in

ब्रह्मा चेलानी का कॉलम: भारत और अमेरिका के रिश्ते टैरिफ के सवाल पर उलझे Politics & News

ब्रह्मा चेलानी का कॉलम:  भारत और अमेरिका के रिश्ते टैरिफ के सवाल पर उलझे Politics & News

[ad_1]

  • Hindi News
  • Opinion
  • Brahma Chellaney’s Column India US Relations Entangled On The Issue Of Tariff

5 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

ब्रह्मा चेलानी पॉलिसी फॉर सेंटर रिसर्च के प्रोफेसर एमेरिटस

मोदी से मिलने से पहले ट्रम्प ने ‘जैसे को तैसा टैरिफ’ की बात कही और मोदी से मुलाकात के बाद उन्हें ‘टफ नेगोशिएटर’ करार दिया। ट्रम्प की रणनीति टैरिफ की धमकी का इस्तेमाल करके मोदी सरकार को उनके पसंद की ट्रेड-डील स्वीकारने के लिए मजबूर करने की हो सकती है। यही उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान जापान के साथ किया था।

उन्होंने भारत के साथ भी ऐसा करने की कोशिश की थी, लेकिन नाकाम रहे। इसलिए उन्होंने भारत से उसका स्पेशल ट्रेड स्टेटस छीन लिया था और जवाब ने भारत ने कुछ अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाया था। दोनों देशों के रिश्ते टैरिफ के सवाल पर आकर उलझ गए हैं।

हालांकि ट्रम्प के पहले कार्यकाल में भारत और अमेरिका के संबंध मजबूत हुए थे। बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद यूक्रेन युद्ध समेत दूसरे मुद्दों पर मतभेद उभरे। मोदी की अमेरिका यात्रा का सबसे प्रमुख लक्ष्य यही रहेगा कि इस महत्वपूर्ण संबंध को फिर से पहले वाली स्थिति में लाया जाए।

ट्रम्प ने हमेशा ही यह जताया है कि अगर किसी देश के नेता के साथ उनके मधुर संबंध होंगे तो दोनों देशों के संबंधों में भी गरमाहट आएगी। फिर उनमें और मोदी में समानताएं भी हैं। दोनों ही राष्ट्रीय हितों को सबसे ऊपर रखने वाले नेता हैं और आमजन में लोकप्रिय हैं।

दोनों ही श्रोताओं को प्रसन्न करने वाली बातें अपने खास अंदाज में कहना जानते हैं। 2019 में ह्यूस्टन में दोनों ने एक साथ रैली की थी। इसके बाद 2020 में मोदी ने अहमदाबाद में ट्रम्प की अगुवाई की, जिन्होंने 100,000 से अधिक लोगों को संबोधित किया था। तब उन्होंने श्रोताओं की करतलध्वनि के बीच कहा था कि ‘अमेरिका लव्स इंडिया!’

रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत-अमेरिका संबंधों में खासतौर पर खटास आई थी। अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध लगाने के लिए अपने सहयोगियों को एकजुट किया, लेकिन भारत ने तटस्थ रहकर सस्ता रूसी तेल खरीदने का फैसला किया। यह अमेरिका को खटक गया। म्यांमार के मुद्दे पर भी मतभेद रहे।

बाइडेन प्रशासन म्यांमार पर कड़े प्रतिबंध लगाकर और वहां के विद्रोही समूहों को सहायता देकर म्यांमार की सैन्य सरकार को कमजोर करनाचाहता था। लेकिन इस नीति ने भारत के सीमावर्ती राज्य मणिपुर में बढ़ती अस्थिरता में योगदान दिया है।

बाइडेन ने पाकिस्तान की फौज के द्वारा समर्थित वहां की हुकूमत का भी तुष्टीकरण किया और उसे एफ-16 लड़ाकू विमानों के बेड़े को अपग्रेड करने के लिए 2022 में 450 मिलियन डॉलर के सौदे को मंजूरी दी। बाइडेन ने बांग्लादेश की भारत-समर्थक सरकार गिरने के बाद वहां की सेना के सहयोग से स्थापित अंतरिम सरकार का स्वागत भी किया।

