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जिला परिषद की सीईओ हंगामे के बाद गाड़ी से उतरकर वापस बैठक में जाती हुईं। संवाद
जींद। फसलों में कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग कैंसर को बढ़ावा दे रहा है। इससे थाली जहरीली हो रही है। कैंसर के अलावा कई बीमारियां बढ़ रही हैं। आने वाली पीढ़ी को शुद्ध हवा, पानी व खाना उपलब्ध करवाने के लिए हमें प्राकृतिक खेती करनी होगी। प्राकृतिक खेती नुकसानदायक नहीं, बल्कि आने वाली पीढि़यों को जीवन प्रदान करने वाली है। यह बात गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने सफीदों रोड स्थित श्याम गार्डन में प्राकृतिक खेती पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में किसानों से कही।
उन्होंने कहा कि यूरिया व डीएपी में नाइट्रोजन होता है, जो हवा में मिली ऑक्सीजन के संपर्क में आने पर नाइट्रेट ऑक्साइड से 312 गुना खतरनाक बन जाता है। जब यह खाद्य सामग्री के रूप में हमारे शरीर के अंदर जाती है तो कैंसर का कारण बनती है। उन्होंने कहा कि देसी गाय का गोबर अमृत समान है। गोमूत्र कई रोगों में कारगर है। अधिक पैदावार के लिए सिर्फ गाय का गोबर व गोमूत्र का इस्तेमाल करके प्राकृतिक खेती करें। देसी गाय के पेट के अंदर सूक्ष्म जीवाणुओं की फैक्टरी होती है। वह न केवल फसल की पैदावार बढ़ाने में सहायक होती है, बल्कि भूमि की उपजाऊ शक्ति के साथ गुणवत्ता भी बढ़ाती है।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में 1960 में अकाल के कारण भुखमरी बढ़ गई थी। ऐसे में स्वामीनाथन ने नाइट्रोजन खाद को एक हेक्टेयर में मात्र 13 किलोग्राम प्रयोग करने की सलाह दी थी। उस समय हमारी मिट्टी में जीवांश का स्तर 2.5 प्रतिशत थी, लेकिन आज यह प्रति एकड़ 10 से 13 कट्टे यूरिया व डीएपी के प्रयोग के कारण घटकर 0.4 प्रतिशत रह गई है। आज हम उत्पादन के नाम पर जहर खा रहे हैं। उन्होंने किसानों को प्राकृतिक खाद बनाने की विधि बताई।
राज्यपाल ने कहा कि अधिक कीटनाशक का इस्तेमाल करने से भूमि कठोर हो रही है। इसमें पानी सोखने की क्षमता भी कम होती जा रही है। इस मौके पर विधायक डॉ. कृष्ण मिड्ढा, गोसेवा आयोग के चेयरमैन श्रवण गर्ग, भाजपा के जिला प्रधान तिजेंद्र ढुल, पूर्व विधायक जसबीर देशवाल, विजयपाल एडवोकेट, कृषि एवं कल्याण विभाग के अतिरिक्त निदेशक डाॅ. रोहताश सिंह, हरियाणा कृषि विवि हिसार के मुख्य वैज्ञानिक डाॅ. बलजीत सहारण, कृषि विभाग के उपनिदेशक सुरेंद्र सिंह भी मौजूद रहे।
प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को किया सम्मानित
गांव मुआना के किसान सूरजमल ने कहा कि वह दस साल से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। इसमें उसे कभी नुकसान नहीं हुआ, बल्कि मुनाफा हो रहा है। उनके उत्पाद अन्य किसानों के बजाय महंगे बिक रहे हैं। उसे कभी मंडी में जाने की जरूरत नहीं पड़ती। घर से ही लोग खरीदकर ले जाते हैं। इस मौके पर राज्यपाल ने जिले के 10 किसानों को प्राकृतिक खेती करने पर सम्मानित भी किया।
जिला परिषद की सीईओ हंगामे के बाद गाड़ी से उतरकर वापस बैठक में जाती हुईं। संवाद
जिला परिषद की सीईओ हंगामे के बाद गाड़ी से उतरकर वापस बैठक में जाती हुईं। संवाद
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फसलों में अंंधाधुंध कीटनाशक के इस्तेमाल बढ़ रहा कैंसर : आचार्य देवव्रत