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चंडीगढ़ में किसी की प्रॉपर्टी में छोटी बिल्डिंग वॉयलेशन भी दर्ज हो गई तो कई साल तक इसके नोटिस और सुनवाई का सिस्टम शुरू हो जाता है। पहले एसडीएम ऑफिस में कई साल लग जाते हैं। फैसला अगर आपके खिलाफ आ गया तो चीफ एडमिनिस्ट्रेटर कम सेक्रेटरी फाइनेंस की कोर्ट में अपील करनी पड़ती है।
वहां भी कुछ न हुआ तो फिर कोर्ट में जाना पड़ता है। इसमें कई साल लग जाते हैं। इस दौरान एप्लीकेंट सिर्फ एसडीएम कोर्ट या प्रशासन के सीनियर अफसरों की कोर्ट के ही चक्कर काटता रहता है। शहर में इस तरह की बहुत प्रॉपर्टी हैं, जिन पर बिल्डिंग वॉयलेशन के मामले चल रहे हैं।
कुछ में वॉयलेशन हटा दी जाती है या फिर हर बार तारीख देकर ही लोगों को भेज दिया जाता है। इसी तरह की प्रॉपर्टी से जुड़े एक मालिक ने कहा कि कई सुनवाई से बढ़िया तो तय टाइम होना चाहिए। प्रशासन की कमेटी एक्सपर्ट के साथ बने और सभी पेंडिंग केस का निपटारा हो। या फिर जिस तरह से लोक अदालतें लगाई जाती हैं, उस तरह के कॉन्सेप्ट को लागू किया जाए।
मामलों का जल्द निपटान हो और लोग बिना वकील के भी अपने मामले वहां पर रखकर निपटान करवा सकें। इंडस्ट्री, कमर्शियल इस्टेब्लिशमेंट्स, छोटे बूथों से लेकर सभी तरह के रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के वॉयलेशन के मामले चल रहे हैं।
अकेले हाउसिंग बोर्ड के करीब 60 हजार से ज्यादा मकानों को लेकर वॉयलेशन के नोटिस हैं। कई बार गलत नोटिस भी दे दिए जाते हैं, क्योंकि कई चीजें जो सेंक्शनेबल हैं, उन्हें वॉयलेशन में गिनाकर नोटिस भेज दिया जाता है। इस नोटिस को ड्रॉप करवाने में ही कई महीने लग जाते हैं।
प्रशासन की गलत नीतियों की वजह से ही सीनियर सिटीजन की मौत हुई है। मांग उठाई गई कि वन टाइम सेटलमेंट इस तरह के पुराने मामलों को लेकर की जानी चाहिए। इससे लोगों को हियरिंग के इस प्रताड़ित करने वाले सिस्टम से बचाया जा सकेगा। -सुभाष शर्मा, पूर्व एडवाइजर, चंडीगढ़ प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एसोसिएशन, चंडीगढ़
एसडीएम की कोर्टों से लेकर सीनियर अफसरों की कोर्ट में कई साल तक हियरिंग पर आना पड़ता है लोगों को
भास्कर इनसाइट
ऐसा लगता है कि कोई बड़ा अपराध कर दिया…
एक व्यक्ति ने कहा कि ज्यादातर लोग हियरिंग में जाते हुए डरते हैं, क्योंकि रीडर या एसडीएम का बिहेवियर इस तरह का होता है कि जैसे कितना बड़ा अपराध हो गया है। इसलिए ज्यादातर मामलों में एडवोकेट ही संबंधित व्यक्तियों की तरफ से पेश होते हैं।
सेक्टर-44 स्थित घर की बैकसाइड बनाया था कमरा
पुलिस ने मृतक के परिवार में उनकी पत्नी के बयान ले लिए हैं। एमएलसी काटी है, साथ ही मामले जांच की जा रही है। परिवार वालों के मुताबिक सेक्टर-44 स्थित घर की बैकसाइड में बने कमरे को लेकर बिल्डिंग वॉयलेशन से संबंधित मामला पिछले कई वर्षों से पेंडिंग है। इससे पहले इसी तरह का एक मामला चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड में भी सामने आया था। वहां पर तत्कालीन सीईओ सीएचबी यशपाल गर्ग के सामने ही एक व्यक्ति को हार्ट अटैक आ गया था, लेकिन उन्होंने खुद ही सीपीआर देकर उस व्यक्ति की जान बचा ली थी।
पुराने मामलों में वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी आए
यूटी सेक्रेटरिएट में मंगलवार को 78 वर्ष के सीनियर सिटीजन का निधन हो गया। वे अपने घर के बिल्डिंग वॉयलेशन के मामले में चीफ एडमिनिस्ट्रेटर कम सेक्रेटरी फाइनेंस की कोर्ट में सुनवाई के लिए यहां आए हुए थे। बताया जा रहा है कि यहां पर जैसे ही उनके मामले में अफसरों ने अगली तारीख डाली तो उसी दौरान अफसरों के सामने उनकी तबीयत बिगड़ गई। वे वहीं जमीन पर गिर भी गए। इसके बाद उन्हें हॉस्पिटल सेक्टर-16 भी ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें ब्रॉट डेड घोषित कर दिया।
दरअसल, सेक्टर-44 बी स्थित अपने घर नंबर-1329 के मामले को लेकर चरणजीत सिंह मंगलवार को सुनवाई में पहुंचे थे। परिवार वालों के मुताबिक पिछले 11 साल से सेक्टर-44 के घर को लेकर मामला पेंडिंग था। उम्मीद थी कि इस बार उनके पक्ष में फाइनेंस सेक्रेटरी की कोर्ट से ऑर्डर हो जाएगा। लेकिन इस बार भी तारीख दे दी गई। इसके बाद उनकी मौके पर ही तबीयत खराब हो गई।
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बिल्डिंग वॉयलेशन…: एफएस की कोर्ट में सुनवाई पर आए 78 साल के बुजुर्ग की मौत – Chandigarh News
