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फरीदाबाद में युवक की मौके के बाद आरोप लगाते हुए परिजन।
हरियाणा के जिले फरीदाबाद में सेक्टर-55 निवासी एक युवक की इलाज के दौरान मौत होने के मामले में 18वें दिन हुई नेग्लिजेंस बोर्ड की बैठक के कारण एक बार फिर निजी अस्पताल और पुलिस पर सवाल खड़े कर दिए। उनका कहना था कि निजी अस्पताल के चिकित्सक नेग्लिजेंस बोर्
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जिसकी परमिशन ही नहीं थी। वहीं उन्होंने पुलिस पर भी आरोप लगाए कि पुलिस ने भी बिना एफआईआर दर्ज किए ही उनके बेटे के शव का पोस्टमॉर्टम करवा दिया। 18 दिन बाद भी उन्हें न्याय न देकर उनके बेटे की आत्मा को शांति न देने के बराबर है। अब फिलहाल नेग्लिजेंस बोर्ड से भी उन्हें किसी तरह का कोई आश्वासन नहीं मिला है। ऐसे में उन्होंने मीडिया को अपना दर्द बयां किया।
यह है पूरा मामला
शशिकांत ने बताया कि वह सेक्टर-55 के निवासी है। उनका 19 वर्षीय बेटा जुकाम से पीड़ित था। जिस पर उसने बल्लभगढ़ में एक निजी अस्पताल में जांच करवाई, जहां उनके बेटे स्वास्तिक की जांच में चिकित्सक ने बताया कि स्वास्तिक की नाक की हड्डी बढ़ी हुई है, जिस पर उसका ऑपरेशन करना होगा। गत पांच अगस्त 2024 की सुबह उन्होंने स्वास्तिक को ओल्ड फरीदाबाद के निजी अस्पताल में बुलवा लिया। जहां स्वास्तिक स्वयं गाड़ी चलाकर ठीक ठाक पहुंचा, शाम को उक्त चिकित्सक ने अस्पताल में स्वास्तिक का ऑपरेशन कर दिया। इस दौरान स्वास्तिक की मौत हो गई।
परिजनों ने इसकी शिकायत जिला सिविल सर्जन को दी थी। जिस पर सीएमओ ने नेग्लीजेंसी बोर्ड को जांच के आदेश दिए थे, नेग्लीजेंसी बोर्ड ने 18वें दिन यानि शुक्रवार को दोपहर को डेढ़ बजे परिवार को बुलवाया था। जहां बैठक में परिजन पहुंचे और नेग्लीजेंसी बोर्ड के डॉक्टर पहुंचे, लेकिन आरोपित निजी अस्पताल के डॉक्टर नहीं पहुंचे। उनकी तरफ से एक वकील को भेज दिया था। वकील से जब नेग्लिजेंस बोर्ड में तैनात अधिकारियों ने पत्र मांगा, तो वह कागजात ही नहीं दिखा पाया, न ही फुटेज और अन्य कागजात उनके पास थे।
पोस्टमार्टम के आधार पर मामला दर्ज नहीं
जिस पर किसी तरह कोई एक्शन नहीं हो सका। वहीं जांच में सामने आया, कि पुलिस ने पोस्टमार्टम के आधार पर भी मामला दर्ज नहीं किया है। जिस पर मीडिया के माध्यम से परिजनों ने न्याय की गुहार शुक्रवार की दोपहर को बीके सिविल अस्पताल परिसर में लगाई। जहां उन्होंने कहा कि आरोपी चिकित्सकों पर सख्त से सख्त एक्शन लिया जाए। वहीं पुलिस को भी निष्पक्ष जांच करनी चाहिए, ताकि हमारे बेटे की आत्मा को भी शांति मिल सके।
लगाए ये आरोप
शशिकांत ने निजी अस्पताल पर ये भी आरोप लगाए, कि मामूली जुकाम में नाक की हड्डी बढ़ने से मौत नहीं हो सकती है। उनका कहना है कि उनके बेटे के अंगों को निकालने के लिए आपरेशन का ड्रमा अस्पताल की तरफ से किया गया होगा, क्योंकि हमारे पास कुछ लोगों के फोन भी आ रहे है, कि उö अस्पताल में इलाज के नाम पर ऐसा काम भी होता है। शशिकांत ने कहा कि पुलिस और निजी अस्पताल आपस में मिल चुके है। उन्होंने चिकित्सक पर ऑपरेशन के दौरान दी गई बेहोशी की दवा की अधिक डोज देने या फिर ऑपरेशन में लापरवाही बरतने का भी आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया। परिवार वाले ऑपरेशन करने वाले चिकित्सक और ऑपरेशन में शामिल सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
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