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बचपन में पिता की मौत, मां की 800 रुपये सैलरी, 9वें प्रयास में हरियाणा का छोरा बना लेफ्टिनेंट, हरदीप के संघर्ष की प्ररेणादायक कहानी Haryana News & Updates

बचपन में पिता की मौत, मां की 800 रुपये सैलरी, 9वें प्रयास में हरियाणा का छोरा बना लेफ्टिनेंट, हरदीप के संघर्ष की प्ररेणादायक कहानी Haryana News & Updates

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हरियाणा को वीरों की भूमि कहा जाता है. यहां पर बड़ी संख्या में लोग सेना में जाते हैं. जींद के ही एक युवक को फौज में जाने के लिए 9 प्रयास करने पड़े. हरदीप ने नौ बार एग्जाम दिए और अब जाकर सफलता मिली. हरदीप के पिता की बचपन में ही मौत हो गई और मां मिड मील वर्कर की नौकरी करती हैं.

लेफ्टिनेंट बनने के पीछे हरदीप के दर्द और संघर्ष की लंबी दास्तां हैं.

जींद. 9 बार कोशिश की. पिता का सिर पर साया भी नहीं था. जिम्मेदारी का बोझ भी था, लेकिन हरदीप ने हौंसले की लौ जलाई रखी और अब उसे कामयाबी हाथ लगी है. हरदीप भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर सिलेक्ट हुआ है. परिवार और गांव में खुशी की लहर है. कहानी हरियाणा के जींद जिले के हरदीप सिंह की है.

जानकारी के अनुसार, छेत्र उचाना के गांव अलीपुरा का लड़का थल सेना में लेफ्टिडेंट बना है. लेफ्टिनेंट बनने के पीछे हरदीप के दर्द और संघर्ष की लंबी दास्तां हैं. हरदीप जब 2 साल का था तो उस दौरान एक हादसे में उसके पिता का निधन हो गया था. परिवार का जिम्मेदारियां का बोझ उसकी माता संतोष पर आ गया था, लेकिन संतोष ने हार नहीं मानी और अपने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखा. अब हरदीप का सिलेक्शन आर्मी में एयरमैन के पद पर हुआ था लेकिन केंद्र सरकार ने आर्मी सेवाओं को अग्नि वीर में बदल दिया और फिर हरदीप की नौकरी हाथ से छूट गई. नौकरी छूटने से एक बार मायूसी हाथ लगी. लेकिन हरदीप ने हार नहीं मानी और अपने कड़ी पढ़ाई जारी रखी. कई वर्षों के बीच जाने के बाद हरदीप ने जीडीएस की परीक्षा पास की और अब हरदीप थल सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर सिलेक्शन हुआ.

हरदीप ने 54वां रैंक हासिल किया

हरदीप ने अपनी पढ़ाई 12वीं तक गांव में ही की. उसके बाद बीए की पढ़ाई डिस्टेंस से की. हरदीप ने बताया कि इस परीक्षा में 9वां प्रयास था और अब जाकर सफलता हासिल की है. उन्हें अखिल भारतीय मेरिट सूची में उनका 54 वां स्थान हासिल हुआ है. उन्होंने बताया कि साल 2024 में वह भारतीय वायु सेवा में एयरमैन के पद पर सिलेक्ट हुए थे, लेकिन फिर केंद्र सरकार ने नियम बदले और अग्निपथ योजना अस्तित्व में आई औऱ नौकरी से हाथ धोना पड़ा. अब उन्हें सिख लाइट इनफेंट्री में कमीशन मिला है. हरदीप बताते हैं कि पिता को खोने के बाद माता ने स्कूल में मिड-डे मील वर्कर के तौर पर काम किया उन्हें महीने के ₹800 सैलरी मिलती थी. छोटी सी जमीन पर खेतीबाड़ी करते थ. लेकिन अब परिवार और उनके संघर्ष की बदौलत वह अपनी मंजिल तक पहुंचे हैं.

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Vinod Kumar Katwal

Vinod Kumar Katwal, a Season journalist with 14 years of experience across print and digital media. I have worked with some of India’s most respected news organizations, including Dainik Bhaskar, IANS, Punjab K…और पढ़ें

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