ब्रह्मसरोवर, सन्निहित सरोवर की हालत खस्ता


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ब्रह्मसरोवार, सन्निहित सरोवर की व्यवस्था चरमराई हुई है। कहीं घाटों से पत्थर उखड़े हैं तो कहीं रेलिंग टूटी है। कहीं शौचालय बदहाल है तो कहीं पेयजल से लेकर बिजली व्यवस्था भी सही नहीं है। पानी भी पूरी तरह से बदला नहीं जा सका। यहां 25 अक्तूबर को इस वर्ष का दूसरा सूर्य ग्रहण मेले का आयोजन होगा। यह देश में दिखाई देने वाला पहला सूर्यग्रहण माना जा रहा है, जिसके चलते मेले में करीब 10 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है, लेकिन ब्रह्मसरोवर व सन्निहित सरोवर के हालात बहुत दयनीय बनी हुई है, हालांकि प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा है कि मेले तक तैयारी पूरी कर ली जाएगी, लेकिन बदहाल हुए दोनों सरोवरों को देख यह दावे खरे उतर पाएंगे या नहीं, यह समय पर ही पता चल सकेगा।
ब्रह्मसरेवर पर रेलिंग से आगे गहरे पानी को लेकर चेतावनी के वर्षों पुराने बोर्ड लगाए हुए हैं, लेकिन इनके पास से ही अनेकों जगह रेलिंग टूटी पड़ी है। सन्निहित सरोवर पर भी यही हालात बने हुए हैं। ऐसे में स्नान करते समय भीड़ में कोई भी हादसा होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। ब्रह्सरोवर के वीवीआइपी घाट की भी अभी तक सुध नहीं ली गई है। जहां सफाई व्यवस्था यहां चरमराई हुई है तो वहीं बनाए गए डीलक्स शौचालक भी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। चारों ओर से ताले लगे शौचालक खस्ताहाल है। घाटों के आसपास टाइलें उखड़ी है तो बिजली की तारें भी ज्यों की त्यों लटकी है।
ब्रह्मसरोवर व सन्निहित सरोवर पर भले ही व्यवस्था को लेकर लाखों रुपये हर साल खर्च किए जाते रहे हैं, लेकिन यहां आज तक भी सीसीटीवी कैमरे तक नहीं लगवाए जा सके। ब्रह्मसरोवर पर महज दो सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, जो लंबे समय से खस्ताहाल में है। ऐसे में यहां आने वाले श्रद्धालु व पर्यटकों के साथ कोई भी वारदात को अंजाम देकर निकल सकता है।
मुंबई से कुरुक्षेत्र भ्रमण करने आए जयंत पाटिल ने बताया कि उन्होंने ब्रह्मसरोवर के बारे में काफी सुना था। वे यहां भ्रमण पर आए तो स्नान भी किया, लेकिन उन्हें यहां ब्रह्सरोवर के हालात देख बड़ी ठेस लगी है। सोचा न था ऐसे हालात होंगे। जितनी मान्यता इस सरोवर की है, उसके अनुसार तो यहां कुछ भी नहीं दिखा। घाट से लेकर हर चीज खस्ताहाल में हैं। सरकार को सुध लेनी चाहिए।
ब्रह्मसरोवर पर स्नान करने पहुंचे जयभगवान का कहना है कि दोनों ही सरोवर की हालत बेहद खराब है। यहां न सफाई है, न घाटों की मरम्मत की जा रही। इतने बड़े आयोजन इन सरोवरों पर होते हैं। लाखों लोग पहुंचते हैं। इस बार भी मेले में लाखों लोग पहुंचेंगे, लेकिन यहां हालात देख नहीं लगता कि प्रशासन तैयारी को लेकर गंभीर है।
केडीबी सीइओ चंद्रकांत कटारिया का कहना है कि सूर्य ग्रहण मेले से पहले सभी तैयारी पूरी कर लिए जाने के गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। ब्रह्मसरोव में पहला पानी निकाले जाने और दूसरा भरने का काम 70 फीसदी तो सन्निहित सरोवर में 50 फीसदी काम हो चुका है। सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की योजना भी सिरे चढ़ाई जा रही है। मरम्मत कार्य का एस्टिमेट बनाया जा रहा है। अन्य सुविधाएं भी प्राथमिकता से पूरी की जाएंगी।

