{“_id”:”68f8b1dc6780a2690302b5a1″,”slug”:”video-harvinder-singh-a-farmer-in-jakhal-fatehabad-has-set-an-example-by-not-burning-stubble-for-13-years-and-is-playing-a-key-role-in-environmental-protection-2025-10-22″,”type”:”video”,”status”:”publish”,”title_hn”:”फतेहाबाद के जाखल में 13 साल से पराली नहीं जलाने वाले किसान हरविंदर सिंह बने मिसाल, पर्यावरण संरक्षण में निभा रहे अहम भूमिका”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
गांव चूहड़पुर के किसान हरविंदर सिंह पिछले 13 वर्षों से पराली जलाने की प्रथा से दूर रहकर पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान दे रहे हैं। उनकी यह पहल न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन रही है।
हरविंदर पराली को जलाने के बजाय खेतों में खाद के रूप में उपयोग करते हैं और हैप्पी सीडर जैसी तकनीकों से गेहूं की बिजाई करते हैं।हरविंदर सिंह ने न केवल अपने खेतों में पराली प्रबंधन को अपनाया, बल्कि अन्य किसानों को भी इसके लिए जागरूक कर रहे हैं।
गांव-गांव जाकर किसानों को धान के अवशेषों का प्रबंधन और हैप्पी सीडर से बिजाई के तरीके सिखाते हैं। इतना ही नहीं, वे बिना किसी शुल्क के अन्य किसानों के खेतों में हैप्पी सीडर से गेहूं की बिजाई कर उनकी मदद भी करते हैं। उनकी यह निस्वार्थ सेवा उन्हें क्षेत्र में एक आदर्श के रूप में स्थापित कर रही है।
बुधवार को टोहाना के एसडीएम आकाश शर्मा अपनी टीम के साथ हरविंदर सिंह के खेत पर पहुंचे और उनके इस प्रयास की जमकर सराहना की। एसडीएम ने कहा कि पराली जलाने से भूमि की उर्वरता कम होती है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। हरविंदर सिंह का कार्य सराहनीय है। सभी किसानों को उनसे प्रेरणा लेकर पराली प्रबंधन को अपनाना चाहिए। हरविंदर सिंह का कहना है कि पराली को खेत में मिलाने से मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और फसल की पैदावार भी बढ़ती है।