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फरीदाबाद के सुनपेड़ गांव में किसान प्रकाश ने पहली बार छप्पल कद्दू की खेती की है. यह फसल कम लागत में तैयार होती है, सिंचाई और कीट नियंत्रण की जरूरत भी कम होती है. बाजार में इसकी अच्छी मांग है. यदि सफल रही तो गां…और पढ़ें
सुनपेड़ में पहली बार हुई छप्पल कद्दू की खेती.
हाइलाइट्स
- फरीदाबाद के सुनपेड़ गांव में किसान प्रकाश ने पहली बार छप्पल कद्दू की खेती की है.
- यह फसल कम लागत में तैयार होती है.
- सिंचाई और कीट नियंत्रण की जरूरत भी कम होती है.
फरीदाबाद: फरीदाबाद जिले के सुनपेड़ गांव के किसानों ने इस बार खेती में एक नया और दिलचस्प प्रयोग किया है. गांव के प्रगतिशील किसान प्रकाश ने पहली बार छप्पल कद्दू की खेती शुरू की है. यह कद्दू सामान्य कद्दू जैसा ही होता है, लेकिन आकार में थोड़ा छोटा और स्वाद में काफी बढ़िया माना जाता है. खास बात यह है कि सुनपेड़ गांव में अब तक किसी ने भी इसकी खेती नहीं की थी. किसानों को उम्मीद है कि नई फसल से उन्हें अच्छा मुनाफा मिलेगा और भविष्य में इसे बड़े स्तर पर बढ़ावा मिल सकता है.
ऐसे होती है कद्दू की खेती
प्रकाश ने बताया कि छप्पल कद्दू की बुवाई गर्मी के मौसम में की जाती है. खेत तैयार करने के लिए पहले 3 से 4 बार जुताई की जाती है ताकि मिट्टी नरम और उपजाऊ बन सके. इसके बाद खेत में डोल बनाकर बीज बोए जाते हैं. बीजों को एक-एक हाथ की दूरी पर डाला जाता है, जिससे पौधों को सही जगह मिलती है. बीज बाजार में आसानी से बीज भंडार पर उपलब्ध हैं और एक पैकेट की कीमत लगभग 270 रुपये होती है. एक पैकेट में करीब 20 बीज होते हैं, जो छोटे स्तर की खेती के लिए पर्याप्त हैं.
सिर्फ 2 महीने में तैयार हो जाती है फसल
छप्पल कद्दू की खासियत यह है कि इसकी फसल सिर्फ डेढ़ से दो महीने में तैयार हो जाती है. पानी की जरूरत भी कम होती है, महीने में सिर्फ एक बार सिंचाई करने से फसल बढ़िया तैयार हो जाती है. साथ ही, इसमें कीटों का भी विशेष असर नहीं देखा जाता, जिससे कीटनाशक दवाइयों पर भी खर्च नहीं करना पड़ता. प्रकाश ने इस बार इसे छोटे रकबे, यानी लगभग 2 बीघे में लगाया है. इस पर कुल लागत करीब 7 से 8 हजार रुपये आई है, जो अन्य फसलों की तुलना में काफी कम है.
बाजार में छप्पल कद्दू की मांग अच्छी है. मंडी में इसका भाव 14 से 15 रुपये प्रति किलो तक मिल जाता है, जो किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. स्वाद की बात करें तो यह टिंडे की सब्जी जैसा ही तैयार किया जाता है, लेकिन खाने में इसका स्वाद काफी बेहतर होता है. प्रकाश का कहना है कि गांव के अन्य किसान अभी इस नयी फसल को अपनाने से झिझक रहे हैं. हालांकि, अगर इस साल उनकी फसल सफल रही, तो आने वाले समय में और भी किसान छप्पल कद्दू की खेती करने के लिए आगे आ सकते हैं.
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