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पाकिस्तान के सिंधु डेल्टा में पानी 80% घटा: समुद्र का पानी भरने से जमीन खारी हुई; 12 लाख लोग बेघर हुए Today World News

पाकिस्तान के सिंधु डेल्टा में पानी 80% घटा:  समुद्र का पानी भरने से जमीन खारी हुई; 12 लाख लोग बेघर हुए Today World News

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इस्लामाबाद15 मिनट पहले

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सिंधु डेल्टा में अब अरब सागर का खारा पानी भरता जा रहा है। इससे यहां पीने का पानी का संकट भी खड़ा हो गया है।

पाकिस्तान की सबसे बड़ी नदी सिंधु के डेल्टा में जिंदगी खत्म होने की कगार पर है। सिंधु का पानी ऊपर के इलाकों में नहरों और बांधों में रोक लिया गया है।

इसकी वजह से सिंध प्रांत और डेल्टा क्षेत्र में पानी पहुंचना लगभग बंद हो गया है। 1950 के दशक से अब तक सिंधु डेल्टा में बहने वाले पानी में 80% की गिरावट आ चुकी है।

दूसरी तरफ इसमें अरब सागर का खारा पानी घुस आया है। इससे यहां की जमीन खारी हो चुकी है। खेती बंद हो गई है। मछलियों की आबादी घटी है और झींगा-केकड़ों का जीवन संकट में है।

डेल्टा में कभी 17 छोटी नदियां, दलदली जमीन, मैंग्रोव जंगल और मछलियों से भरे कीचड़ भरे मैदान थे। आज वह मिट्टी नमकीन, पानी जहरीला और जमीन रहने लायक नहीं बची।

सिंध सरकार के मुताबिक, यहां 80% पानी पीने लायक नहीं बचा। समुद्र का खारा पानी अब जमीन के अंदर तक घुस आया है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक 1960 के दशक से अब तक मैंग्रोव का 86% हिस्सा खत्म हो गया है। इससे मछलियों की आबादी में 80% की गिरावट आई है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक 1960 के दशक से अब तक मैंग्रोव का 86% हिस्सा खत्म हो गया है। इससे मछलियों की आबादी में 80% की गिरावट आई है।

20 साल आबादी 12 लाख घटी

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले दो दशकों में अब तक 12 लाख से अधिक लोग डेल्टा छोड़कर कराची जैसे शहरों की ओर पलायन कर चुके हैं।

पाकिस्तान फिशरफोक फोरम का कहना है कि तटीय इलाकों से हजारों मछुआरे परिवार विस्थापित हो चुके हैं।

54 साल के हबीबुल्लाह खट्टी ने अपना अब्दुल्ला मीरबहार गांव को छोड़ने दिया है। गांव छोड़ने से पहले उन्होंने अपनी मां की कब्र पर आखिरी सलाम किया। वो बताते हैं,

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चारों तरफ खारा पानी फैल चुका है। गांव में अब बस चार घर बचे हैं।

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हबीबुल्लाह खट्टी ने गांव छोड़ने से पहले अपनी मां की कब्र पर प्रार्थना की।

हबीबुल्लाह खट्टी ने गांव छोड़ने से पहले अपनी मां की कब्र पर प्रार्थना की।

कभी 40 गांवों वाले खारो चान इलाके में अब ज्यादातर गांव समंदर निगल चुका है। 1981 में इस इलाके के आबादी 26 हजार थी, जो 2023 में घटकर सिर्फ 11 हजार बची।

सिंधु का पानी रोकने के खिलाफ सिंध में विरोध-प्रदर्शन

सिंध प्रांत में फरवरी से ही ‘सेव द इंडस रिवर मूवमेंट’ नामक गठबंधन ने विरोध शुरू कर दिया है। इसमें पर्यावरण कार्यकर्ता, स्थानीय समुदाय, एनजीओ और नीति-निर्माता शामिल हैं।

आंदोलनकारियों का कहना है कि ये नहरें सिंधु नदी का पानी ऊपर ही रोक देंगी, जिससे सिंध और खासकर इंडस डेल्टा में खेती पर संकट खड़ा हो जाएगा।

महिला संगठन सिंधियानी तहरीक की कार्यकर्ता मरियम गोपांग के कहती हैं,

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हम अपनी सिंधु नदी के बिना कुछ भी नहीं है। यह नही होगी तो हम मर जाएंगे।

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सिंधु नदी का पानी 6 नहरों में भेजा जा रहा

पाकिस्तान की सबसे बड़ी नदी सिंधु से पानी खींचकर 4 प्रांतों में 6 नहरें बनाई जा रही हैं। यह प्रोजेक्ट ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव के तहत चल रहा है।

इसकी लागत करीब 28 हजार करोड़ रुपए है। इन नहरों से मिलने वाले पानी का इस्तेमाल रेगिस्तानी जमीनों को खेती योग्य बनाने में किया जाएगा।

यह पानी सिंधु नदी या उसके बैराजों से लिया जाएगा। इसमें सबसे बड़ी नहर पंजाब के चोलिस्तान रेगिस्तान में बनाई जाएगी।

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