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पूर्वी DR कांगो में चर्च पर आतंकी हमला, 38 मौत: प्रार्थना सभा में शामिल हो रहे थे लोग, बंदूक-चाकू से मारा; घर-दुकान जलाए Today World News

पूर्वी DR कांगो में चर्च पर आतंकी हमला, 38 मौत:  प्रार्थना सभा में शामिल हो रहे थे लोग, बंदूक-चाकू से मारा; घर-दुकान जलाए Today World News

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किन्शासा10 मिनट पहले

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पूर्वी DR कांगो के कोमांडा शहर के एक कैथोलिक चर्च पर रविवार तड़के आतंकी हमला हुआ। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। हमला उस समय हुआ जब लोग चर्च में प्रार्थना सभा में शामिल हो रहे थे।

यह हमला इस्लामिक स्टेट से जुड़े विद्रोही समूह एलाइड डेमोक्रेटिक फोर्स (ADF) ने किया। हमले में कई मकानों और दुकानों को भी जला दिया गया है। हमलावरों ने लोगों पर बंदूक और चाकू से हमले किए।

इससे पहले पास के मचोंगानी गांव में भी हमला हुआ, जिसमें 5 लोग मारे गए। कुछ लोगों को हमलावर जंगल में ले गए, जिनका अभी पता नहीं चल पाया है।

सेना ने 10 लोगों की मौत की पुष्टि की है, लेकिन स्थानीय मीडिया और एक यूएन रेडियो स्टेशन के मुताबिक 40 से ज्यादा लोग मारे गए।

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हमलावरों ने कई घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया।

हमलावरों ने कई घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया।

पूर्वी कांगो लंबे समय से आतंकी हमलों से जूझ रहा है।

पूर्वी कांगो लंबे समय से आतंकी हमलों से जूझ रहा है।

हमले के सेना ने इलाके में गश्त बढ़ा दी है।

हमले के सेना ने इलाके में गश्त बढ़ा दी है।

चर्च में रात बिता रहे लोगों पर हमला किया

कोमांडा में घटनास्थल पर मौजूद मानवाधिकार कार्यकर्ता क्रिस्टोफ मुन्यांडेरू ने मीडिया से कहा, ‘विद्रोहियों ने मुख्य रूप से उन ईसाइयों पर हमला किया जो कैथोलिक चर्च में रात बिता रहे थे।’

कोमांडा में एक नागरिक डियूडोने दुरंतबो ने AP को बताया, ’30 से ज्‍यादा लोगों को अंदर और बाहर गोली मार दी गई और हमने तीन जले हुए शव और कई घरों को जलते हुए देखा है। पीड़ितों के शव अभी भी घटनास्थल पर हैं, और स्वयंसेवक उन्हें दफनाने की तैयारी कर रहे हैं।

लंबे समय विद्रोही समूहों से जूझ रहा कांगो

पूर्वी कांगो में लंबे समय से एडीएफ और रवांडा समर्थित एम23 जैसे विद्रोही समूह सक्रिय हैं। कांगो की सेना इनसे लड़ रही है, लेकिन हालात काबू में नहीं आ रहे। इस महीने की शुरुआत में भी एडीएफ ने इटुरी में कई लोगों को मार डाला था, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने नरसंहार बताया।

एडीएफ की स्थापना 1990 के दशक के अंत में युगांडा में हुई थी। जो युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी की सरकार से नाराज थे। इन समूहों का मानना था कि सरकार उनके हितों की अनदेखी कर रही थी। शुरुआत में इसका उद्देश्य युगांडा में सरकार के खिलाफ लड़ना था।

युगांडा की सेना ने एडीएफ के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की, जिसके बाद यह समूह पड़ोसी देश डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) में चला गया।

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