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अमेरिका में 43 साल तक गलत आरोप में जेल में रहे भारतीय मूल के सुब्रमण्यम वेदम को फिलहाल राहत मिली है।
दो अलग-अलग अदालतों ने फिलहाल उन्हें भारत भेजने यानी डिपोर्ट करने पर रोक लगा दी है। अब मामला इमिग्रेशन अपील बोर्ड में जाएगा, जिसका फैसला आने में कुछ महीने लग सकते हैं।
64 साल के वेदम को 3 अक्टूबर को रिहा किया गया था। वेदम, एक स्थायी अमेरिकी निवासी है। 1980 में उनपर अपने क्लासमेट की हत्या के आरोप लगे थे।
हालांकि, वेदम ने हमेशा अपनी बेगुनाही का दावा किया, फिर भी उसे 1983 और 1988 में दो बार दोषी ठहराया गया और बिना पैरोल के आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
अक्टूबर में रिहाई के बाद जेल से निकलते ही इमिग्रेशन डिपार्टमेंट ने उन्हें फिर हिरासत में ले लिया था। वेदम अभी लुइजियाना के एक डिपोर्टेशन सेंटर में बंद हैं।
हत्या के आरोप का मामला झूठा साबित हुआ
वेदम पर आरोप था कि उन्होंने 1980 में अपने दोस्त थॉमस किंसर की हत्या की। वे किंसर को आखिरी बार देखने वाले व्यक्ति थे। बिना गवाह और ठोस सबूत के उन्हें दो बार दोषी ठहराया गया और उम्रकैद हुई।
इस साल अगस्त में नया बैलिस्टिक सबूत सामने आया, जिसे अभियोजन पक्ष ने पहले छिपाया था। इसके बाद अदालत ने उनकी सजा रद्द कर दी।
3 अक्टूबर को उन्हें जेल से रिहा होना था, लेकिन उसी दिन इमिग्रेशन विभाग ने उन्हें दोबारा हिरासत में ले लिया और डिपोर्टेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी।
9 महीने की उम्र में अमेरिका गए थे वेदम
सुब्रमण्यम वेदम नौ महीने की उम्र में अपने माता-पिता के साथ कानूनी रूप से अमेरिका आए थे। उनके पिता पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे और पूरा परिवार स्टेट कॉलेज में रहता था।
वेदम अमेरिका के ‘लीगल परमनेंट रेजिडेंट’ हैं। वकीलों के मुताबिक, उनकी नागरिकता की अर्जी मंजूर हो चुकी थी, लेकिन 1982 में उन पर हत्या का झूठा आरोप लग गया और गिरफ्तारी हो गई।
वेदम की बहन सरस्वती वेदम ने कहा, “हम खुश हैं कि दो अदालतों ने माना कि उन्हें डिपोर्ट नहीं किया जाना चाहिए। हमें उम्मीद है कि अदालतें यह भी समझेंगी कि उन्हें भारत भेजना एक और बड़ा अन्याय होगा।”
उन्होंने कहा, “वह 43 साल तक उस अपराध के लिए जेल में रहे जो उन्होंने किया ही नहीं और उन्होंने पूरी जिंदगी अमेरिका में बिताई है। अब उन्हें डिपोर्ट करना गलत होगा।”
ICE क्यों डिपोर्ट करना चाहता है?
इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) वेदम को 40 साल पुराने एक ड्रग केस के आधार पर भारत भेजना चाहता है। 20 वर्ष की उम्र में उन पर LSD ड्रग सप्लाई से जुड़े मामले में ‘नो-कॉन्टेस्ट’ प्लिया हुआ था।
वकीलों का कहना है कि वेदम ने 40 साल तक गलत तरीके से जेल में रहकर अपनी शिक्षा पूरी की और कैदियों को पढ़ाया। ऐसे में पुराना मामला अब डिपोर्टेशन का आधार नहीं बनना चाहिए।
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