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<p style="text-align: justify;">कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान स्वास्थ्य संबंधी कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ये समस्याएं मां के स्वास्थ्य, भ्रूण के स्वास्थ्य या दोनों को प्रभावित कर सकती हैं. यहां तक कि गर्भवती होने से पहले स्वस्थ रहने वाली महिलाओं को भी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ये समस्याएं गर्भावस्था को उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था बना सकती हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम (HG):</strong> गंभीर मतली और उल्टी जो वजन घटाने और डिहाइड्रेशन का कारण बन सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>प्रीक्लेम्पसिया:</strong> एक ऐसी स्थिति जो खतरनाक रूप से हाई बीपी का कारण बनती है और मां और भ्रूण दोनों को प्रभावित कर सकती है. यह आमतौर पर गर्भावस्था के 20 सप्ताह के बाद शुरू होती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong> प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज:</strong> मधुमेह का एक प्रकार जो बच्चे को बहुत बड़ा होने का कारण बन सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong> गर्भपात:</strong> गर्भावस्था का नुकसान जो गर्भावस्था के 20 सप्ताह तक होता है. अधिकांश गर्भपात 12 सप्ताह से पहले होते हैं.</p>
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<p style="text-align: justify;"><strong> एक्टोपिक गर्भावस्था:</strong> एक जीवन-धमकाने वाली स्थिति जो तब होती है जब एक निषेचित अंडा गर्भाशय के बाहर प्रत्यारोपित होता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong> प्लेसेंटा प्रीविया:</strong> यह दिक्कत तब होती है जब प्लेसेंटा आंशिक रूप से या पूरी तरह से गर्भाशय ग्रीवा को ढक लेता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong> ब्लीडिंग:</strong> गर्भावस्था के दौरान हैवी ब्लीडिंग के लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>इंफेक्शन:</strong> एचआईवी, हेपेटाइटिस, टीबी या क्लैमाइडिया या गोनोरिया जैसे यौन संचारित संक्रमण जैसे गंभीर संक्रमण मां और बच्चे दोनों के लिए एक बड़ा खतरा हो सकते हैं.</p>
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<p style="text-align: justify;"><strong>प्लेसेंटा प्रीविया या प्लेसेंटा एक्रीटा:</strong> प्लेसेंटा से जुड़ी समस्याएं गर्भावस्था, प्रसव और डिलीवरी में बाधा डाल सकती हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>कम एमनियोटिक द्रव (ऑलिगोहाइड्रामनिओस):</strong> कम एमनियोटिक द्रव का मतलब है कि भ्रूण अपनी उम्र के हिसाब से कम एमनियोटिक द्रव से घिरा हुआ है. इससे समय से पहले जन्म का खतरा बढ़ जाता है. यह पॉलीहाइड्रामनिओस (बहुत अधिक एमनियोटिक द्रव) से ज़्यादा आम है, जो जटिलताओं का कारण भी बन सकता है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>एनीमिया:</strong> एनीमिया तब होता है जब आपके शरीर में ऑक्सीजन ले जाने के लिए पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाएं नहीं होती हैं. इससे आपको थकान और कमज़ोरी महसूस होती है. गर्भावस्था में यह आम है क्योंकि भ्रूण तक ऑक्सीजन ले जाने के लिए आपको ज़्यादा लाल रक्त कोशिकाओं की ज़रूरत होती है. आयरन की कमी एनीमिया का एक आम कारण है. आप सप्लीमेंट्स लेकर या ज़्यादा आयरन युक्त खाद्य पदार्थ खाकर आयरन की कमी को रोक सकते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>अवसाद और चिंता:</strong> यह आपकी रोजमर्रा की जिंदगी को काफी ज्यादा प्रभावित करती है. कई सप्ताह या महीनों तक बने रह सकते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.</strong></p>
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