ब्रह्मसरोवार, सन्निहित सरोवर की व्यवस्था चरमराई हुई है। कहीं घाटों से पत्थर उखड़े हैं तो कहीं रेलिंग टूटी है। कहीं शौचालय बदहाल है तो कहीं पेयजल से लेकर बिजली व्यवस्था भी सही नहीं है। पानी भी पूरी तरह से बदला नहीं जा सका। यहां 25 अक्तूबर को इस वर्ष का दूसरा सूर्य ग्रहण मेले का आयोजन होगा। यह देश में दिखाई देने वाला पहला सूर्यग्रहण माना जा रहा है, जिसके चलते मेले में करीब 10 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है, लेकिन ब्रह्मसरोवर व सन्निहित सरोवर के हालात बहुत दयनीय बनी हुई है, हालांकि प्रशासन की ओर से दावा किया जा रहा है कि मेले तक तैयारी पूरी कर ली जाएगी, लेकिन बदहाल हुए दोनों सरोवरों को देख यह दावे खरे उतर पाएंगे या नहीं, यह समय पर ही पता चल सकेगा।

ब्रह्मसरेवर पर रेलिंग से आगे गहरे पानी को लेकर चेतावनी के वर्षों पुराने बोर्ड लगाए हुए हैं, लेकिन इनके पास से ही अनेकों जगह रेलिंग टूटी पड़ी है। सन्निहित सरोवर पर भी यही हालात बने हुए हैं। ऐसे में स्नान करते समय भीड़ में कोई भी हादसा होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। ब्रह्सरोवर के वीवीआइपी घाट की भी अभी तक सुध नहीं ली गई है। जहां सफाई व्यवस्था यहां चरमराई हुई है तो वहीं बनाए गए डीलक्स शौचालक भी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। चारों ओर से ताले लगे शौचालक खस्ताहाल है। घाटों के आसपास टाइलें उखड़ी है तो बिजली की तारें भी ज्यों की त्यों लटकी है।

ब्रह्मसरोवर व सन्निहित सरोवर पर भले ही व्यवस्था को लेकर लाखों रुपये हर साल खर्च किए जाते रहे हैं, लेकिन यहां आज तक भी सीसीटीवी कैमरे तक नहीं लगवाए जा सके। ब्रह्मसरोवर पर महज दो सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, जो लंबे समय से खस्ताहाल में है। ऐसे में यहां आने वाले श्रद्धालु व पर्यटकों के साथ कोई भी वारदात को अंजाम देकर निकल सकता है।

मुंबई से कुरुक्षेत्र भ्रमण करने आए जयंत पाटिल ने बताया कि उन्होंने ब्रह्मसरोवर के बारे में काफी सुना था। वे यहां भ्रमण पर आए तो स्नान भी किया, लेकिन उन्हें यहां ब्रह्सरोवर के हालात देख बड़ी ठेस लगी है। सोचा न था ऐसे हालात होंगे। जितनी मान्यता इस सरोवर की है, उसके अनुसार तो यहां कुछ भी नहीं दिखा। घाट से लेकर हर चीज खस्ताहाल में हैं। सरकार को सुध लेनी चाहिए।

ब्रह्मसरोवर पर स्नान करने पहुंचे जयभगवान का कहना है कि दोनों ही सरोवर की हालत बेहद खराब है। यहां न सफाई है, न घाटों की मरम्मत की जा रही। इतने बड़े आयोजन इन सरोवरों पर होते हैं। लाखों लोग पहुंचते हैं। इस बार भी मेले में लाखों लोग पहुंचेंगे, लेकिन यहां हालात देख नहीं लगता कि प्रशासन तैयारी को लेकर गंभीर है।

केडीबी सीइओ चंद्रकांत कटारिया का कहना है कि सूर्य ग्रहण मेले से पहले सभी तैयारी पूरी कर लिए जाने के गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। ब्रह्मसरोव में पहला पानी निकाले जाने और दूसरा भरने का काम 70 फीसदी तो सन्निहित सरोवर में 50 फीसदी काम हो चुका है। सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की योजना भी सिरे चढ़ाई जा रही है। मरम्मत कार्य का एस्टिमेट बनाया जा रहा है। अन्य सुविधाएं भी प्राथमिकता से पूरी की जाएंगी।

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