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भारत में तेजी से बढ़ रहे चिकनगुनिया के मामले, हर साल 51 लाख लोग होते हैं इसका शिकार Health Updates

भारत में तेजी से बढ़ रहे चिकनगुनिया के मामले, हर साल 51 लाख लोग होते हैं इसका शिकार Health Updates

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आजकल मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी हैं. डेंगू, मलेरिया के बाद अब चिकनगुनिया तेजी से फैल रही एक खतरनाक बीमारी बनती जा रही है. यह बीमारी खासकर एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस नामक मच्छरों के काटने से फैलती है. ये वही मच्छर हैं जो डेंगू और जीका वायरस भी फैलाते हैं. 

हाल ही में लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन, नागासाकी यूनिवर्सिटी और सियोल स्थित इंटरनेशनल वैक्सीन इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक शोध किया, जिसमें यह पाया गया कि पूरी दुनिया में हर साल लगभग 1.44 करोड़ लोग चिकनगुनिया के संक्रमण के खतरे में होते हैं. इस अध्ययन में भारत को सबसे ज्यादा प्रभावित देश बताया गया है, जहां हर साल औसतन 51 लाख लोग इस बीमारी की चपेट में आते हैं. इसके बाद ब्राजील और इंडोनेशिया का नंबर है. 

चिकनगुनिया क्या है?
चिकनगुनिया एक वायरल बीमारी है, जो मच्छरों के काटने से फैलती है. इसका सबसे बड़ा प्रभाव शरीर के जोड़ों पर पड़ता है. तेज बुखार, शरीर टूटना, और खासकर जोड़ों में तेज दर्द इसके प्रमुख लक्षण हैं. कई मामलों में यह दर्द महीनों या सालों तक बना रह सकता है, जिससे व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर भी हो सकता है. 

भारत में क्यों बढ़ रहा है खतरा?
भारत की जनसंख्या, जलवायु, साफ-सफाई की स्थिति और बढ़ती शहरीकरण मच्छरों के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करती है. इसके अलावा गंदे पानी का जमा होना, कूलरों, बर्तनों और अन्य जगहों में रुका हुआ पानी, खुले कचरे और सफाई की कमी, बारिश के मौसम में बढ़ती नमी, ये सभी कारण मच्छरों की संख्या में बढ़ोतरी करते हैं और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों को फैलने का मौका देते हैं. ऐसे में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते इसे रोका नहीं गया, तो आने वाले सालों में यह बीमारी ऐसे इलाकों में भी फैल सकती है, जहां अब तक यह मौजूद नहीं थी. शोध में बताया गया है कि आने वाले समय में दुनिया भर में चिकनगुनिया के संक्रमित लोगों की संख्या 3.49 करोड़ तक पहुंच सकती है, जिसमें भारत में 1.21 करोड़ लोग शामिल हो सकते हैं. 

कितना खतरनाक है यह बीमारी?
चिकनगुनिया के कारण लगभग 50 प्रतिशत मरीजों में लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, जिससे वे डेली लाइफ के काम भी नहीं कर पाते है. 80 साल से ज्यादा और बच्चों 10 साल से कम लोगों में यह जानलेवा हो सकता है. वहीं 40 से 60 वर्ष की आयु वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. शोध के अनुसार, चिकनगुनिया के 54 प्रतिशत मामले क्रॉनिक स्तर पर पहुंच जाते हैं. ऐसे में इस बीमारी से बचाव के लिए मच्छरों को पैदा होने से रोकें, घर के आस-पास पानी न जमा होने दें, कूलर, गमले और टंकियों की सफाई करें, शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें, मच्छरदानी या रिपेलेंट का यूज करें, कीटनाशक स्प्रे का यूज करें और बारिश के मौसम में खास ध्यान रखें. 

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