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राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र में आयोजित कार्यशाला में संबोधित करते निदेशक डॉ. टीके भट्टाचार
हिसार। पशुओं की बीमारी को गंभीरता से लेना चाहिए। पशुओं का टीकाकरण कराया जाना चाहिए। उनकी नियमित समय पर जांच होनी चाहिए। यह बात सिरसा रोड स्थित राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र में जूनोटिक रोग जागरूकता पर बुधवार से शुरू हुई कार्यशाला में डाॅ. सुभाष जांगड़ा ने कहा की। इस कार्यशाला में जिले के 46 चिकित्सक, पशु चिकित्सा चिकित्सक व 44 किसानों ने हिस्सा लिया। संस्थान के निदेशक डॉ. टीके भट्टाचार्य ने मुख्य भाषण में कहा कि वन हेल्थ प्रोग्राम के चलते सभी को एक साथ आना जरूरी है। जल्द ही देश भर में वन हेल्थ प्रोग्राम के तहत कार्यालय भी स्थापित होंगे।
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विशिष्ट अतिथि डॉ. सुभाष जांगड़ा ने कहा कि जिले में पशुओं की डिजिटल गणना चल रही है, जिसके बाद विभाग के पास हर एक पशु का पूरा ब्योरा होगा। 31 मार्च तक पशु गणना पूरी हो जाएगी। जिले में 408 वार्ड बनाकर पशुओं की गणना कराई जा रही है। जिसमें हम पशुओं के स्वास्थ्य को लेकर भी ब्योरा जुटा रहे हैं। टीकाकरण की पूरी जानकारी ली जा रही है।
डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. सुभाष खतरेजा ने कहा कि हर एक चिकित्सक को जूनोटिक बीमारियों को लेकर अलर्ट रहना चाहिए। हमें कोरोना को कभी नहीं भूलना चाहिए। पशुओं व मानव का हर स्तर पर जुड़ाव है। ऐसे में हम पशुओं की बीमारी से दूर नहीं हो सकते। पशुओं से मानव में तथा मानव से पशुओं में बीमारी जाने की आशंका हमेशा रहेगी। ऐसे में लक्षण दिखाई देने पर दोनों के स्वास्थ्य की जांच होनी चाहिए।
प्रिंसिपल साइंटिस्ट व कार्यशाला के समन्वयक डॉ. हरिशंकर सिंघा ने कहा कि जूनोटिक रोगों को नियंत्रित करने के लिए चिकित्सा डॉक्टरों, पशु चिकित्सकों और किसानों के बीच सहयोग जरूरी है। इस कार्यशाला का उद्देश्य जूनोटिक रोगों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उनकी रोकथाम के तरीकों को प्रसारित करना है।
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पशुओं की बीमारियों को लेकर गंभीरता बरतना बेहद जरूरी : डॉ. जांगड़ा