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फतेहपुर बिल्लौच के किसान रजनीगंधा की खेती में बिजली संकट से जूझ रहे हैं. दिन में बिजली गायब रहती है, रात में अनिश्चित सप्लाई के कारण ठंड और खतरे झेलकर खेतों की सिंचाई करनी पड़ती है. खाद भी ब्लैक में महंगी मिल रही है. किसान कहते हैं अगर बिजली समय पर मिले तो मेहनत रंग लाए.
फरीदाबाद: फतेहपुर बिल्लौच, फरीदाबाद गांव के किसान इन दिनों बेहद परेशान हैं. रजनीगंधा जैसे नाजुक और मेहनत मांगने वाले फूलों की खेती करने वाले किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की है. खेतों में फूल तो खिले हैं लेकिन किसानों के चेहरों पर मायूसी साफ झलक रही है. वजह साफ है गांव में बिजली का संकट. रजनीगंधा की खेती पानी पर टिकी होती है और जब पानी ही सही समय पर न मिले तो किसानों की महीनों की मेहनत पर पानी फिर जाता है.
सिर्फ 4 घंटे आती है बिजली
Local18 से बातचीत में किसान उमेश चन्द अपनी परेशानी बयां करते हुए कहते हैं मैं दो एकड़ में रजनीगंधा लगा रखा है. सबसे बड़ी दिक्कत यहां बिजली की है. बिजली का टाइम तो साढ़े 8 घंटे बताया गया है लेकिन आती सिर्फ चार घंटे ही है. उसका भी कोई टाइम नहीं रहता. दिन में तो बिजली लगभग आती ही नहीं है और रात में कब आएगी… इसका कोई भरोसा नहीं. उमेश बताते हैं कि रात में खेतों पर जाना आसान नहीं है.
सालों से है बिजली समस्या
सर्दियों की कड़कड़ाती ठंड, खेतों में सांप-बिच्छुओं का खतरा और ऊपर से 2 से 3 बजे रात में बिजली का इंतज़ार यह सब किसानों की मजबूरी बन गया है. उमेश चन्द कहते हैं रजनीगंधा में तो रोज पानी देना पड़ता है खासकर सर्दियों में. अगर एक दिन भी पानी न मिले तो फूल खराब हो जाते हैं. धान के सीजन में बिजली ठीक रहती है लेकिन सर्दियों में हालत बहुत खराब हो जाती है. किसान बताते हैं कि अगर बिजली दिन में आ जाए तो उनकी आधी दिक्कत अपने आप खत्म हो जाए लेकिन गांव में यह समस्या सालों से जारी है.
बिजली के साथ-साथ खाद की समस्या भी किसानों को परेशान कर रही है. उमेश बताते हैं असली डीएपी खाद बहुत महंगी मिलती है और यूरिया तो मिल ही नहीं रही. अगर खाद मिलती भी है तो ब्लैक में वो भी महंगे दामों पर. ऐसे में खेती का खर्च बढ़ता जा रहा है और आमदनी घटती जा रही है.
किसानों ने लगाई सरकार से गुहार
गांव के किसान कहते हैं कि रजनीगंधा की खेती में मेहनत तो बहुत है ही, लेकिन इस तरह की दिक्कतें उनकी हिम्मत तोड़ देती हैं. वे चाहते हैं कि सरकार और विभाग बिजली की दिक्कत को गंभीरता से लें ताकि किसानों को रात के अंधेरे और ठंड में अपने खेतों की पहरेदारी न करनी पड़े. किसानों का कहना है कि अगर बिजली का शेड्यूल तय हो जाए और खेतों में नियमित बिजली मिल जाए तो उनकी मेहनत रंग ला सकती है और रजनीगंधा की खुशबू से घर-परिवार की खुशहाली भी लौट सकती है.
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