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पहलगाम में जिस जगह लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की हत्या की गई, उस जगह के बारे में बताती पत्नी हिमांशी। इनसेट में विनय नरवाल और SI नरेंद्र की फोटो।
तारीख: 22 अप्रैल जगह: बैसरन घाटी, पहलगाम
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करनाल के नेवी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल गुरुग्राम की रहने वाली पत्नी हिमांशी के साथ घूम रहे थे। अचानक गोलियों की आवाज आने लगी। हिमांशी ने विनय को कहा- ”फायरिंग हो रही है, फायरिंग हो रही है”
हिमांशी की बात पूरी भी न हुई थी कि सेना की वर्दी में एक व्यक्ति हाथ में AK-47 लिए ठीक उनके सामने आ खड़ा हुआ। हिमांशी को लगा, इंडियन आर्मी का जवान है। तभी उस व्यक्ति ने पूछा- क्या तुम हिंदू हो?।
विनय ने बिना डरे जवाब दिया- हां, हिंदू हूं। यह सुनते ही उसने 3 गोलियां चला दीं और लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शादी के महज 7 दिन बाद पत्नी के सामने ही हत्या कर दी। यह वाक्या हिमांशी ने अपने परिजनों को बताया। इस बारे में दैनिक भास्कर ने परिवार के रिश्तेदार सब इंस्पेक्टर (SI) नरेंद्र सिंह से बात की। उन्होंने बताया कि विनय और हिमांशी के साथ 22 अप्रैल को पहलगाम में क्या हुआ था…
पिता के साथ लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की तस्वीर। विनय 3 साल पहले नेवी में भर्ती हुए थे।
विनय को 3 गोलियां लगीं, जमीन पर गिर पड़े आतंकी की चलाई पहली गोली विनय की गर्दन पर लगी। दूसरी छाती और तीसरी कंधे के पास लगी। अचानक 3 गोलियां लगते ही विनय जमीन पर गिर पड़े। हिमांशी को कुछ समझ नहीं आया। वह इधर-उधर से मदद मांगती रहीं, मगर, वहां कोई मददगार ही नहीं था।
डेढ़ घंटे तक मदद का इंतजार करते रहे हमले के बाद विनय डेढ़ घंटे तक उसी जगह पड़े रहे। हिमांशी ने पूरी ताकत से कोशिश की लेकिन कोई मदद नहीं पहुंच पाई। घाटी में नेटवर्क और साधनों की कमी के चलते राहत देरी से पहुंची और तब तक कई लोगों की जान जा चुकी थी।

परिवार की हिमांशी से बात करने की हिम्मत नहीं नरेंद्र कहते हैं- विनय के परिवार की हालत बेहद खराब है। हम हिमांशी से बात तक नहीं कर पा रहे। वह इस पीड़ा से गुजर रही है कि कोई कुछ कह भी नहीं सकता। उसकी पूरी दुनिया उजड़ चुकी है। विनय के पिता राजेश पुरी कोशिश कर रहे हैं खुद को संभालने की, लेकिन एक पिता की पीड़ा को समझा जा सकता है। नरेंद्र कुमार बताते हैं कि विनय बेहद शांत, समझदार और सुलझा हुआ बेटा था। वह अपने पिता के नक्शे कदम पर चल रहा था और उसका सिर्फ एक ही सपना था- देश सेवा।
परिवार अस्थियां लेकर हरिद्वार पहुंचा आज सुबह परिवार विनय की अस्थियां लेकर हरिद्वार रवाना हुआ। दोपहर 12 बजे के बाद परिवार हरिद्वार पहुंचा। पिता के साथ चचेरा भाई अंतिम रस्में निभा रहा है।

लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की अस्थियों को लेकर परिवार हरिद्वार रवाना हो गया है।

लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की अस्थियां लेकर परिवार हरिद्वार पहुंचा।
हिमांशी बोली- दहशतगर्दों की आंखों में दहशत देखना चाहती हूं गुरुवार (24 अप्रैल) को एंटी टेररिस्ट फ्रंट इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य लेफ्टिनेंट के घर पहुंचे। हिमांशी ने उन्हें कहा कि जिन्होंने मेरे पति की जान ली है, मैं उन दहशतगर्दों की आंखों में दहशत देखना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि वे गिड़गिड़ाकर जिंदगी की भीख मांगें, ताकि उन्हें पता चल सके कि जिंदगी क्या है और मौत क्या है। इन आतंकियों से मैं आंखों में आंखें डालकर बात करना चाहती हूं और पूछना चाहती हूं कि आखिर हमारा कसूर क्या था? क्यों उन्होंने निहत्थे लोगों की जान ले ली? मेरी सरकार से अपील है कि आतंकियों को मारने से पहले मेरे सामने लाया जाए। केंद्र सरकार इस मामले को गंभीरता से देखे और इस वारदात को अंजाम देने वालों को उनके अंजाम तक जरूर पहुंचाए।

एंटी टेररिस्ट फ्रंट इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेश शांडिल्य ने 24 अप्रैल को लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांश से मुलाकात की।
NOC मिल जाती तो बच जाती जान मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक परिवार का कहना है कि स्विट्जरलैंड जाने के लिए नेवी की समय पर NOC मिल जाती तो शायद बेटे की जान नहीं जाती। सेना में होने के नाते विदेश जाने से पहले नेवी की NOC जरूरी थी, लेकिन जब NOC नहीं मिली तो जम्मू-कश्मीर जाने का फैसला लिया।
विनय और हिमांशी की 16 अप्रैल को मसूरी में शादी हुई। 19 तारीख को करनाल में रिसेप्शन पार्टी रखी गई थी। इसके बाद वह 21 अप्रैल को हिमांशी के साथ हनीमून मनाने के लिए पहलगाम गए थे।
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पढ़ाई, जॉब, शादी और हत्या के बारे में ग्राफिक में पढ़िए…







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