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डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की तरफ से जवाबी सीमा शुल्क लगाने की धमकियों के बीच भारत और अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारी बुधवार को यहां प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर तीन-दिवसीय वार्ता शुरू करेंगे। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। समझौते पर औपचारिक रूप से बातचीत शुरू करने के लिए अमेरिका के दक्षिण एवं पश्चिम एशिया के लिए सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रैंडन लिंच अधिकारियों की एक टीम के साथ इस समय भारत आए हुए हैं। लिंच वाणिज्य विभाग में अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल के साथ चर्चा करेंगे।

समझौते की रूपरेखा तय होगी
अधिकारी ने कहा कि दोनों पक्ष अपने विचार-विमर्श के दौरान समझौते की रूपरेखा, वार्ता कार्यक्रम और संदर्भ की शर्तों को अंतिम रूप देंगे। इस समझौते को दो चरणों में अंतिम रूप दिया जाएगा और पहले चरण में वस्तु व्यापार से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है। भारत और अमेरिका इस साल सितंबर-अक्टूबर तक समझौते के पहले चरण या हिस्से को पूरा करने का लक्ष्य बनाकर चल रहे हैं। आमतौर पर ऐसे व्यापार समझौतों में दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार वाले अधिकतम (90-95 प्रतिशत) उत्पादों पर आयात शुल्क को काफी कम या शून्य कर देते हैं। इसके अलावा सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को भी आसान बनाया जाता है।
कई देशों के साथ हुए समझौते
भारत ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के साथ इस तरह के समझौते किए हुए हैं। जहां अमेरिका ने कुछ औद्योगिक वस्तुओं, वाहन, शराब और कृषि जैसे क्षेत्रों में अधिक बाजार पहुंच की मांग की है वहीं भारत कपड़ा जैसे श्रम-बहुल क्षेत्रों के लिए शुल्क में कटौती पर विचार कर सकता है। लिंच की यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारत पर जवाबी सीमा शुल्क लगाने की घोषणा के बीच हो रही है। ट्रंप ने दो अप्रैल से यह शुल्क लगाने की घोषणा की है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ट्रंप की घोषणा के बीच मार्च की शुरुआत में वाशिंगटन की यात्रा की थी। उन्होंने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर और अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक के साथ बातचीत की थी।
अमेरिका की प्रतिबद्धता का उदाहरण
इस बीच, मुंबई में अमेरिका के महावाणिज्यदूत माइक हैंकी ने लिंच की भारत यात्रा पर कहा कि यह प्रयास भारत के साथ निष्पक्ष और संतुलित व्यापार के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता का उदाहरण है। हैंकी ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि इन चर्चाओं से रचनात्मक, न्यायसंगत और दूरदर्शी समाधान निकल सकते हैं।’’ मुंबई स्थित अमेरिकी महावाणिज्यदूत ने यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल के एक कार्यक्रम में ट्रंप के कदम को सही ठहराते हुए कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जवाबी शुल्क लगाकर शुल्कों के असंतुलन को ठीक कर रहे हैं। न

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