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भारतीय वैज्ञानिकों को Breast Cancer से जुड़ी बड़ी कामयाबी, अब लाइलाज नहीं रही बीमारी! Health Updates

भारतीय वैज्ञानिकों को Breast Cancer से जुड़ी बड़ी कामयाबी, अब लाइलाज नहीं रही बीमारी! Health Updates

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Breast Cancer : ब्रेस्ट कैंसर को लेकर भारतीय वैज्ञानिकों ने बड़ी कामयाबी हासिल की है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स (NIBMG), कल्याणी और टाटा मेमोरियल सेंटर (TMC), मुंबई के शोधकर्ताओं ने मिलकर तीन जीन में म्यूटेशन और अन्य असामान्य आनुवंशिक तंत्रों की पहचान की है, जो ब्रेस्ट कैंसर का इलाज करा चुकी महिलाओं में इस बीमारी के दोबारा से होने का जोखिम बढ़ाते हैं.

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शोधकर्ताओं ने कहा है कि इस स्टडी में पाया गया है कि जेनेटिक टेस्टिंग संभव हो सकते हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों में बीमारी के दोबारा से होने की आशंका का अनुमान लगाएंगे, जिससे इलाज करने में मदद मिल सकती है.

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कितनी कारगर ये खोज

वैज्ञानिकों ने पाया कि 3 जीन म्यूटेशन वाली महिलाओं में हार्मोन रिसेप्टर पॉजिटिव स्तन कैंसर (Breast Cancer) के इलाज के 5 साल में फिर से होने का खतरा 2.4 गुना अधिक होता है, जो भारत सहित दुनिया भर में ऐसे ट्यूमर का 50 से 60 प्रतिशत है. हार्मोन-रिसेप्टर ब्रेस्ट कैंसर के ज्यादातर मरीजों, एंटी-एस्ट्रोजन मॉलीक्यूल और अन्य कैंसर की दवाओं के साथ कथित तौर पर एंडोक्राइन थेरेपी के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं, लेकिन ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित सभी महिलाओं में से 20 से 40 प्रतिशत में यह दोबारा से हो जाता है.

दोबारा से कैसे हो जाता है ब्रेस्ट कैंसर

कम्युनिकेशन्स बायोलॉजी में पब्लिश इस स्टडी के अनुसार, हॉरमोन-रिसेप्टर-पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर वाले ब्रेस्ट कैंसर मरीजों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा एंडोक्राइन थेरेपी के प्रति प्रतिरोध पैदा करता है. ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में पाया गया कि इस तरह के प्रतिरोध के कारण 10 प्रतिशत दोबारा से होने का रिस्क और 30 प्रतिशत तक मेटास्टेसिस होता है, जो कि ब्रेस्ट कैंसर ट्यूमर के हड्डियों, लिवर या फेफड़ों जैसे अन्य अंगों में फैलने की कंडीशन है.

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क्या कहते हैं वैज्ञानिक

NIBMG में एसोसिएट प्रोफेसर और कैंसर जीनोमिक्स एक्सपर्ट और स्टडी को लीड करने वाले निधान बिस्वास ने बताया कि इस प्रतिरोध के पीछे के जेनेटिक सिस्टम की पूरी जानकारी नहीं है. यह अध्ययन इस प्रतिरोध में मदद देने वाले जेनेटिक फैक्टर्स की जांच करने के लिए डिज़ाइन किया गया था. बिस्वास ने टीएमसी में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर सुदीप गुप्ता और अन्य के साथ मिलकर एंडोक्राइन थेरेपी-रिएक्टिव ट्यूमर वाली 20 महिलाओं और एंडोक्राइन थेरेपी-प्रतिरोधी ट्यूमर वाली 20 महिलाओं के ट्यूमर टिश्यू के सैंपल से जीनोम का एनालिसिस किया. 

उन्होंने 40 प्रतिशत इलाज-प्रतिरोधी ट्यूमरों में PIK3CA, ESR1 और TP53 नाम के तीन खास जीनों में म्यूटेशन पाया, जबकि थेरेपी-रिएक्टिव ट्यूमरों में सिर्फ 5 प्रतिशत में ही म्यूटेशन पाया, जो बताता है कि म्यूटेशन से ही ब्रेस्ट कैंसर दोबारा से होने का खतरा बढ़ता है. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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