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डोनाल्ड ट्रंप ने जब से रेसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी लागू की है, तब से कई बड़े अर्थशास्त्री कह चुके हैं कि यह कदम अमेरिका के लिए सही नहीं है. अब इन अर्थशास्त्रियों की बात को अमेरिकी नागरिकों पर हुए एक सर्वे ने और बल दे दिया है. इस सर्वे में बताया गया है कि यूएस की अर्थव्यवस्था को लेकर अमेरिकी नागरिक निराशावादी हो गए हैं. चलिए, आपको बताते हैं कि आखिर इस सर्वे में क्या-क्या बातें निकलकर सामने आईं.
सर्वे में क्या-क्या खुलासे हुए?
अमेरिकी न्यूज चैनल सीएनएन की वेबसाइट पर छपी एक खबर के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के ताजा सर्वे से पता चला है कि अमेरिकी नागरिक इन दिनों अर्थव्यवस्था को लेकर बेहद निराशावादी हो गए हैं. इस महीने उपभोक्ता भरोसा सूचकांक (Consumer Confidence Index) में 11 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है, जो 1952 के बाद का दूसरा सबसे निचला स्तर है. हैरानी की बात यह है कि 2008 के वित्तीय संकट के दौरान भी लोगों का मनोबल इतना नहीं गिरा था.
टैरिफ युद्ध बना प्रमुख कारण
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति इस निराशावाद का प्रमुख कारण बनी हुई है. चीन के साथ जारी टैरिफ युद्ध ने महंगाई बढ़ने की आशंका पैदा कर दी है. हालांकि अन्य देशों पर लगाए गए टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोक दिया गया है, लेकिन आम अमेरिकियों की चिंताएं कम नहीं हुई हैं. सर्वे में शामिल हर आयु वर्ग, आय समूह और राजनीतिक विचारधारा के लोगों ने आर्थिक भविष्य को लेकर चिंता जताई है.
उपभोक्ता खर्च पर संकट के बादल
अमेरिकी अर्थव्यवस्था का 70 फीसदी हिस्सा उपभोक्ता खर्च पर निर्भर करता है. विशेषज्ञों को चिंता है कि अगर लोग खर्च करना कम कर देते हैं तो मंदी का खतरा और बढ़ सकता है. फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल का कहना है कि अमेरिकी अब तक महंगाई के बावजूद खर्च करते रहे हैं, लेकिन अगर रोजगार के अवसर कम होने लगें तो स्थिति बिगड़ सकती है.
एक्सपर्ट भी दे रहे चेतावनी

ब्लैकरॉक के सीईओ लैरी फिंक ने सीएनएन से बात करते हुए चेतावनी दी कि ट्रंप की टैरिफ नीति से पैदा हुई अनिश्चितता 2008 के वित्तीय संकट जैसी स्थिति पैदा कर सकती है. वही, जेपी मॉर्गन के सीईओ जेमी डिमॉन ने भी टैरिफ और व्यापार युद्ध को अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा बताया है. पिछले कुछ वर्षों में अमीर अमेरिकियों के खर्च ने अर्थव्यवस्था को सहारा दिया है, लेकिन अब शेयर बाजार में गिरावट से उनकी खरीदारी क्षमता भी प्रभावित हो सकती है.
महंगाई को लेकर बढ़ती चिंताएं
फेडरल रिजर्व के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि अमेरिकी नागरिकों को लगने लगा है कि महंगाई लंबे समय तक बनी रहेगी. सर्वे के अनुसार, अगले एक साल में महंगाई दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान है, जो मार्च के 5 फीसदी के आंकड़े से काफी अधिक है. अगर यह धारणा बन जाती है तो फेड के लिए महंगाई पर काबू पाना और भी मुश्किल हो जाएगा.
भारत भी हो सकता है प्रभावित
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आई मंदी का प्रभाव वैश्विक स्तर पर देखने को मिल सकता है. भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं को निर्यात में गिरावट और विदेशी निवेश में कमी का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अपने मजबूत घरेलू बाजार के बल पर इस संकट का सामना करने में सक्षम हो सकता है.
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