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बच्चे को कब-कब और कितने साल में दी जाती है पोलियो की दवा, जानें बीमारी के लक्षण Health Updates

बच्चे को कब-कब और कितने साल में दी जाती है पोलियो की दवा, जानें बीमारी के लक्षण Health Updates

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पोलियो तेजी से फैलने वाली एक गंभीर बीमारी है. इस बीमारी में एक समय के बाद बॉडी ऑर्गन काम करना बंद कर देता है . आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 5 साल के कम उम्र वाले बच्चों को इस बीमारी का खतरा काफी ज्यादा रहता है. भारत पोलियो मुक्त देश साल 2014 में ही घोषित हो गया है. लेकिन कुछ समय पहले ही मणिपुर में पोलियो का एक केस मिला है.

जिसके बाद से देशभर में इस बीमारी को लेकर चिंता बढ़ सी गई है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पोलियों का टीका बच्चे की जन्म से लेकर 5 साल की उम्र तक दिया जाता है. भारत में पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम के तहत जन्म के बाद  6 सप्ताह, 10 सप्ताह, और 14 सप्ताह की उम्र में पोलियो की खुराकें दी जाती है. इसके बाद 9 महीने से लेकर 1 साल तक बूस्टर खुराक दी जाती है. 5 साल की उम्र तक बच्चों को रोजाना पल्स पोलियो का टीका दिया जाता है. यह बच्चों की इम्युनिटी बूस्ट करने के लिए दी जाती है. 

दरअसल, गाजा में आए दिन पोलियो के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. और यह पूरी दुनिया के लिए एक चिंता का विषय है. 

क्या है पोलियो?

अब सबसे पहले ये जानते हैं कि पोलिया वायरस क्या होता है? बता दें कि पोलियो वायरस एक इंफेक्शन है. इसको पोलियोमाइलाइटिस कहा जाता है. पोलियो होने पर ब्रेन रीढ़ की हड्डी को नुकसान होता है. पोलियो का आजतक कोई इलाज नहीं है. 

पोलियो संक्रमण

मेघालय में एक दो साल के बच्चे में यह इंफेक्शन मिला है. इस बच्चे को वैक्सीन भी लग चुकी थी, लेकिन फिर भी यह संक्रमित हो गया है. लेकिन सवाल ये है कि जब बीमारी देश से खत्म हो चुकी है, तो फिर पोलियो का केस दोबारा कैसे आया है. बता दें कि लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर डॉ एल. एच घोटेकर बताते हैं कि ये मामला सामान्य पोलियो का नहीं बल्कि यह वैक्सीन डिराइव्ड पोलियो वायरस  की घटना है. इस तरह की स्थिति कुछ बीमारियों के मामले में हो जाती है. उन्होंने कहा कि ऐसा तब होता है, जब वैक्सीन में वायरस के खिलाफ कमजोर स्ट्रेन डाला जाता है. वहीं वायरस पर वैक्सीन की डोज प्रभावी नहीं होती है. इससे बच्चा संक्रमित हो जाता है.

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पोलियो के शुरुआती लक्षण होते हैं

शुरुआती लक्षण बुखार, थकान, सिरदर्द, उल्टी, गर्दन में अकड़न और अंगों में दर्द हैं. 200 में से एक संक्रमण अपरिवर्तनीय पक्षाघात (आमतौर पर पैरों में) की ओर ले जाता है. लकवाग्रस्त लोगों में से 5-10% की मृत्यु तब होती है जब उनकी श्वास की मांसपेशियां स्थिर हो जाती हैं. पोलियो मुख्य रूप से 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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