संवाद न्यूज एजेंसी
करनाल। सेक्टर आठ के चांद एन्क्लेव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य मिथलेश नंदन कौशिक ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा सुनने मात्र से ही मनुष्य का कल्याण हो जाता है। भागवत कथा ज्ञान का वह भंडार है, जिसके वाचन और सुनने से वातावरण में शुद्धि तो आती ही है, साथ ही मन और मस्तिष्क भी स्वच्छ हो जाता है।
कथा के पांचवें दिन आचार्य मिथिलेश नंदन ने कंस वध, कृष्ण रुक्मिणी विवाह का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण से उन्हें पति रूप में पाने की इच्छा प्रकट की। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों की इस कामना को पूरी करने का वचन दिया। अपने वचन को पूरा करने के लिए भगवान ने महारास का आयोजन किया।
इसके लिए शरद पूर्णिमा की रात को यमुना तट पर गोपियों को मिलने के लिए कहा गया। सभी गोपियां सज-धजकर नियत समय पर यमुना तट पर पहुंच गईं। कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनकर सभी गोपियां अपनी सुध-बुध खोकर कृष्ण के पास पहुंच गईं। इसके बाद भगवान ने रास आरंभ किया।
माना जाता है कि वृंदावन स्थित निधिवन ही वह स्थान है, जहां श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। यहां भगवान ने एक अद्भुत लीला दिखाई थी, जितनी गोपियां उतने ही श्रीकृष्ण के प्रतिरूप प्रकट हो गए। सभी गोपियों को उनका कृष्ण मिल गया और दिव्य नृत्य व प्रेमानंद शुरू हुआ। रुक्मिणी विवाह का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने सभी राजाओं को हराकर विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी को द्वारका में लाकर उनका विधिपूर्वक पाणिग्रहण किया।
प्रधान रमेश जिंदल ने बताया कि कथा महोत्सव सेक्टर आठ पार्ट-1 में नंबर चार पार्क में आयोजित किया जा रहा है। कथा का समय दोपहर तीन बजे शाम 6.15 बजे तक रखा गया है। महायज्ञ 23 नवंबर को होगा, जिसमें पूर्णाहुति डाली जाएगी। इस मौके पर सचिव सत्यदेव शर्मा, सुरेंद्र पाल शर्मा, राजीव गुप्ता आदि मौजूद रहे।
भागवत कथा सुनने मन, मस्तिष्क होता स्वच्छ : मिथलेश