादा होना पड़ा। साथियों, परिजनों ने साथ दिया तो इस बार ओलंपिक में पहुँचीं। वहाँ सिल्वर पक्का किया और गोल्ड की दौड़ में थीं।
विनेश 50 किग्रा कुश्ती सेमीफाइनल में क्यूबा की युस्नीलिस गुजमैन को हराकर फाइनल में पहुंची थीं।
हालांकि, ऐन वक्त पर सौ ग्राम ज़्यादा वजन निकलने पर प्रतियोगिता से बाहर होना पड़ा। खबर सुनते ही विनेश बीमार हो गईं। तबीयत ने साथ देना बंद कर दिया। रिंग के भीतर का संघर्ष कम नहीं था, लेकिन इस महिला पहलवान को रिंग के बाहर ज़्यादा संघर्ष करना पड़ा।
खैर, विनेश का संघर्ष उनका निजी नहीं, भारत भर ने इस संघर्ष में उनका साथ दिया और आख़िर उनका वही सम्मान करने का निर्णय लिया जो एक स्वर्ण पदक विजेता का किया जाता है।
महान पीड़ा झेलने के बाद विनेश ने वह कुश्ती, जो उनके जीवन का अभिन्न अंग रहा, उससे ही तौबा कर ली। विनेश ने अपनी माँ को संबोधित करते हुए कहा- अब बहुत हो चुका। कुश्ती जीत गई और मैं हार गई। इन शब्दों के साथ कुश्ती से संन्यास ले लिया।
विनेश फोगाट ने पेरिस ओलिंपिक में डिसक्वालिफाई होने के बाद कुश्ती से संन्यास का ऐलान कर दिया।
इधर, हरियाणा में विनेश को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपिन्दर सिंह हुड्डा ने कहा- मेरे पास विधायकों के नंबर्स नहीं है, वरना मैं विनेश को राज्यसभा में भेज देता।
हुड्डा के इस प्रस्ताव का विनेश के ताऊ महावीर सिंह फोगाट ने यह कहकर मज़ाक़ उड़ाया कि फ़िज़ूल की राजनीतिक स्टंटबाजी मत करिए। अगर आप इतने ही दयालु हैं या थे तो जब आपकी सरकार राज्य में थी तब आपने मेरी बेटियों को राज्यसभा क्यों नहीं भेजा?
फ़िलहाल अगले दो-तीन महीनों में हरियाणा में चुनाव होने वाले हैं और हो सकता है विनेश के प्रति राज्य और देश में पैदा हुई सहानुभूति का फ़ायदा उठाने के लिए कई राजनीतिक दल सामने आ जाएँ।
निश्चित ही विनेश के लिए हर राजनीतिक दल एक टिकट तो ज़रूर सुरक्षित रखेगा। देखना यह है कि विनेश अब कुश्ती से संन्यास लेने के अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार कर वापस रिंग में उतरना चाहेंगी या चुनावी मैदान में अपनी क़िस्मत आज़माएँगी!
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