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पाकिस्तानी जेट गिराने वाला रूसी S-400 खरीद सकता है भारत: राष्ट्रपति पुतिन से 9 अहम डील पर समझौता संभव, आज दिल्ली पहुंचेंगे Today World News

पाकिस्तानी जेट गिराने वाला रूसी S-400 खरीद सकता है भारत:  राष्ट्रपति पुतिन से 9 अहम डील पर समझौता संभव, आज दिल्ली पहुंचेंगे Today World News

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नई दिल्ली14 मिनट पहले

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राष्ट्रपति पुतिन 2021 के बाद आज दो दिन के भारत दौरे पर आएंगे।

तारीख- 7 मई 2025 जगह- पाकिस्तान

भारत ने रात करीब 1:05 बजे पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। भारतीय वायुसेना ने सटीक हमला करते हुए PAK में मौजूद कुल 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया।

इसके बाद पाकिस्तान ने भी जवाबी हमले की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना इसके लिए पूरी तरह तैयार थी। भारत के रूसी एयर डिफेंस सिस्टम S-400 ने कई पाकिस्तानी जेट्स मार गिराए।

इंडियन एयरफोर्स ने बाद में बताया था कि संघर्ष में कुल 6 पाकिस्तानी फाइटर जेट गिरे। रूस में बना S-400 भारत के लिए गेमचेंजर साबित हुआ। पाकिस्तान के जेट इस डिफेंस सिस्टम के दायरे में आते ही नाकाम हो गए।

भारत अब रूस से और ज्यादा S-400 और इसके अपडेट वर्जन S-500 को खरीदने को लेकर डील कर सकता है। दरअसल, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन आज 4 साल बाद भारत आ रहे हैं। पुतिन के दौरे पर दोनों देशों के बीच 9 अहम डील होने की संभावना है।

आपसी ट्रेड 100 अरब डॉलर करने का मकसद

पुतिन दो दिन के भारत दौरे पर 23वीं भारत-रूस समिट में भाग लेंगे। ये भारत और रूस के बीच होने वाली सालाना बैठक का हिस्सा है। हर साल दोनों देश बारी-बारी से इस बैठक की मेजबानी करते हैं। इस बार भारत की बारी है।

इस समिट का मकसद है कि दोनों देश 2030 तक अपने व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाएं। इस फोरम में एनर्जी, इन्वेस्टमेंट, तकनीक और इंडस्ट्री जैसे कई सेक्टर में नई साझेदारियों पर बात होगी।

भारत और रूस में स्पेशल स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप

भारत और रूस के बीच ‘स्पेशल एंड प्रिविलेज्ड स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप’ साझेदारी है। इसके तहत दोनों देश लंबे समय से एक-दूसरे से हथियार, तकनीक और रक्षा सहयोग करते आए हैं। इसी रिश्ते के तहत Su-57 और S-500 जैसे आधुनिक हथियारों पर बात आगे बढ़ाई जा सकती है।

भारतीय एयरफोर्स इस समय फाइटर जेट्स की कमी झेल रही है और उसके पास पहले से ही 200 से ज्यादा रूसी फाइटर जेट हैं। ऐसे में नेक्स्ट जनरेशन के रूसी लड़ाकू विमान को अपनाना उसके लिए आसान होगा।

सूत्रों का कहना है कि Su-57 में इतनी लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें लगाई जा सकती हैं कि भारत की ताकत काफी बढ़ जाएगी। इसके अलावा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) पहले से ही रूसी विमानों की मरम्मत और देखभाल करती रही है, इसलिए Su-57 जैसे नए जेट की सर्विसिंग भी भारत में आसानी से हो सकेगी।

S-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम को लेकर भी भारत की दिलचस्पी बढ़ी है, क्योंकि यह लंबी दूरी से आने वाली मिसाइलों और हाइपरसोनिक मिसाइलों को भी रोक सकता है।

रूस, भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर, पर दबदबा घटा

एक तरफ भारत, रूस से अपने संबंध पुराने तरीके से बनाए रखना चाहता है, वहीं दूसरी तरफ वह अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ भी रक्षा सहयोग बढ़ा रहा है। पिछले दस साल में भारत ने अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों से हथियारों की खरीद बढ़ाई है।

इसकी वजह से रूस की हिस्सेदारी कम हुई है, हालांकि रूस अभी भी भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है। कई बड़े डिफेंस सिस्टम जैसे न्यूक्लियर सबमरीन, मिसाइल डिफेंस और कुछ खास तकनीक जिन्हें दुनिया में कुछ ही देश बेचते हैं, रूस उनमें आगे है।

SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक जहां 2000 के दशक में रूस, भारत को 70% से 90% तक हथियार सप्लाई करता था, वहीं अब यह घटकर लगभग 36% रह गया है।

तेल खरीद पर भी बातचीत हो सकती है

पुतिन के भारत दौरे पर रूसी तेल खरीद को लेकर भी बातचीत हो सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत पर रूसी तेल खरीद की वजह से 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया है।

