फर्जीवाड़े में शामिल बिजली निगम का एक्सईएन व लाइनमैन गिरफ्तार


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यमुनानगर। सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन और भत्तों में हुए फर्जीवाड़े के आरोप में पानीपत सीआईए-टू ने बिजली निगम यमुनानगर के एक्सईएन कुलवंत सिंह, छछरौली सब डिवीजन के लाइनमैन सोनू को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों को पानीपत सीआईए-टू की टीम गाड़ी में बिठाकर साथ ले गई। दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के बाद रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी।
जानकारी के अनुसार पानीपत सीआईए-टू की टीम वीरवार सुबह ही यमुनानगर पहुंच गई थी। टीम सीधे एक्सईएन यमुनानगर कार्यालय में पहुंची, जहां कुलवंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। एक्सईएन को लेकर टीम बिजली निगम के एसई कार्यालय में भी आई। यहां निगम के कई अधिकारियों ने गिरफ्तारी न करने का अनुरोध किया, लेकिन पुलिस ने किसी की नहीं सुनी। इसके बाद एक टीम छछरौली सब डिवीजन में कार्यरत लाइनमैन सोनू को गिरफ्तार करने चली गई। दोपहर बाद दोनों को साथ लेकर टीम पानीपत रवाना हो गई। एक्सईएन और लाइनमैन की गिरफ्तारी दिनभर चर्चा का विषय बनी रही। इससे पहले सीआईए की टीम बिलासपुर डिवीजन के एक्सईएन नीरज कुमार को भी गिरफ्तार कर चुकी है।
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1093 लोगों के खाते में भेजे गए 49.29 करोड़ रुपये
सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन और भत्तों में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद बिजली निगम ने जगाधरी डिवीजन का वर्ष 2018 से 2022 तक का ऑडिट कराया था। इसमें पता चला कि चार साल में ही निगम के कर्मचारियों ने करीब 49.29 करोड़ रुपये 1093 ऐसे लोगों के खातों में जमा कराए, जिनका बिजली निगम से कोई लेना-देना नहीं था। यह राशि सेवानिवृत्त हो चुके बिजली निगम के कर्मचारियों की पेंशन व अन्य फंड से संबंधित थी। जिन लोगों के खातों में रुपये जमा होते थे, उन्हें थोड़ा बहुत कमीशन देकर बाकी रुपये हड़प लिए जाते थे। जब यह घोटाला हुआ तब कुलवंत सिंह जगाधरी डिवीजन के एक्सईएन थे। बाद में उनका तबादला यमुनानगर हो गया था। इसके अलावा एक्सईएन संजीव गुप्ता भी इसमें संलिप्त पाए गए हैं। संजीव गुप्ता काफी पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
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एक्सईएन और लाइनमैन को साथ ले गई पुलिस : राजेंद्र कुमार
बिजली निगम के एसई राजेंद्र कुमार का कहना है कि पानीपत सीआईए-टू की टीम यमुनानगर आई थी। वह एक्सईएन कुलवंत सिंह और लाइनमैन सोनू को साथ ले गई है। उन्होंने बताया कि 49 करोड़ रुपये से अधिक का गबन चार साल के ऑडिट में मिला है। अब बिजली निगम ने 2016-17 व 2017-18 का भी ऑडिट कराने का निर्णय लिया है।

यमुनानगर। सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन और भत्तों में हुए फर्जीवाड़े के आरोप में पानीपत सीआईए-टू ने बिजली निगम यमुनानगर के एक्सईएन कुलवंत सिंह, छछरौली सब डिवीजन के लाइनमैन सोनू को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों को पानीपत सीआईए-टू की टीम गाड़ी में बिठाकर साथ ले गई। दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के बाद रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी।

जानकारी के अनुसार पानीपत सीआईए-टू की टीम वीरवार सुबह ही यमुनानगर पहुंच गई थी। टीम सीधे एक्सईएन यमुनानगर कार्यालय में पहुंची, जहां कुलवंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। एक्सईएन को लेकर टीम बिजली निगम के एसई कार्यालय में भी आई। यहां निगम के कई अधिकारियों ने गिरफ्तारी न करने का अनुरोध किया, लेकिन पुलिस ने किसी की नहीं सुनी। इसके बाद एक टीम छछरौली सब डिवीजन में कार्यरत लाइनमैन सोनू को गिरफ्तार करने चली गई। दोपहर बाद दोनों को साथ लेकर टीम पानीपत रवाना हो गई। एक्सईएन और लाइनमैन की गिरफ्तारी दिनभर चर्चा का विषय बनी रही। इससे पहले सीआईए की टीम बिलासपुर डिवीजन के एक्सईएन नीरज कुमार को भी गिरफ्तार कर चुकी है।

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1093 लोगों के खाते में भेजे गए 49.29 करोड़ रुपये

सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन और भत्तों में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद बिजली निगम ने जगाधरी डिवीजन का वर्ष 2018 से 2022 तक का ऑडिट कराया था। इसमें पता चला कि चार साल में ही निगम के कर्मचारियों ने करीब 49.29 करोड़ रुपये 1093 ऐसे लोगों के खातों में जमा कराए, जिनका बिजली निगम से कोई लेना-देना नहीं था। यह राशि सेवानिवृत्त हो चुके बिजली निगम के कर्मचारियों की पेंशन व अन्य फंड से संबंधित थी। जिन लोगों के खातों में रुपये जमा होते थे, उन्हें थोड़ा बहुत कमीशन देकर बाकी रुपये हड़प लिए जाते थे। जब यह घोटाला हुआ तब कुलवंत सिंह जगाधरी डिवीजन के एक्सईएन थे। बाद में उनका तबादला यमुनानगर हो गया था। इसके अलावा एक्सईएन संजीव गुप्ता भी इसमें संलिप्त पाए गए हैं। संजीव गुप्ता काफी पहले सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

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एक्सईएन और लाइनमैन को साथ ले गई पुलिस : राजेंद्र कुमार

बिजली निगम के एसई राजेंद्र कुमार का कहना है कि पानीपत सीआईए-टू की टीम यमुनानगर आई थी। वह एक्सईएन कुलवंत सिंह और लाइनमैन सोनू को साथ ले गई है। उन्होंने बताया कि 49 करोड़ रुपये से अधिक का गबन चार साल के ऑडिट में मिला है। अब बिजली निगम ने 2016-17 व 2017-18 का भी ऑडिट कराने का निर्णय लिया है।

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