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भारत में क्यों बढ़ रहा है सुसाइड के केस, क्या है असल कारण और इससे बचाव Haryana News & Updates

भारत में क्यों बढ़ रहा है सुसाइड के केस, क्या है असल कारण और इससे बचाव Haryana News & Updates

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फरीदाबाद: देशभर में आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि कई बार लोग सिर्फ अपनी ही जिंदगी खत्म नहीं करते बल्कि अपने बच्चों और परिवार को भी इस खतरनाक कदम में शामिल कर लेते हैं. ऐसे दर्दनाक मामले अब हर जगह से सामने आ रहे हैं जो समाज को झकझोर रहे हैं. सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है और इससे बचाव कैसे किया जा सकता है.

भारत में आत्महत्या के मामलों में तेजी आई है

इस पर फरीदाबाद के अकॉर्ड हॉस्पिटल के आयुर्वेद विभाग की प्रमुख, डॉक्टर अनु शर्मा ने Local18 से बातचीत में बताया कि आजकल पूरे भारत में आत्महत्या के मामलों में तेजी आई है. इसकी सबसे बड़ी वजह मानसिक तनाव और सामाजिक सहयोग की कमी है. लोग आज सोशल मीडिया पर तो ज्यादा एक्टिव रहते हैं लेकिन अपने परिवार, दोस्तों और समाज के साथ वास्तविक जुड़ाव और बातचीत कम हो गई है. ऐसे में व्यक्ति अपने मन की बातें किसी से साझा नहीं कर पाता और धीरे-धीरे अकेलेपन का शिकार हो जाता है.

क्या है कारण

डॉ. अनु के अनुसार ऐसे हालात में व्यक्ति बार-बार एक ही सोच में उलझ जाता है…मैं अब बेबस हो गया हूं मेरे पास कोई सहारा नहीं है मेरा भविष्य खत्म हो चुका है. यही सोच धीरे-धीरे उसे मानसिक आघात की ओर ले जाती है. कई बार वह सोचने लगता है कि उसके जाने के बाद बच्चों की देखभाल कौन करेगा और इसी डर के कारण वह खुद के साथ-साथ अपने बच्चों या परिवार को भी इस कदम में शामिल कर लेता है. यह स्थिति बेहद खतरनाक और चिंता का विषय है.

क्या है बचाव का उपाय

डॉ. अनु ने बताया कि इस समस्या से बचने के लिए सबसे कारगर तरीका योग और आयुर्वेद है. उन्होंने कहा कि प्राणायाम और मेडिटेशन (ध्यान) मानसिक तनाव को कम करने में बेहद असरदार हैं. यदि इन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाया जाए तो दिमाग स्थिर रहता है और नकारात्मक विचारों पर काबू पाया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि आयुर्वेद में भी कई ऐसी औषधियां हैं जो मन को शांत करती हैं और मूड को स्थिर रखने में मदद करती हैं. इनमें ब्राह्मी, शंखपुष्पी और जटामांसी जैसी दवाएं खासतौर पर उपयोगी हैं. ये मूड स्विंग को रोकने और दिमाग को स्थिर रखने में मददगार साबित होती हैं.

पंचकर्म उपचार भी फायदेमंद

डॉ. अनु ने आगे कहा कि आयुर्वेद के पंचकर्म उपचार भी मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं. शिरोधारा, शिरोयंगम और शिरोबस्ती जैसे पंचकर्म की प्रक्रियाएं यदि लगातार 15 दिन ली जाएं तो डिप्रेशन, चिंता और घबराहट जैसी समस्याएं काफी हद तक खत्म हो सकती हैं.

डॉक्टर से परामर्श लेना और काउंसलिंग जरूरी

उन्होंने स्पष्ट कहा कि आत्महत्या कोई सामान्य समस्या नहीं बल्कि एक तरह की बीमारी है. यह व्यक्ति के अपने नियंत्रण में नहीं होती. कोई भी अपनी जिंदगी ऐसे खत्म नहीं करना चाहता, लेकिन हालात और मानसिक स्थिति व्यक्ति को मजबूर कर देती है, इसलिए समय रहते डॉक्टर से परामर्श लेना और काउंसलिंग कराना बेहद जरूरी है.

व्यक्ति खुद को अकेला महसूस न करे

डॉ. अनु का कहना है कि इस स्थिति से बचने का सबसे बड़ा उपाय है कि व्यक्ति खुद को अकेला महसूस न करे. परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताए अपनी बातें साझा करे अपनी डाइट सही रखे और नियमित योग एवं मेडिटेशन को अपनाए. यही वे कदम हैं जो इस संकट को रोकने में मददगार साबित हो सकते हैं.

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