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पित्त की पथरी अब बच्चों में भी आम, क्या है इसके पीछे की बड़ी वजह? Health Updates

पित्त की पथरी अब बच्चों में भी आम, क्या है इसके पीछे की बड़ी वजह? Health Updates

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अब तक पित्त की पथरी यानी Gallstones को एक ऐसी बीमारी माना जाता था जो आमतौर पर बड़ो या बुजुर्गों को होती है. लेकिन हाल के सालों में डॉक्टरों और एक्सपर्ट्स ने एक चौंकाने वाली बात बताई है कि अब यह बीमारी छोटे बच्चों, यहां तक कि 5-6 साल के बच्चों में भी तेजी से बढ़ रही है.  देशभर के हॉस्पिटल और क्लीनिकों में यह देखा जा रहा है कि पित्त की पथरी के मामलों में बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पहले यह स्थिति बहुत ही खराब मानी जाती थी, लेकिन अब यह एक नई चिंता का विषय बन गई है. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि पित्त की पथरी क्या होती है, यह बच्चों में क्यों हो रही है, इसके लक्षण क्या हैं, और कैसे इससे बचा जा सकता है. 

क्या होती है पित्त की पथरी?
पित्त की पथरी यानी Gallstones, ये छोटे-छोटे ठोस टुकड़े होते हैं जो शरीर के अंदर गॉलब्लेडर में बनते हैं. गॉलब्लेडर एक छोटा थैला होता है जो पेट के अंदर होता है और पाचन में मदद करता है, पथरी दो चीजों से बन सकती है, पहला कोलेस्ट्रॉल और दूसरा बिलीरुबिन, अगर पथरी बड़ी हो जाए या पित्त के बहाव को रोक दे, तो पेट में तेज दर्द, उल्टी, मतली और गैस जैसी समस्याएं हो सकती हैं. 

बच्चों में पित्त की पथरी के बढ़ते कारण
आजकल बच्चे बाहर खेलने के जगह मोबाइल, टीवी और वीडियो गेम में ज्यादा समय बिताते हैं. इससे उनकी फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई है, जिससे मोटापा बढ़ रहा है और पित्त की पथरी की संभावना भी. इसके अलावा राब खानपान की आदतें, जैसे जंक फूड, फास्ट फूड, कोल्ड ड्रिंक्स, तले-भुने और प्रोसेस्ड खाने का बढ़ता चलन बच्चों की सेहत बिगाड़ रहा है. वहीं बच्चों में पित्त की पथरी के बढ़ते कारण की बड़ी वजह यह भी है कि अगर परिवार में किसी को पहले से पित्त की पथरी रही हो, तो बच्चों में भी इसके होने की संभावना बढ़ जाती है. थैलेसीमिया जैसी बल्ड की बीमारियों वाले बच्चों में भी पित्त की पथरी की संभावना होती है. 

पित्त की पथरी के लक्षण क्या हैं
बच्चों में पित्त की पथरी के लक्षण कई बार साफ दिखाई नहीं देते हैं. यही वजह है कि पेरेंट्स इसे मामूली पेट दर्द समझकर नजरअंदाज कर देते हैं. ऐसे में इसके कुछ आम लक्षण बार-बार पेट दर्द, खासकर ऊपरी हिस्से में, उल्टी या मतली महसूस होना हो, खाने से मन हटना, गैस या पेट फूलना और कभी-कभी तेज बुखार या पीलिया हो सकते हैं. अगर बच्चा बार-बार पेट दर्द की शिकायत करता है तो उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और डॉक्टर को दिखाना चाहिए. 

बचाव कैसे करें?
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि यह बीमारी बचपन में रोकी जा सकती है, अगर सही लाइफस्टाइल और खानपान अपनाया जाए. बच्चों को हरी सब्जियां, फल, दालें और फाइबर वाला खाना देना चाहिए. जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक, चॉकलेट और बाहर का खाना कम से कम देना चाहिए. बच्चों को खेलने-कूदने के लिए प्रेरित करें, टीवी, मोबाइल, टैबलेट पर समय सीमित करें, अगर परिवार में किसी को पथरी या मेटाबोलिक बीमारी रही हो, तो बच्चों की समय-समय पर जांच करवाते रहें. 

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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