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भारत को स्क्वाड ग्रुप में शामिल होने का न्योता: समुद्र में चीन की दादागिरी रोकना मकसद; फिलीपींस समेत क्वाड के 3 देश इसके मेंबर Today World News

भारत को स्क्वाड ग्रुप में शामिल होने का न्योता:  समुद्र में चीन की दादागिरी रोकना मकसद; फिलीपींस समेत क्वाड के 3 देश इसके मेंबर Today World News

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नई दिल्लीकुछ ही क्षण पहले

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फिलीपींस सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल रोमियो ब्रॉनर रायसीना डायलॉग में शामिल होने दिल्ली पहुंचे थे।

फिलीपींस ने साउथ चाइना-सी में चीन की विस्तारवादी नीतियों से मुकाबला करने के लिए भारत और दक्षिण कोरिया को ‘स्क्वाड ग्रुप’ में शामिल होने का न्योता दिया है।

फिलीपींस सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल रोमियो ब्रॉनर रायसीना डायलॉग में शामिल होने के लिए कल दिल्ली पहुंचे थे। यहां उन्होंने साउथ चाइना-सी में चीन के अवैध कब्जे की रणनीति पर चर्चा की।

जनरल ब्रॉन ने बताया कि चीन साउथ चाइना-सी 3 आर्टिफिशयल आईलैंड्स का निर्माण कर रहा है। इसके साथ मिसचीफ रीफ पर एयर डिफेंस और मिसाइल सिस्टम के लिए 2.7 किमी का रनवे भी तैयार कर रहा है।

जनरल ब्रॉनर ने कहा-

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हमारा मानना है चीन को रोका नहीं गया तो वो पूरे दक्षिण चीन सागर पर कंट्रोल कर लेगा। चीन ताइवान स्ट्रेट पर दावेदारी करता है जो अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन है।

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भारत, दक्षिण कोरिया और चीन ने अभी तक इस पर कोई सार्वजनिक जवाब जवाब नहीं दिया है।

रायसीना में डायलॉग में शामिल हुए ऑस्ट्रेलिया से एडमिरल जस्टिन जोन्स, अमेरिका से एडमिरल सैमुअल पापारो, भारत से एडमिरल दिनेश त्रिपाठी, फिलीपींस से चीफ ऑफ स्टाफ जनरल रोमियो ब्रॉनर, जापान से चीफ ऑफ स्टाफ जनरल योशीहिदे योशिदा और ब्रिटिश न्यूज प्रेजेंटर यल्दा हकीम।

रायसीना में डायलॉग में शामिल हुए ऑस्ट्रेलिया से एडमिरल जस्टिन जोन्स, अमेरिका से एडमिरल सैमुअल पापारो, भारत से एडमिरल दिनेश त्रिपाठी, फिलीपींस से चीफ ऑफ स्टाफ जनरल रोमियो ब्रॉनर, जापान से चीफ ऑफ स्टाफ जनरल योशीहिदे योशिदा और ब्रिटिश न्यूज प्रेजेंटर यल्दा हकीम।

ब्रॉनर बोले- चीन हमारा दुश्मन है ब्रॉनर ने बाद में मीडिया से कहा कि भारत और हमारे बीच कई समानताएं हैं, क्योंकि हमारा दुश्मन एक है। मुझे यह कहने में कोई डर नहीं है कि चीन हमारा दुश्मन है। इसलिए, यह जरूरी है कि हम एक साथ मिलकर काम करें। हमारे देश की पहले से ही भारतीय सेना और रक्षा उद्योग के साथ साझेदारी है।

स्क्वाड ऑस्ट्रेलिया, जापान, फिलीपींस और अमेरिका का एक अनौपचारिक बहुपक्षीय ग्रुप है। इस ग्रुप ने साल 2023 में दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस के स्पेशल इकोनॉमिक जोन में जॉइंट समुद्री एक्टिविटी की थी। फिलहाल इस ग्रुप का मुख्य फोकस सीक्रेट जानकारी शेयर करने और जॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज पर है।

गौरतलब है कि भारत पहले ही से ही ‘क्वाड ग्रुप’ का मेंबर है, जिसमें ‘स्क्वाड’ के तीन सदस्य ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान शामिल हैं। इसका फोकस हिंद-प्रशांत महासागर, यानी इंडो-पेसिफिक ओशन पर है, जहां चीन लगातार अपना दबदबा बढ़ा रहा है।

क्या है दक्षिण चीन सागर विवाद

  • साउथ चाइना सी का इलाका इंडोनेशिया और वियतनाम के बीच है, जो करीब 35 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है। माना जाता है कि इस इलाके में प्राकृतिक संसाधनों की बहुलता है।
  • दक्षिण चीन सागर के क्षेत्रों को लेकर कई देशों के बीच पुराना विवाद है। यह विवाद समुद्री क्षेत्र पर अधिकार और दबदबे को लेकर है। इसमें पारासेल और स्प्रैटली शामिल हैं। पारासेल और स्प्रैटली आइलैंड्स पर कई देशों ने अपना पूरा अधिकार बताया है तथा कई देशों ने आंशिक रूप से इसे अपने नियंत्रण क्षेत्र का हिस्सा बताया है।
  • माना जाता है कि दक्षिण चीन सागर के समुद्र में तेल और गैस के कई विशाल भंडार दबे हुए हैं। यही भंडार इस इलाके के कई देशों के बीच विवाद का कारण बन गए हैं। इसके अलावा यहां दर्जनों निर्जन चट्टानी इलाके, रेतीले तट, प्रवाल द्वीप आदि हैं, जो विवाद का कारण हैं। यहां का समुद्री रास्ता भी व्यापार के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है।

भारत के लिए भी अहम

  • समुद्र के रास्ते होने वाले भारत के कुल व्यापार का करीब 55% इसी इलाके से होता है, इसलिए दक्षिण चीन सागर भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। यहां पर उपजे तनाव से भारत के समुद्री कारोबार पर असर पड़ सकता है। यदि चीन पूरे क्षेत्र पर अपना कब्जा जमाने में कामयाब हो गया तो भारत के व्यापारिक जहाजों के बेरोकटोक आने-जाने पर असर पड़ेगा।
  • वियतनाम सरकार ने भारत सरकार की तेल और गैस कंपनी ओएनजीसी के साथ एक समझौता किया था। इसके मुताबिक-ओएनजीसी वियतनाम के छोटे द्वीपों में तेल और गैस की खोज करेगी। चीन ने इस पर कड़ा विरोध जताया था, जबकि भारत ने कहा था कि दक्षिण चीन सागर पूरी दुनिया के लिए है। अमेरिका भी यही कहता है।
  • अमेरिका का कहना है कि कई देशों के पास ऐसे नक्शे हैं, जिनसे पता चलता है कि एक सदी से भारत, अरब और मलय के व्यापारी दक्षिण चीन सागर में अपने समुद्री जहाजों को ले जाते थे और इसी समुद्र के माध्यम से व्यापार करते थे।

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