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Share Market Trigger Point: बजट ने बाजार को ऐसी मायूसी दी कि वित्त मंत्री के भाषण के दौरान ही सेंसेक्स और निफ्टी गोता लगाते नजर आए. निवेशकों में बजट के बाद शेयर बाजार में उछाल की रही-सही आशा भी जाती रही. बाजार के दिग्गजों का अनुमान था कि इकोनॉमी को ताकत देने के लिए सरकार कैपेक्स फंड में जमकर पैसा डालेगी. यानी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं या लंबे समय तक रिटर्न देने वाले प्रोजेक्ट में काफी निवेश करेगी. इससे कंपनियों को लाभ होता और आखिरकार निवेशक मालामाल होते. लेकिन, ऐसा नहीं हो पाने के कारण शेयर बाजार में तेजी नहीं आ पाई.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैपेक्स बढ़ाकर इकोनॉमी को बूस्ट करने के बजाय ग्रोथ फैक्टर को ताकत देने के लिए दूसरा टिकाऊ रास्ता चुना. उन्होंने लोगों के हाथ में नगदी का प्रवाह अधिक से अधिक बढ़ाकर खपत बढ़ाने और इसके जरिए बाजार में डिमांड बढ़ाकर देश की विकास प्रक्रिया को मजबूत करने का रास्ता चुना है. यह शेयर बाजार को अचानक उछाल देने की बजाय सॉलिड बेस देते हुए ऊपर का रुझान दिखाएगा.
शेयर बाजार में उछाल के ये बनेंगे ट्रिगर प्वाइंट
इंडियन इकोनॉमी में आम लोगों की खपत बढ़ाकर अधिक डिमांड पैदा करने का तरीका काफी कारगर हो सकता है, क्योंकि, सबसे पहले यह अगली तिमाही में कंपनियों का रिजल्ट सुधारेगा. इससे कंपनियों का वैल्यूशन बढ़ेगा और अभी शेयर बाजार से बेचकर भाग रहे विदेशी निवेशक फिर से भारत का रुख कर सकते हैं. घरेलू निवेशक भी अपना निवेश बढ़ा सकते हैं. ये ऐसे ट्रिगर प्वाइंट हैं, जहां से शेयर बाजार को फिर से लंबे समय के लिए उछाल मिल सकती है और आखिरकार इकोनॉमी लंबे समय के लिए ताकतवर हो सकती है.
रिजर्व बैंक की पॉलिसी भी तय करेगी बाजार का रुझान
रिजर्व बैंक पिछले चार साल में पहली बार रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कटौती पर विचार कर रहा है. इसके लिए पांच फरवरी से सात फऱवरी के बीच रिजर्व बैंक की रेट सेटिंग कमेटी की बैठक होने जा रही है. इस कमेटी के फैसले पर भी बाजार का रुझान काफी हद तक निर्भर करेगा.
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