अपनी धरती पर सिख अलगाववादी नेताओं के प्रति अमेरिका के दृष्टिकोण ने भी भारत की नाराजगी बढ़ाई। बाइडेन प्रशासन के तहत, अमेरिका ने अमेरिका-कनाडा में खालिस्तानी उग्रवादियों के खिलाफ कथित हत्या की साजिश में भारत की संलिप्तता मानते हुए इसकी जांच की।

पिछले सितंबर में, व्हाइट हाउस के वरिष्ठ और अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने अलगाववादियों से मुलाकात करते हुए उन्हें आश्वासन दिया कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय दमन से बचाया जाएगा। इसके बाद अमेरिका ने एक पूर्व भारतीय खुफिया अधिकारी पर न्यूयॉर्क स्थित एक मोस्ट वांटेड खालिस्तानी उग्रवादी की हत्या की असफल साजिश का आरोप भी भारत के माथे पर मढ़ दिया गया था।

इस पृष्ठभूमि में यह देखना आसान है कि पिछले नवंबर के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रम्प की जीत ने भारत-अमेरिका संबंधों में बदलाव की उम्मीदें क्यों जगाई थीं। ट्रम्प ने बार-बार यूक्रेन युद्ध को शीघ्र समाप्त करवाने का वादा किया है, जिसका यह भी अर्थ है कि उस संघर्ष में किसी एक पक्ष को चुनने का विकल्प अब मायने नहीं रखेगा। हालांकि टैरिफ बढ़ाने से लेकर अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करने तक, ट्रम्प के कुछ निर्णयों ने भारत में कुछ त्योरियां चढ़ाई हैं।

हकीकत यह है कि अमेरिका में ट्रम्प से भेंट करने से पहले ही मोदी ने अमेरिकी आयात पर टैरिफ में कटौती कर दी थी, इस उम्मीद में कि इससे भारत ‘टैरिफ मैन’ कहलाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति की नजरों से दूर रहेगा। अलबत्ता ट्रम्प ने भारत को अपने स्टील और एल्युमीनियम शुल्कों से नहीं बख्शा है।

वे चाहते हैं कि भारत अमेरिका से अधिक तेल-पेट्रोलियम उत्पाद और हथियार खरीदकर अपने 35 अरब डॉलर के द्विपक्षीय ट्रेड-सरप्लस को खत्म कर दे। ट्रम्प कभी इस बात की चिंता नहीं करते कि उनके व्यापार समझौते दोनों पक्षों के लिए बराबरी से लाभकारी हों।

टैरिफ से अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त हो सकती है, पर केवल मामूली रूप से। ट्रम्प का ‘अमेरिका फर्स्ट’ मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ से टकराता है। एशिया में भारत की रणनीतिक स्थिति ट्रम्प को रियायत देने को मजबूर कर सकती है। (© प्रोजेक्ट सिंडिकेट)

खबरें और भी हैं…

[ad_2]
ब्रह्मा चेलानी का कॉलम: भारत और अमेरिका के रिश्ते टैरिफ के सवाल पर उलझे

नगर निकाय चुनाव : थानेसर नगर परिषद के सात वार्डों की चुनावी जंग में उतरे आठ प्रत्याशी Latest Haryana News

नगर निकाय चुनाव : थानेसर नगर परिषद के सात वार्डों की चुनावी जंग में उतरे आठ प्रत्याशी Latest Haryana News

VIDEO : अंबाला में महिला का ATM कार्ड बदलकर लगाई मोटी चपत Latest Haryana News

VIDEO : अंबाला में महिला का ATM कार्ड बदलकर लगाई मोटी चपत Latest Haryana News