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गांव नरसिंहवास के भक्त शिव कांवड़ यात्रा निकालते हुए।
चरखी दादरी। गांव नरसिंहवास से भक्तों के जत्था ने महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में हरिद्वार से कांवड़ यात्रा शुरू की है। महाशिवरात्रि को ये भक्त गांव में शिवलिंग पर जलाभिषक करेंगे। जत्थे में गांव नरसिंहवास, नंदगांव व अन्य कई गांवों के शिव भक्त भी शामिल हैं। गांव नरसिंहवास में करीब 40 वर्ष से फाल्गुन मास में कांवड़ लाई जाती है।
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भक्त मदनलाल शर्मा ने बताया कि कांवड़ यात्रा में 82 वर्षीय प्रेम, 70 वर्षीय रोशनलाल, परसराम शास्त्री, धर्मवीर नान्ही, कैलाश शर्मा, जगदीश नंदगांव, अनिल, सूरजमल, अशोक, मुकेश, प्रदीप शास्त्री आदि शामिल हैं। ये शिव भक्त पैदल यात्रा कर गांव के शिव मंदिर में पहुंचेगे और शिवरात्रि पर्व पर जलाभिषेक किया जाएगा।
बाबा शिव गिरी ने कहा कि महादेव को देवों का देव कहा जाता है, इनके अंतर में ही सृष्टि का सार समाया हुआ है। प्रत्येक प्राणी जगत व सृष्टि के प्रत्येक कण में इनका सुक्ष्म जीव विद्यमान है। 26 फरवरी को महादेव व पार्वती विवाह की वेला होगी। शिव गिरीे ने कहा कि कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि कांवड़ यात्रा से शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से जो विष निकला था, उसे भगवान शिव ने दुनिया को बचाने के लिए पी लिया था जिसके बाद से भगवान शिव को नीलकंठ भी कहा जाने लगा। विष पीने के बाद भगवान का गला नीला हो गया था। भगवान शिव के विष का सेवन करते ही दुनिया तो बच गई जबकि भगवान शिव का शरीर जलने लगा। ऐसे में भोलेनाथ के शरीर को जलता देखकर देवताओं ने उन पर जलाभिषेक किया।
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भगवान शिव के अंतर में ही सृष्टि का सार समाया : बाबा शिवगिरी