भाजपा सांसद किरोड़ी को राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित करने की मांग, धुर विरोधी हुडला बोले- दूंगा 1 करोड़ का चंदा; जानें मामला 


विधानसभा चुनाव 2023 से पहले पूर्वी राजस्थान में नए समीकरण बन रहे हैं। बीजेपी सांसद किरोड़ीलाल मीना के धुर विरोधी निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुडला ने कहा कि पीएम मोदी किरोड़ीलाल को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करें। वह एक करोड़ का चंदा और वोट देंगे। विधानसभा चुनाव में महुवा विधानसभा क्षेत्र से किरोड़ी के भतीजे को हराकर सुर्खियों में आए विधायक ओमप्रकाश हुडला ने  बयान देकर सुलह के संकेत दिए है। दोनों नेताओं के बीच गाहे-बगाहे 36 का आंकड़ा रहा है। दोनों नेताओं के बीच कई बार हाॅट टाॅक हो चुकी है। जानकारों का कहना है कि निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुडला का यू टर्न लेना उनकी सियासी मजबूरी है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में किरोड़ी लाल की दखल की वजह से हुडला को भाजपा ने टिकट नहीं दिया था। इससे नाराज होकर हुडला ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और भाजपा प्रत्याशी को हरा दिया। दौसा जिले के महुवा विधायक हुडला का यू टर्न लेना चौंकाने वाला है। 

किरोड़ी- हुडला के  सियासी दुश्मनी जगजाहिर

विधायक ओमप्रकाश हुडला की किरोड़ीलाल से सियासी दुश्मनी जगजाहिर है। लेकिन हुडला ने किरोड़ी लाल को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने की मांग करके सबको चौंका दिया है। हुडला ने चुवाव खर्च के लिए 1 करोड़ रुपये देने का एलान भी कर दिया। हुडला ने अपने जन्मदिन पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि किरोड़ीलाल से उनकी राजनीतिक अदावत हो सकती है। लेकिन राजस्थान की धरती पर किरोड़ी लाल ने 40 साल तक राजनीति की है। लोगों की सेवा की है। ऐसे में मैं पूरे आदिवासी समाज की ओर से पीएम मोदी से मांग करता हूं कि 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए किरोड़ी लाल को उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए। किरोड़ी लाल को एक करोड़ रुपये का चंदा दूंगा। अपना वोट भी दूंगा। विधायक हुडला के बयान के बाद पूर्वी राजस्थान के सियासी समीकरण बदलने के आसार है। 

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दोनों नेताओं के बीच रही है पुरानी अदावत

उल्लेखनीय है कि दौसा जिले की राजनीति में भाजपा सांसद किरोड़ीलाल और विधायक हुडला की पुरानी अदावत रही है। भाजपा आलाकमान ने किरोड़ी के विरोध के बावजूद हुडला को टिकट दिया था। ओमप्रकाश हुडला पहली बार भाजपा के टिकट पर विधायक बने थे, लेकिन 2018 के चुनाव में भाजपा ने हुडला को टिकट न देकर किरोड़ी के भतीजे के दे दिया। इससे नाराज होकर हुडला ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। दोनों नेताओं के बीच लंबे समय से राजनीति अदावत चल रही है। 

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