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बादशाह खान सिविल अस्पताल में दाखिल पीड़ित।
हरियाणा के जिले फरीदाबाद में इन दिनों बादशाह खान सिविल अस्पताल से इलाज के लिए रेफर होकर दिल्ली जाने वाले मरीजों को बिना इलाज ही दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल, ऑल इंडिया मेडिकल व तमाम सरकारी अस्पतालों से बैरंग ही वापस लौटना पड़ रहा है। गौरतलब है कि पश्चिम
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मरीजों को नहीं किया जा रहा भर्ती
इसी को लेकर दिल्ली में भी डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। जिसके चलते दिल्ली के सफदर जंग अस्पताल से लेकर तमाम दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में न केवल फरीदाबाद, बल्कि आस पास के जिले और राज्यों से आने वाले किसी भी मरीज को भर्ती नहीं किया जा रहा है। ऐसा ही कई मामले फरीदाबाद के बादशाह खान सिविल अस्पताल से सामने आए हैं। जहां पर आज एक महिला आशा उम्र लगभग 50 वर्ष को दौरे पड़ने की शिकायत के बाद उसके पति हरपाल सिंह बादशाह खान सिविल अस्पताल में इलाज कराने किए लेकर पहुंचे थे, लेकिन उसकी गंभीर हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने उनकी पत्नी को दिल्ली के सफदर जंग अस्पताल के लिए रेफर कर दिया।
सभी मरीजों को वापस भेजा
हरपाल ने बताया कि पत्नी के रेफर होने के बाद उसे इलाज के लिए दिल्ली के सफदर जंग अस्पताल लेकर गए थे, लेकिन दिल्ली के सफदर जंग अस्पताल में डॉक्टरों की हड़ताल के चलते न केवल उनकी पत्नी, बल्कि वहां आने वाले सभी मरीजों को बिना इलाज के ही वापस लौटाया जा रहा है। दूसरा मामला एक साल के बच्चे अभिषेक का सामने आया। उसके पिता अरुण ने बताया कि उनके एक साल के बेटे अभिषेक को बुखार और दौरे पड़ रहे थे, इसके चलते वह उसे बादशाह खान सिविल अस्पताल में इलाज के लिए लेकर पहुंचे थे, लेकिन डॉक्टर ने उसकी गंभीर हालत को देखते हुए दिल्ली के सफदर जंग अस्पताल के लिए रेफर कर दिया था, लेकिन दिल्ली के सफदर जंग अस्पताल में जाने के बाद उन्हें बताया गया कि पश्चिम बंगाल में एक महिला डॉक्टर की हत्या कर दी गई है। जिसके चलते सफदरजंग अस्पताल में हड़ताल चल रही है।
बच्चे की हालत नाजुक
इसी कारण से उनके बच्चे को भर्ती नहीं लिया गया। मजबूरी में वह दोबारा बादशाह खान सिविल अस्पताल में अपने बच्चों को वापस लेकर पहुंचे, तब उनसे बादशाह खान सिविल अस्पताल के डॉक्टरों ने कार्ड पर यह लिखवा लिया कि वह अपनी मर्जी से बच्चे को इलाज के लिए बादशाह खान सिविल अस्पताल में भर्ती करा रहे हैं। अरुण ने बताया कि फिलहाल उनके बच्चे की हालत अभी नाजुक बनी हुई है, यदि इसी प्रकार से हड़ताल चलती रही तो बहुत से मरीजों को बिना इलाज के ही अपनी जान जवानी पड़ सकती है।
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