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अंबाला. अंबाला छावनी में एक खस्ता कचौड़ी की ऐसी दुकान है जिसका नाम सुनते ही आप सोच में पड़ जाओगे. क्यूंकि दुकान का नाम ही ऐसा है जो लोगों को सोचने को मजबूर कर देता है. और जैसा दुकान का नाम है वैसा ही इनकी खस्ता कचौड़ी का स्वाद है. अंबाला में पहलवान जी खस्ता कचौड़ी वाले की दुकान है. पांच दशक से इसका स्वाद नहीं बदला है. इनकी खास्ता कचौड़ी ऐसी है कि दूर-दूर से लोग चखने आते हैं. रोजाना 1000 पीस कचौड़ी लोग चट कर जाते हैं. 30 रुपए में दो कचौड़ी मिलती है.
जो 1968 में स्थापित की गई थी. यह दुकान को लगभग 50 साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है. इस दुकान को अब दुकान मालिक की तीसरी पीढ़ी चला रही है. यह दुकान अंबाला में इतनी मशहूर है की दूर-दूर से लोग इनकी खस्ता कचौड़ी खाने के लिए आते है. खस्ता कचौड़ी के साथ साथ इनकी आलू की सब्जी वह चटनी भी बहुत ज्यादा पसंद की जाती है. दुकान पर सुबह से ही लोगों की लाइन लगना शुरू हो जाती है. यहां पर आपको 30 रुपए में एक प्लेट कचौड़ी मिलेगी. रोजाना 500 प्लेट कचौड़ी लोग चट कर जाते हैं.
बिना इनकी कचौड़ी खाए अंबाला आना अधूरा
अंबाला में यदि कोई व्यक्ति घूमने आता है तो वह पहलवान जी की खस्ता कचौड़ी जरुर खाकर जाता है. वैसे तो इस दुकान में टिक्की व समोसे भी मिलते हैं. मगर इनकी खस्ता कचौड़ी का अपना एक अलग ही स्वाद है. लोगों का कहना है वह जब भी अंबाला आते है तो पहलवान जी की खस्ता कचौड़ी जरूर खाकर जाते हैं. इस दुकान से उनके परिवार का स्वाद जुड़ा हुआ है. वहीं दुकान मालिक की तीसरी पीढ़ी दीपक नामदेव का कहना है की यह दुकान उनके दादा ने 1968 में पहलवान जी के नाम से शुरू की थी. वह पहलवानी करते थे. जिससे लोग उन्हें पहलवान जी भी बुलाते थे. उन्होंने बताया की यह दुकान में लोगों का बहुत ज्यादा प्यार मिलता है. जिससे आज भी खस्ता कचौड़ी का पुरान स्वाद लोगों के दिलों में मौजूद है.
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