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बारिश के मौसम में फैलने वाली बीमारियों का होगा खात्मा, जानें नई वैक्सीन कितनी है कारगर Health Updates

बारिश के मौसम में फैलने वाली बीमारियों का होगा खात्मा, जानें नई वैक्सीन कितनी है कारगर Health Updates

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बारिश का मौसम शुरू होने के साथ ही कई तरह की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. बारिश के मौसम में फैलने वाली बीमारियों का खतरा सबसे ज्यादा बच्चों को होता है क्योंकि बच्चे बारिश में खेलना काफी अच्छा मानते हैं. जिसके कारण वो बारिश के मौसम में फैलने वाले बैक्टीरिया के संपर्क में जल्दी आ जाते हैं. इसी बीच अब बारिश के मौसम में होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए भारत में एक नई स्वदेशी वैक्सीन आ चुकी है. खासतौर पर साल्मोनेला बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियों टाइफाइड, पैरा टाइफाइड, इन्फ्लूएंजा और फ्लू- बुखार से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए बनाई गई है. ऐसे में आइए जानते हैं कि नई वैक्सीन कितनी कारगर है.

 

क्या है ये नई वैक्सीन

 

भारत ने एक स्वदेशी वैक्सीन तैयार कर ली है. ये वैक्सीन बारिश के मौसम में फैलने वाली बीमारियों जैसे टाइफाइड और पैरा टाइफाइड से बच्चों को बचाने के लिए बनाई गई है. इस वैक्सीन को साल्मोनेला वैक्सीन कहा जा रहा है.यह वैक्सीन भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भारत बायोटेक और बायोलॉजिकल ई के साथ मिलकर तैयार की है. वहीं सरकार की योजना है कि 2026 तक यह वैक्सीन देश के हर गांव के हेल्थ सेंटर तक पहुंचाई जाए. ICMR के वैज्ञानिकों ने टाइफाइड के खिलाफ यह पहली वैक्सीन तैयार की है यह वैक्सीन साल्मोनेला बैक्टीरिया के दो अलग-अलग प्रकार से बचाव कर सकती है.

 

साल्मोनेला क्या है?

 

साल्मोनेला एक बैक्टीरिया है, जो गंदा पानी या खाना खाने से पेट और आंतों में इन्फेक्शन करता है. इससे तेज बुखार, दस्त, और डायरिया हो सकताहै. यह बैक्टीरिया बहुत छोटा होता है, लेकिन बहुत खतरनाक है. खासतौर पर ये बैक्टीरिया बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरनाक माना जाता है.वहीं अगर समय पर इसका इलाज न हो तो ये जानलेवा भी हो सकती है. ऐसे में इस बैक्टीरिया को रोकने और इससे बचाव के लिए भारत में एक नई साल्मोनेला वैक्सीन तैयार हो चुकी है.

साल्मोनेला वैक्सीन की खासियत 

साल्मोनेला वैक्सीन की खासियत है कि ये  भारत में पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर बनी है, इसके अलावा ये वैक्सीन 4 डिग्री टेंपरेचर पर भी खराब नहीं होती है. इसको स्टोर करने के लिए बिजली की  जरूरत कम पड़ती है, इसलिए ये गांवों में भी आसानी से स्टोर की जा सकती है. वहीं ट्रायल के अनुसार, ये वैक्सीन 90 प्रतिशत तक असरदार है. साथ ही बताया जा रहा है कि यह वैक्सीन 9 महीने से 14 साल तक के बच्चों को लगाया जाएगा.

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