Gold Prices: वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि अगर दुनियाभर में राजनीतिक और व्यापारिक जोखिम कम हो जाए, तो मिड टर्म सोने की कीमतों में गिरावट आ सकती है. रिपोर्ट में बताया गया कि अगर अमेरिकी डॉलर और ट्रेजरी यील्ड में उछाल आने पर सोने की कीमत में और गिरावट आने की संभावना है. केंद्रीय बैंकों की सोने की खरीद और आम निवेशकों की कम मांग का असर भी इसकी कीमत पर देखने को मिल सकती है.
नवंबर, 2022 में निचले स्तर पर थी कीमत
पिछले शुक्रवार को सोने की कीमतें 97,511 रुपये प्रति 10 ग्राम के आसपास थीं. हाल-फिलहाल के दिनों में सोने की कीमतों में हुई बढ़ोतरी ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. 3 नवंबर 2022 को सोने की कीमत अपने सबसे निचले स्तर 1,429 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस पर थी. फिर ये दोगुनी से भी ज्यादा बढ़कर 3,287 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस हो गई है. यानी कि इसमें सालाना 30 परसेंट की CAGR की बढ़ोतरी हुई है.
इस वजह से बढ़ गई है सोने की कीमत
दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों की लगातार खरीदारी के साथ-साथ बढ़ते भू-राजनीतिक और हाल ही में व्यापारिक जोखिमों के चलते सोने की कीमतें बढ़ी हैं. इन सबने मिलकर केंद्रीय बैंकों की ब्याज दरों में बढ़ोतरी और नवंबर 2022 से अगस्त 2024 के बीच महंगाई में कमी के नकारात्मक प्रभाव को कम कर दिया है. रिपोर्ट में यह भी बताया कि सोने की कीमत में हालिया रिकॉर्ड तोड़ तेजी के चलते निवेशक थोड़े सतर्क हो गए. लोगों को अब इस बात का डर लगने लगा है कि कहीं नुकसान न हो जाए.
स्टडी में हुआ इस बात का भी खुलासा
काउंसिल ने उन दौरों का पता लगाया, जब सोने की कीमतों में कमी आई थी. इस स्टडी में यह बात सामने आई कि अगर दुनिया भर में भू-राजनीतिक और व्यापारिक माहौल शांत होता है, तो सोने की डिमांड कम हो सकती है. इसके अलावा, अगर अमेरिकी डॉलर मजबूत होता है या ट्रेजरी यील्ड बढ़ता है, तो भी सोने पर दबाव बढ़ता है. साथ ही, अगर केंद्रीय बैंक सोना खरीदने में ढील बरतते हैं और आम लोग भी सोने में निवेश कम करते हैं, तो कीमतें नीचे आ सकती हैं.
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Source: https://www.abplive.com/business/gold-prices-may-fall-in-the-mid-term-if-political-and-trade-risks-around-the-world-reduce-as-per-world-gold-council-report-2978571