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खिलाड़ी अमन
– फोटो : संवाद
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अपनी मजबूती की पहचान बनाए रखने के लिए पहाड़ जैसी बाधाओं को खत्म कर शहर निवासी अमन फोगाट अब सफलता की राह पर है। पूरा न हो पाने का मलाल मन में है, लेकिन उसने अपनी इस सोच को त्यागकर आगे बढ़ने की हिम्मत जुटाई है। अब तक वह खेल क्षेत्र में चार पदक जीत चुका है।
बता दें कि शहर निवासी अमन ने साल 2020 में खेल की शुरूआत की थी। इससे पहले पढ़ाई करता था और इंजीनियर बनना चाहता था। लेकिन साल 2017 में वह पिलानी से बाइक पर घर आ रहा था। तभी रास्ते में एक कैंटर की टक्कर लगने से वह घायल हो गया। इसमें उसकी पैर की नस टूट गई और पैर ने काम करना बंद दिया।
घटना में उसने अपना दाहिना पूरा पैर खो दिया। एक साल तक उपचाराधीन और छह माह विश्राम के बाद उसके मन में खेलने का विचार आया। इसके बाद उसने 2019 में जिम जाना शुरू किया और शॉटपुट में जाना उसने लक्ष्य बना लिया। इसी दौरान अमन ने फोन पर पैरा खिलाड़ियों की वीडियो देखी तो इसमें पॉवर लिफ्टिंग करते भी दिखे। बाद में उसने जनवरी 2020 में राज्य स्तरीय प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लिया और रजत पदक हासिल किया।
इससे उसका हौंसला बढ़ा और उसने शॉटपुट की तैयारी शहर के बलिदान स्टेडियम में की। इस स्पर्धा में एक बार भाग लिया, लेकिन कमर दर्द होने के कारण वह पदक नहीं जीत पाया। जांच कराने पर चिकित्सक ने शॉटपुट खेलने से मना कर दिया। इसके उसका सपना टूट गया। लेकिन उसने हार नहीं मानी और चुनौती को स्वीकार कर आगे बढ़ा। साल 2021 में वह ताइक्वांडो के लिए शहर की ग्रेवाल स्पोर्ट्स अकादमी में कोच ओमप्रकाश ग्रेवाल के पास अभ्यास करने लगा। अब वह इस खेल में तीन पदक जीत चुका है। अब वह अपनी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा के लिए तैयारी कर रहा है।
अमन के पिता संदीप फोगाट की ट्रैक्टर वर्कशॉप है और माता कविता गृहिणी है। वहीं, छोटी बहन निकिता एमएससी की पढ़ाई कर रही है। परिवार में पहले कोई खिलाड़ी नहीं रहा और अब उसे परिजनों का खेल में भी पूरा सहयोग मिल रहा है।
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पहाड़ जैसी बाधाओं को किया खत्म: अब सफलता की राह पर दादरी का अमन, साल 2017 में हुआ एक्सीडेंट