फरीदाबाद: कहते हैं शौक बड़ी चीज़ होती है… अगर किसी के दिल में जुनून सवार हो जाए तो वो पत्थर में भी फूल खिला दे. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है फरीदाबाद की 56 साल की डॉ. करुणा पाल गुप्ता ने जिनके घर को देखकर आपको मिनी कश्मीर की याद आ जाएगी. उनके आंगन से लेकर बालकनी तक हर तरफ रंग-बिरंगे फूलों और पौधों की बहार है. ऐसा नज़ारा कि कोई भी देखता रह जाए और यही कह उठे वाह…ये घर नहीं छोटा मुगल गार्डन है.
अब तक सजा चुकी हैं कई गार्डन
जी हां, डॉ. करुणा पाल गुप्ता पिछले 20 साल से गार्डनिंग का शौक पूरा कर रही हैं. Local18 से बातचीत में उन्होंने बताया कि बचपन से ही पेड़-पौधों से उन्हें लगाव रहा है, लेकिन करीब 10-12 साल पहले इस शौक को उन्होंने पैशन बना लिया. फरीदाबाद में हुड्डा की तरफ से होने वाली हॉर्टिकल्चर प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और लगातार तीन साल अवॉर्ड भी जीते. इसके बाद दोस्तों और रिश्तेदारों ने उन्हें यही रास्ता अपनाने की सलाह दी. फिर क्या था उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. आज हाल ये है कि दिल्ली-एनसीआर ही नहीं बल्कि हरियाणा के कई जिलों में जाकर अब तक सैकड़ों गार्डन डेवलप कर चुकी हैं.
गार्डन में मौजूद हैं पेड़-पौधों की ढेरों वैरायटी
डॉ. करुणा के अपने घर में भी तीन शानदार गार्डन हैं. फ्रंट गार्डन में रंग-बिरंगे फूलों की 32 से ज्यादा वैरायटी बैक साइड में आम-नींबू जैसे पेड़ों से सजा मिनी जंगल और बालकनी में मनी प्लांट सहित करीब 50 तरह के पौधे. यही वजह है कि लोग उनके घर को छोटा मुगल गार्डन कहते हैं. उनके पास आज भी दिल्ली-एनसीआर से लोग सिर्फ ये नज़ारा देखने आते हैं.
गार्डेनिंग के शौक को बनाया प्रोफेशन
माइक्रोबायोलॉजी में पीएचडी करने वाली डॉ. करुणा ने एक वक्त पर ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट साइंस और बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट में भी काम किया लेकिन जब गार्डनिंग का शौक जुनून में बदल गया तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी और इसे ही अपना प्रोफेशन बना लिया. अब वो गार्डन कंसल्टेंट और नेचर थैरेपिस्ट हैं. उनका कहना है कि पेड़-पौधों के साथ वक्त बिताना किसी दवा से कम नहीं क्योंकि पौधे सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं देते बल्कि मन को सुकून भी पहुंचाते हैं.
पौधे मेरे लिए बच्चे जैसे हैं
डॉ. करुणा रोज़ाना दो घंटे अपने गार्डन में बिताती हैं. खुद खाद डालती हैं पौधों की देखभाल करती हैं और सब कुछ ऑर्गेनिक तरीके से करती हैं. उनका मानना है कि ये पौधे मेरे लिए बच्चे जैसे हैं जिनकी परवरिश मैं बड़े प्यार से करती हूं. गर्मियों में वो शाम को पानी देती हैं सर्दियों में दिन में और मानसून में बरसात के भरोसे छोड़ देती हैं.
कई अवार्ड से हो चुकी है सम्मानित
साल 2015 में हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी की गार्डनिंग प्रतियोगिता में बेस्ट गार्डनिंग का अवॉर्ड जीतने के बाद से उनका नाम गार्डनिंग की दुनिया में और भी मशहूर हो गया. तभी से अवॉर्ड की लड़ी चल पड़ी. आज उनके पास अपनी टीम है और लोग उन्हें कॉल कर अपने गार्डन को संवारने के लिए बुलाते हैं.
गार्डन सवारने के आसान टिप्स
अपने गार्डन के अनुसार पौधे चुनें क्योंकि हर पौधा धूप पसंद नहीं करता. पौधों को उनकी जरूरत के अनुसार खाद दें. गार्डन की खूबसूरती बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे सजावटी आइटम जैसे फाइबर के जानवर और पक्षी, हैंगिंग बास्केट या बाउंड्री फेंसिंग लगाएं. गार्डन में एक फोकल प्वाइंट बनाएं जो नज़र को आकर्षित करे जैसे छोटा पानी का फव्वारा या बोंसाई. महंगे और विदेशी पौधों पर तुरंत खर्च करने की बजाय ऐसे पौधे खरीदें जो आपके गार्डन में लंबे समय तक बढ़ें और स्थानीय मौसम के अनुकूल हों.
डॉ. करुणा का साफ कहना है…लोग पहाड़ों पर जाकर हरियाली ढूंढते हैं लेकिन अगर अपने घर के कोने-कोने को पौधों से भर दें तो घर ही स्वर्ग बन सकता है. बस पेड़-पौधों से दोस्ती कर लीजिए उनके साथ बात करिए और ताज़ा ऑक्सीजन का मज़ा लीजिए.