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पोप फ्रांसिस
ईसाइयों के सबसे बड़े धर्म गुरु पोप फ्रांसिस का निधन हो चुका है। उन्होंने 88 वर्ष की उम्र में आखिरी सांस ली। वह कई दिनों से बीमार चल रहे थे। 1936 में जन्में पोप फ्रांसिस का असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो है। वह फेफड़े के जटिल संक्रमण से पीड़ित थे, जिसके कारण उनके गुर्दे में भी खराबी के शुरुआती चरण नजर आने लगे थे। रोम के जेमेली अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। अब नए पोप को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसे में जानते हैं कि पोप कौन होते हैं, उनका काम क्या होता है और नए पोप का चुनाव कैसे होगा।

सबसे पहले पोप फ्रांसिस के बारे में जानते हैं। पोप फ्रांसिस मूल रूप से अर्जेंटीना के रहने वाले थे। वेटिकन की ओर से जारी बयान में कहा गया कि “पोप फ्रांसिस का ईस्टर सोमवार, 21 अप्रैल, 2025 को 88 वर्ष की आयु में वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित अपने निवास पर निधन हो गया।” पोप फ्रांसिस को उनकी सादगी, दया और गरीबों के प्रति सहानुभूति के लिए जाना जाता है। उन्होंने सादा जीवन जीने की मिसाल पेश की है। पोप अक्सर सामाजिक न्याय, पर्यावरण संरक्षण, शरणार्थियों के अधिकार और धार्मिक सहिष्णुता जैसे मुद्दों पर खुलकर बोलते थे।
पोप कौन होते हैं?
पोप रोमन कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च धार्मिक नेता होते हैं। वे वेटिकन सिटी के प्रमुख और पूर दुनिया के कैथोलिकों के आध्यात्मिक मार्गदर्शक माने जाते हैं। पोप को संत पीटर का उत्तराधिकारी माना जाता है। यीशु मसीह ने संत पीटर को ही अपनी कलीसिया (चर्च) का आधार बताया था। पोप चर्च के धार्मिक और प्रशासनिक मामलों का नेतृत्व करते हैं और कैथोलिक धर्म के सिद्धांतों की व्याख्या करते हैं। इसके साथ ही अनुयायियों के लिए नैतिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। वे विश्व शांति, सामाजिक न्याय और पर्यावरण जैसे वैश्विक मुद्दों पर भी बोलते हैं। पोप का पद 2,000 वर्षों से अधिक पुराना है
कैसे होगा नए पोप का चुनाव?
पोप का चयन कार्डिनल्स (वरिष्ठ धर्मगुरु) के कॉन्क्लेव में होता है। गुप्त मतदान प्रक्रिया में किसी भी व्यक्ति को नया पोप चुना जा सकता है, लेकिन वह पुरुष और कैथोलिक ईसाई होना चाहिए। पोप बनने के लिए कार्डिनल होना जरूरी नहीं है, लेकिन अब तक पोप बनने वाला हर व्यक्ति पहले कार्डिनल रहा था। पोप का चुनाव पिछले पोप के इस्तीफे या निधन के बाद होता है। पोप फ्रांसिस 13 मार्च 2013 से इस पद पर थे। वह अर्जेंटीना से पहले गैर-यूरोपीय पोप थे।
कॉन्क्लेव में सभी कॉर्डिनल अपने उम्मीदवार का नाम पर्ची में लिखकर प्लेट में रखते हैं। तीन अधिकारी इन नामों की गिनती करते हैं। अगर किसी उम्मीदवार को दो तिहाई बहुमत मिलता है तो वह नया पोप बनता है। इसके बाद पर्चियों को जला दिया जाता है और सफेद धुआं निकलता है। वहीं, किसी भी उम्मीदवार को दो तिहाई बहुमत नहीं मिलने पर भी पर्चियों को जला दिया जाता है। हालांकि, इस बार काला धुआं निकलता है। नया पोप चुने जाने पर एक व्यक्ति उसके नाम का ऐलान करता है।
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पोप कौन होते हैं, इस पद की क्या अहमियत है? जानें कैसे होगा नए पोप का चुनाव – India TV Hindi