ट्रम्प का कहना है कि भारत, रूस से कम कीमत में कच्चा तेल खरीद कर बेच रहा है। इससे पुतिन को यूक्रेन जंग जारी रखने में मदद मिल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इससे भारत को 37 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।

हालांकि ये सिर्फ अकेली वजह नहीं है, जिससे भारत रूसी तेल खरीदने से परहेज कर रहा है। पिछले एक साल में अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां तेजी से बदली हैं। पढ़ें पूरी खबर

नया पेमेंट सिस्टम बनाने पर बात हो सकती है

एनर्जी भी इस विजिट के दौरान एक बड़ा मुद्दा रहेगा। रूस, भारत को सस्ता क्रूड ऑयल बेच रहा है, लेकिन अमेरिका और यूरोपीय देशों के दबाव के कारण पेमेंट में मुश्किलें आती रही हैं।

पुतिन की इस यात्रा में दोनों देश एक नया पेमेंट सिस्टम बनाने पर सहमत हो सकते हैं, जिससे व्यापार बिना रुकावट चलता रहे। इसमें रुपया-रूबल ट्रेड, डिजिटल भुगतान या किसी तीसरे देश के बैंक का इस्तेमाल जैसे सिस्टम शामिल हो सकते हैं।

इसके साथ ही रूस, भारत को आर्कटिक रीजन की एनर्जी परियोजनाओं में निवेश का मौका भी दे सकता है, जहां रूस दुनिया के बड़े तेल-गैस भंडार डेवलप कर रहा है।

इंडियन वर्कर्स के लिए रूस में नौकरी पर समझौता संभव

भारत और रूस स्पेस, न्यूक्लियर एनर्जी, साइंस-टेक्नीक, व्यापार और पोर्ट्स के विकास पर भी बातचीत करने वाले हैं। भारत रूस की मदद से कुडनकुलम (तमिलनाडु) में न्यूक्लियर पावर प्लांट चला रहा है। इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने को लेकर भी बात हो सकती है।

दोनों देश एक स्किल डेवलपमेंट समझौते पर भी बात कर सकते हैं। रूस में युद्ध के बाद कई क्षेत्रों में वर्कर्स की कमी हो गई है। रूस चाहता है कि भारत से तकनीकी एक्सपर्ट, मेडिकल स्टाफ, इंजीनियर और दूसरे ट्रेंड वर्कर्स वहां काम करने आएं।

भारत के लिए भी यह बड़ा अवसर हो सकता है, क्योंकि इससे भारतीयों को विदेश में नौकरी के नए मौके मिलेंगे।

पुतिन आखिरी बार 2021 में भारत आए थे

पुतिन ने आखिरी बार 6 दिसंबर 2021 को भारत की यात्रा की थी। तब वे सिर्फ 4 घंटे के लिए भारत आए थे। इस दौरान भारत और रूस के बीच 28 समझौतों पर दस्तखत हुए थे। इसमें मिलिट्री और तकनीकी समझौते थे।

इस बार विजिट से दोनों देशों के बीच 2030 के लिए नए आर्थिक रोडमैप को आगे बढ़ाने की उम्मीद है। फिलहाल दोनों देशों के बीच करीब 60 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है।

PM मोदी ने साल 2024 में दो बार रूस की यात्रा की थी। वे BRICS समिट के लिए 22 अक्टूबर को रूस गए थे। इससे पहले जुलाई में भी मोदी ने दो दिन का रूस दौरा किया था। तब उन्होंने पुतिन को भारत आने का न्योता दिया था।

रूस ने 9 जुलाई, 2024 को मॉस्को में पीएम मोदी को देश का सर्वोच्च सम्मान 'ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल' दिया था। राष्ट्रपति पुतिन ने खुद उन्हें सम्मानित किया था।

रूस ने 9 जुलाई, 2024 को मॉस्को में पीएम मोदी को देश का सर्वोच्च सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल’ दिया था। राष्ट्रपति पुतिन ने खुद उन्हें सम्मानित किया था।

दूसरे देशों की यात्रा से बच रहे पुतिन

मार्च 2023 में ICC ने पुतिन के खिलाफ अरेस्‍ट वारंट जारी किया था। कोर्ट ने यूक्रेन में बच्चों के अपहरण और डिपोर्टेशन के आरोपों के आधार पर पुतिन को वॉर क्राइम्स के लिए जिम्मेदार माना था।

यह पहला मौका था जब ICC ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के किसी स्थायी सदस्य देश के टॉप लीडर के खिलाफ अरेस्‍ट वारंट जारी किया था। अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस UNSC के स्थायी सदस्य हैं।

इसके बाद से पुतिन दूसरे देशों की यात्राएं करने से बचते रहे हैं। वे पिछले साल G20 समिट में शामिल होने भारत नहीं आए थे। इस साल ब्राजील में हुई G20 समिट में भी हिस्सा नहीं लिया था। उनकी जगह विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव दोनों कार्यक्रम में शामिल हुए।

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