भवन निर्माण को और सुरक्षित करने की तैयारी


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गुरुग्राम। हरियाणा बिल्डिंग कोड-2017 में संशोधन करके संशोधित प्रावधानों को लागू करने की तैयारी की जा रही है। इसमें भवन निर्माण को और सुरक्षित बनाने की प्रक्रिया पर जोर दिया गया है।
भवन का मुआयना करने वाले इंजीनियर की योग्यता और अनुभव के भी नए मानक तय किए गए हैं। जियोटेक्निकल इंजीनियर व भू-तकनीकी अभियंता को पोस्ट ग्रेजुएट होना अनिवार्य है। साथ ही इस क्षेत्र में उसे 10 वर्ष का अनुभव होना चाहिए।
उच्च जोखिम वाले भवनों में संरचनात्मक सुरक्षा उपाय करने के लिए बिल्डिंग प्लान के प्रावधानों को और चुस्त किया गया है। 70 मीटर से अधिक ऊंची इमारत के निर्माण के लिए भू तकनीकी अभियंता से भी अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा। निर्माण के दौरान थर्ड पार्टी के निरीक्षण के लिए भी वह संरचनात्मक इंजीनियरिंग की राष्ट्र स्तर की संस्था से संबद्ध होना चाहिए। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग और लोक निर्माण विभाग भी इस प्रक्रिया को अंजाम दे सकता है। निर्माण कार्य से जुड़ी शिकायतों के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन होगा, जो इस प्रकार की शिकायतों का तेज गति से निस्तारण करेगी।
बिल्डर प्रोजेक्ट के निर्माण के बाद आवंटी को ड्राइंग और ले आउट उपलब्ध कराएगा। फ्लैट की मूल ड्राइंग में बदलाव बिना संरचनात्मक इंजीनियर की स्वीकृति के नहीं हो सकेगा। रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) की जिम्मेदारी होगी कि वह देखे कि किसी भी फ्लैट में बिना उनकी जानकारी के कोई बदलाव किए जाने का काम तो नहीं किया जा रहा है।

गुरुग्राम। हरियाणा बिल्डिंग कोड-2017 में संशोधन करके संशोधित प्रावधानों को लागू करने की तैयारी की जा रही है। इसमें भवन निर्माण को और सुरक्षित बनाने की प्रक्रिया पर जोर दिया गया है।

भवन का मुआयना करने वाले इंजीनियर की योग्यता और अनुभव के भी नए मानक तय किए गए हैं। जियोटेक्निकल इंजीनियर व भू-तकनीकी अभियंता को पोस्ट ग्रेजुएट होना अनिवार्य है। साथ ही इस क्षेत्र में उसे 10 वर्ष का अनुभव होना चाहिए।

उच्च जोखिम वाले भवनों में संरचनात्मक सुरक्षा उपाय करने के लिए बिल्डिंग प्लान के प्रावधानों को और चुस्त किया गया है। 70 मीटर से अधिक ऊंची इमारत के निर्माण के लिए भू तकनीकी अभियंता से भी अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा। निर्माण के दौरान थर्ड पार्टी के निरीक्षण के लिए भी वह संरचनात्मक इंजीनियरिंग की राष्ट्र स्तर की संस्था से संबद्ध होना चाहिए। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग और लोक निर्माण विभाग भी इस प्रक्रिया को अंजाम दे सकता है। निर्माण कार्य से जुड़ी शिकायतों के लिए एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन होगा, जो इस प्रकार की शिकायतों का तेज गति से निस्तारण करेगी।

बिल्डर प्रोजेक्ट के निर्माण के बाद आवंटी को ड्राइंग और ले आउट उपलब्ध कराएगा। फ्लैट की मूल ड्राइंग में बदलाव बिना संरचनात्मक इंजीनियर की स्वीकृति के नहीं हो सकेगा। रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) की जिम्मेदारी होगी कि वह देखे कि किसी भी फ्लैट में बिना उनकी जानकारी के कोई बदलाव किए जाने का काम तो नहीं किया जा रहा है।

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